राजस्थान चुनावः 25 लोक सभा सीटों के कारण सीएम राजे के खिलाफ मौन है केन्द्रीय भाजपा?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: November 14, 2018 12:44 PM2018-11-14T12:44:53+5:302018-11-14T12:44:53+5:30
राजस्थान में विस चुनाव की पहली सूची जारी हुई और साफ हो गया कि राजस्थान के मामलों में सीएम वसुंधरा राजे का एकाधिकार है!
राजस्थान की राजनीति में बतौर मुख्यमंत्री सीएम राजे ने कदम रखा, उसके बाद कोई बड़ा सियासी फैसला राजे की मर्जी के बगैर नहीं हो पाया है, चाहे राजे सत्ता में रहीं या नहीं रहीं. कभी राजे के खिलाफ दिग्गज नेता किरोड़ी लाल मीणा गए तो कभी गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया, लेकिन बात बनी नहीं. इस बार शुरूआत से ही प्रमुख नेता घनश्याम तिवाड़ी, सीएम राजे का विरोध करते रहे, परन्तु केन्द्रीय भाजपा राजे के खिलाफ कोई सियासी कदम नहीं उठा पाई. अंततः तिवाड़ी ने ही भाजपा छोड़ दी और अपनी अलग पार्टी- भावापा बना ली. अब तिवाड़ी बाहर से सीएम राजे को चुनौती दे रहे हैं, किन्तु कामयाबी कितनी मिलेगी? यह चुनावी नतीजों के बाद ही स्पष्ट होगा!
ऐसा नहीं है कि राजस्थान भाजपा में राजे के सियासी विरोधी नहीं हैं, परन्तु उनके दम पर केन्द्रीय भाजपा, सीएम राजे के खिलाफ नहीं जा सकती है, क्योंकि राजस्थान में भाजपा पर सीएम राजे की मजबूत पकड़ है और यदि वह जीतने की हालत में नहीं हों तब भी भाजपा के पास कोई बड़ा विकल्प नहीं है.
सीएम राजे के कमजोर सियासी समय में जब राजस्थान में भाजपा उपचुनाव हार गई थी, तब सीएम राजे विरोधी सक्रिय हुए थे और केन्द्रीय भाजपा का अप्रत्यक्ष समर्थन भी मिला था, किन्तु वे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी को हटाने में तो जरूर सफल रहे, पर केन्द्रीय भाजपा अपनी मर्जी का भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नहीं बना पाई. विस चुनाव के पहले, मोदी तुमसे बैर नहीं, रानी तुमरी खैर नहीं जैसे नारे उछले अवश्य, लेकिन ज्यादा चल नहीं पाए.
दरअसल, केन्द्रीय भाजपा और सीएम राजे टीम के बीच इस वक्त सियासी युद्धविराम है, क्योंकि यदि केन्द्रीय भाजपा, सीएम राजे की नहीं चलने देगी तो राजस्थान की प्रादेशिक सत्ता तो जाएगी ही, लोकसभा की पच्चीस सीटों पर भी प्रश्नचिन्ह लग जाएगा?
सियासी सारांश यही है कि- भाजपा के भीतर चाहे कुछ भी चल रहा हो, परन्तु पच्चीस लोकसभा सीटों के कारण केन्द्रीय भाजपा को सीएम राजे के खिलाफ मौन रहना होगा! याद रहे, पिछले आम चुनाव- 2014 में भाजपा ने राजस्थान में 25 में से 25 सीटों पर जीत दर्ज करवाई थी, सवाल यह है कि- यदि सीएम राजे की नहीं सुनी गई तो लोकसभा चुनाव में कितनी सीटे जीत पाएगी भाजपा?