मायावती ने रखी ऐसी शर्त, तिलमिला गई कांग्रेस, नहीं माने राहुल तो टूटे जाएगा महागठबंधन का सपना
By भारती द्विवेदी | Published: July 22, 2018 01:44 PM2018-07-22T13:44:17+5:302018-07-22T13:44:17+5:30
वहीं राजस्थान में फिलहाल कांग्रेस दूसरे नंबर की पार्टी है। लेकिन राजस्थान कांग्रेस का गढ़ है। वहां पर हर पांच साल बाद सत्ता कभी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) या कांग्रेस बीच घूमते रहती है।
नई दिल्ली, 22 जुलाई: 2019 लोकसभा चुनाव को लेकर देश की सभी बड़ी-छोटी पार्टियों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। लोकसभा से पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बहुजन समाजवाजदी पार्टी (बीएसपी) प्रमुख मायावती ने शनिवार (21 जुलाई) को दिल्ली में एक बैठक की है। दिल्ली में हुई उस बैठक में मायावती ने तीन राज्यों के समन्वयकों, जिलाध्यक्षों और विधायकों से बात की है। उन सभी को अकेले दम पर चुनावी तैयारी में जुटने को कहा है। हालांकि इन राज्यों में वो कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़ेगी या नहीं उन्होंने इस पर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया। लेकिन उसके बाद भी मायावती अपने शर्तों पर चुनाव की तैयारी कर रही हैं।
दरअसल, कांग्रेस को लगता है कि वह राजस्थान में आसानी से जीत सकती है। इसकी इस फैसले को लेकर वह थोड़ा असमंजस में है। वहीं छत्तीसगढ़ में भी बीएसपी का अपना वोट बैंक है। बीएसपी चाहती है कि कांग्रेस अगर गठबंधन करे तो पार्टी को ठीक-ठाक सीटों पर चुनाव लड़ने की छूट दे। इन शर्तों को लेकर कांग्रेस थोड़े असमंजस में है। हालांकि कांग्रेस महागठबंधन के सपने को साकार करने में लगी हुई है। कांग्रेस चाहती है कि साल 2019 में चुनाव भारतीय जनता पार्टी बनाम देश की सभी पार्टियां लड़ा जाए।
वहीं राजस्थान में फिलहाल कांग्रेस दूसरे नंबर की पार्टी है। लेकिन राजस्थान कांग्रेस का गढ़ है। वहां पर हर पांच साल बाद सत्ता कभी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) या कांग्रेस बीच घूमते रहती है। इस वजह से राजस्थान के दिग्गज कांग्रेस नेता सचिन पायलट वहां पर बीएसपी के साथ गठबंधन में नहीं जाना चाहते हैं। कांग्रेस ये चाहती कि बसपा सिर्फ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के लिए उसके साथ गठबंधन करे। जबकि मायावती चाहती हैं कि गठबंधन तीनों जगह पर हो। लेकिन कांग्रेस इस बात के लिए तैयार नहीं है। मायावती जहां तीन जगह गठबंधन की बातों लेकर अड़ी हैं, वहीं कांग्रेस ने भी कह दिया है कि आप फैसला करें कि आपको साथ आना है या नहीं। अब ये दोनों ही पार्टी गठबंधन में लड़ेगी या नहीं इसका फैसला मायावती को करना है।
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