राजस्थान में संकटः सीएम अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे का सियासी चक्रव्यूह तोड़ना आसान नहीं है?

By प्रदीप द्विवेदी | Published: July 15, 2020 02:50 PM2020-07-15T14:50:50+5:302020-07-15T14:50:50+5:30

सीएम अशोक गहलोत अस्सी के दशक से ही पूरे राजस्थान में सक्रिय रहे हैं, इस दौरान उन्होंने अनेक नेताओं से निजी सियासी रिश्ते बनाए हैं, तो वसुंधरा राजे धौलपुर से लेकर बांसवाड़ा तक पूरे राजस्थान की यात्राएं करती रही हैं.

Rajasthan jaipur CM Ashok Gehlot bjp Vasundhara Raje congress sachin pilot not easy to break the political circle | राजस्थान में संकटः सीएम अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे का सियासी चक्रव्यूह तोड़ना आसान नहीं है?

वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत के अलावा कोई ऐसा नेता नहीं है, जिसका सियासी असर और आधार पूरे राजस्थान में हो. (file photo)

Highlightsदोनों के अपने निजी और वफादार समर्थक पूरे प्रदेश में हैं, जिन्हें तोड़ना आसान नहीं है.राजनीतिक पकड़ तो उसी की रहेगी, जो पूरे प्रदेश में सक्रिय रहेगा, जो कार्यकर्ताओं, समर्थकों से सीधे तौर पर जुड़ा होगा. दोनों नेता पूरे राजस्थान में लगातार सक्रिय रहे हैं, जिसके कारण इन दोनों नेताओं का राजनीतिक प्रभाव और पहचान पूरे प्रदेश में है.

जयपुरः इन दो दशक से ज्यादा समय से राजस्थान की राजनीति में वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का एकाधिकार है. इसकी खास वजह यह है कि ये दोनों नेता पूरे राजस्थान में लगातार सक्रिय रहे हैं, जिसके कारण इन दोनों नेताओं का राजनीतिक प्रभाव और पहचान पूरे प्रदेश में है.

सचिन पायलट सहित कई अन्य नेताओं को भी राजनीतिक अवसर मिला है, परन्तु वे सोशल मीडिया पर भले ही सर्वत्र नजर आते हों, लेकिन हकीकत में केवल अपने क्षेत्र में ही सक्रिय रहे हैं, जिसकी वजह से वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत के अलावा कोई ऐसा नेता नहीं है, जिसका सियासी असर और आधार पूरे राजस्थान में हो.

इन दो नेताओं को छोड़कर ज्यादातर नेता एक तिहाई राजस्थान तक ही अपने सियासी असर को दिखा पाए हैं. सचिन पायलट वैसे तो लंबे समय तक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे, लिहाजा प्रदेशभर के नेता उनके संपर्क में रहे, किन्तु उनकी सक्रियता उत्तर-पूर्वी राजस्थान में ही ज्यादा रही.

इसी तरह बीजेपी नेता गजेन्द्र सिंह शेखावत पश्चिम राजस्थान में ही सक्रिय हैं. कभी भाजपा से जुदा होकर अपना अलग दल बनाने वाले घनश्याम तिवाड़ी, राजधानी जयपुर के आसपास ही सक्रिय रहे, तो हनुमान बेनिवाल, जाटों के विशेष प्रभाव वाले क्षेत्र में ही राजनीति करते रहे हैं.

सीएम अशोक गहलोत अस्सी के दशक से ही पूरे राजस्थान में सक्रिय रहे हैं, इस दौरान उन्होंने अनेक नेताओं से निजी सियासी रिश्ते बनाए हैं, तो वसुंधरा राजे धौलपुर से लेकर बांसवाड़ा तक पूरे राजस्थान की यात्राएं करती रही हैं. इन दोनों के अपने निजी और वफादार समर्थक पूरे प्रदेश में हैं, जिन्हें तोड़ना आसान नहीं है.

सियासी सयानों का मानना है कि सोशल मीडिया के दम पर देश-प्रदेश में अच्छी-खासी पहचान तो बनाई जा सकती है, परन्तु राजनीतिक पकड़ तो उसी की रहेगी, जो पूरे प्रदेश में सक्रिय रहेगा, जो कार्यकर्ताओं, समर्थकों से सीधे तौर पर जुड़ा होगा. इसीलिए, अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे का सियासी चक्रव्यूह तोड़ना आसान नहीं है!

Web Title: Rajasthan jaipur CM Ashok Gehlot bjp Vasundhara Raje congress sachin pilot not easy to break the political circle

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