राजस्थान में संकटः सचिन पायलट के सामने दो वजनदार विकल्प हैं!, जानिए क्या

By प्रदीप द्विवेदी | Published: July 15, 2020 04:51 PM2020-07-15T16:51:02+5:302020-07-15T16:51:02+5:30

सचिन पायलट ने गलत सियासी चाल चलकर सीएम गहलोत के राजनीतिक मकसद को ही पूरा किया है. इसलिए, सीएम गहलोत कभी नहीं चाहेंगे कि पायलट पुनः राजस्थान में पुरानी सियासी हैसियत में लौट आएं, अलबत्ता पायलट खेमे के कई विधायकों को वे जरूर स्वीकार कर सकते हैं.

Rajasthan jaipur cm Ashok Gehlot congress bjp sachin pilot Crisis sonia gandhi | राजस्थान में संकटः सचिन पायलट के सामने दो वजनदार विकल्प हैं!, जानिए क्या

कांग्रेस में अशोक गहलोत के अलावा अब तक केवल सचिन पायलट ही मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा सकते थे. (file photo)

Highlightsसचिन पायलट के सामने जो सियासी विकल्प हैं, उनमें से दो ऐसे विकल्प हैं, जो उनके सियासी भविष्य के लिए बेहतर साबित हो सकते हैं.पायलट की पारिवारिक पृष्ठभूमि ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसी नहीं है. पायलट, बीजेपी के पाॅलिटिकल सिस्टम में लंबे समय तक नहीं चल पाएंगे.सियासी धैर्य के अभाव में राजस्थान में पायलट ने अपना ही राजनीतिक नुकसान कर लिया है.

जयपुरः राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही रस्साकशी के मद्देनजर कांग्रेस की ओर से एक बहुत बड़ा सियासी कदम उठाया जा चुका है कि पायलट को उप-मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, दोनों पदों से मुक्त कर दिया गया है.

जाहिर है, अब उनके लिए राजस्थान में बहुत बड़ी उम्मीद नहीं बची है. सचिन पायलट ने गलत सियासी चाल चलकर सीएम गहलोत के राजनीतिक मकसद को ही पूरा किया है. इसलिए, सीएम गहलोत कभी नहीं चाहेंगे कि पायलट पुनः राजस्थान में पुरानी सियासी हैसियत में लौट आएं, अलबत्ता पायलट खेमे के कई विधायकों को वे जरूर स्वीकार कर सकते हैं.

ऐसे विधायकों को पाला बदलने से रोकना भी पायलट के लिए आसान नहीं है. फिलहाल सचिन पायलट के सामने जो सियासी विकल्प हैं, उनमें से दो ऐसे विकल्प हैं, जो उनके सियासी भविष्य के लिए बेहतर साबित हो सकते हैं. वे कांग्रेस के केन्द्रीय संगठन में जनरल सेक्रेट्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर आ जाएं.

पना क्षेत्रीय दल बनाने के बजाय आम आदमी पार्टी, सपा जैसे संगठन में चले जाएं, जहां राजस्थान में उनके लिए आगे बढ़ने की बेहतर संभावनाएं हो सकती हैं, क्योंकि अपने खुद के नए क्षेत्रीय दल को स्थापित करना इतना आसान नहीं है, जबकि बीजेपी में जाने पर तो उनके सियासी भविष्य पर ही प्रश्नचिन्ह लग सकता है.

वैसे भी पायलट की पारिवारिक पृष्ठभूमि ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसी नहीं है. पायलट, बीजेपी के पाॅलिटिकल सिस्टम में लंबे समय तक नहीं चल पाएंगे. सियासी धैर्य के अभाव में राजस्थान में पायलट ने अपना ही राजनीतिक नुकसान कर लिया है.

राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत के अलावा अब तक केवल सचिन पायलट ही मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा सकते थे, लिहाजा वे धैर्य रखते तो उनका राजनीतिक भविष्य बहुत अच्छा था, जबकि भाजपा में वसुंधरा राजे के अलावा कई और नेता भी भविष्य की सियासी संभावनाओं पर नजर रखे हैं. राजस्थान में इस वक्त बीजेपी की सियासी दिलचस्पी केवल गहलोत सरकार गिराने को लेकर है, इसके बाद बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व क्या निर्णय करेगा, कोई नहीं जानता है!

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