राजस्थान सियासी संग्रामः बीजेपी हर हाल में गहलोत को हटाना चाहती है, लेकिन जोशी जीत गए तो...

By प्रदीप द्विवेदी | Published: July 23, 2020 03:24 PM2020-07-23T15:24:50+5:302020-07-23T15:24:50+5:30

सीएम अशोक गहलोत के पास बहुमत है, लेकिन तब वे पूरी तरह से सुरक्षित हो जाएंगे, जब स्पीकर सीपी जोशी सुप्रीम कोर्ट में जीत जाएंगे. यदि जोशी जीत जाते हैं, तो वे 19 विधायकों की सदस्यता फ्लोर टेस्ट के पहले ही समाप्त करने की स्थिति में होंगे, मतलब- तब सीएम गहलोत के लिए बहुमत साबित करना बेहद आसान होगा.

Rajasthan jaipur CM Ashok Gehlot congress sachin pilot cp Joshi BJP wants remove cm | राजस्थान सियासी संग्रामः बीजेपी हर हाल में गहलोत को हटाना चाहती है, लेकिन जोशी जीत गए तो...

विधायकों की सदस्यता फ्लोर टेस्ट से पहले समाप्त हो गई तो सियासी बाजी पायलट खेमे और बीजेपी के हाथ से निकल जाएगी. (file photo)

Highlightsबीजेपी हर हाल में सीएम गहलोत को हटाना चाहती है, लेकिन अभी सीएम गहलोत के खिलाफ एमएलए का संख्याबल पर्याप्त नहीं है. विधायकों की सदस्यता फ्लोर टेस्ट से पहले समाप्त हो गई तो सियासी बाजी पायलट खेमे और बीजेपी के हाथ से निकल जाएगी.राजस्थान हाईकोर्ट के सचिन पायलट सहित 19 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही पर रोक लगाने वाले 21 जुलाई 2020 के निर्देश को चुनौती दी है.

जयपुरः राजस्थान में सियासी संग्राम अपने चरम पर है और इसके नतीजे की दिशा सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर है. इस वक्त सियासी समीकरण की दो बातें मुख्य हैं.

सीएम अशोक गहलोत के पास बहुमत है, लेकिन तब वे पूरी तरह से सुरक्षित हो जाएंगे, जब स्पीकर सीपी जोशी सुप्रीम कोर्ट में जीत जाएंगे. यदि जोशी जीत जाते हैं, तो वे 19 विधायकों की सदस्यता फ्लोर टेस्ट के पहले ही समाप्त करने की स्थिति में होंगे, मतलब- तब सीएम गहलोत के लिए बहुमत साबित करना बेहद आसान होगा.

बीजेपी हर हाल में सीएम गहलोत को हटाना चाहती है, लेकिन अभी सीएम गहलोत के खिलाफ एमएलए का संख्याबल पर्याप्त नहीं है. यदि फ्लोर टेस्ट से पहले बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त नहीं होती है, तो सचिन खेमा, सीएम गहलोत के लिए परेशानी बढ़ा सकता है, लेकिन विधायकों की सदस्यता फ्लोर टेस्ट से पहले समाप्त हो गई तो सियासी बाजी पायलट खेमे और बीजेपी के हाथ से निकल जाएगी.

राजस्थान विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

याद रहे, राजस्थान विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और याचिका दाखिल कर राजस्थान हाईकोर्ट के सचिन पायलट सहित 19 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही पर रोक लगाने वाले 21 जुलाई 2020 के निर्देश को चुनौती दी है.

हाईकोर्ट ने स्पीकर को 24 जुलाई 2020 तक इन सदस्यों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही पर सुनवाई करने से रोक दिया था. इस याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट का स्पीकर को कार्यवाही से रोकने का निर्देश गलत है. स्पीकर ने याचिका में हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की भी मांग की है.

उधर, इस याचिका के बाद सचिन पायलट ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैवियट दाखिल कर दी है ताकि उनका पक्ष सुने बगैर कोर्ट इस मामले में कोई एकतरफा आदेश जारी नहीं कर दे. इस वक्त जो सियासी हालात हैं, उसमें दोनों खेमे एक-दूसरे के विधायक तोड़ने की कोशिश कर सकते हैं.

सीएम गहलोत राजस्थान विधानसभा का सत्र भी बुला सकते हैं

यही नहीं, इस दौरान सीएम गहलोत राजस्थान विधानसभा का सत्र भी बुला सकते हैं. ऐसे समय में व्हिप जारी किया जाएगा, जिसका उल्लंघन करने पर विधायक की सदस्यता समाप्त हो सकती है. इस सारे राजनीतिक घटनाक्रम में बीजेपी के एक्सपोज होने के कारण उसे अब तक केवल सियासी बदनामी ही नसीब हुई है, लिहाजा बीजेपी नेता, कभी इस सियासी संग्राम में सचिन खेमे के समर्थन में तर्क-कुतर्क करने लग जाते हैं और कभी एकदम पल्ला झाड़ लेते हैं.

हालांकि, राजनीतिक दबाव बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियां प्रदेश में इन दस दिनों में सीएम गहलोत के करीबियों और रिश्तेदारों पर अब तक आधा दर्जन बड़ी कार्रवाइयां कर चुकी हैं. जानकारों का मानना है कि यदि समय रहते सचिन पायलट सरकार गिराने के लिए पर्याप्त संख्या में एमएलए नहीं जुटा पाते हैं, तो अंतिम सियासी दांव के तौर पर सीएम गहलोत को मात देने के लिए राष्ट्रपति शासन भी संभव है?

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