अशोक गहलोत ने बुलाई मत्रिपरिषद की बैठक, विधानसभा के सत्र पर फंसा है सियासी पेंच?
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 25, 2020 11:37 AM2020-07-25T11:37:09+5:302020-07-25T11:56:45+5:30
राजस्थान सरकार विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए एक संशोधित प्रस्ताव राज्यपाल कलराज मिश्र को भेजेगी। मंत्रिपरिषद से मंजूरी के बाद ही संशोधित प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा जाएगा।
जयपुरः राजस्थान में सियासी घमासान मचा हुआ है। जहां एक ओर कांग्रेस आज पार्टी के सभी मुख्यालयों पर 'बीजेपी द्वारा लोकतंत्र की हत्या का षड्यंत्र' के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है। वहीं, दूसरी ओर सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज मंत्रिपरिषद की बैठक बुलाई है, जिसमें कई मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है।
राजस्थान सरकार विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए एक संशोधित प्रस्ताव राज्यपाल कलराज मिश्र को भेजेगी। मंत्रिपरिषद से मंजूरी के बाद ही संशोधित प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की शुक्रवार देर रात हुई बैठक में उन बिंदुओं पर विचार किया गया जो सत्र बुलाने के सरकार के प्रस्ताव पर राज्यपाल ने उठाए हैं।
Rajasthan CM Ashok Gehlot calls a meeting of the council of ministers today. #RajasthanPoliticalCrisis
— ANI (@ANI) July 25, 2020
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उल्लेखनीय है कि राज्यपाल ने सरकार के पहले प्रस्ताव पर कुछ बिंदु उठाते हुए राज्य सरकार के संसदीय कार्य विभाग से कहा कि वह इन बिंदुओं के आधार पर स्थिति पेश करे। राजभवन द्वारा जिन छह बिंदुओं को उठाया गया है उनमें से एक यह भी है कि राज्य सरकार के पास बहुमत है तो विश्वास मत प्राप्त करने के लिए सत्र आहूत करने का क्या औचित्य है? इसके साथ ही इसमें कहा गया है कि विधानसभा सत्र किस तिथि से आहूत किया जाना है, इसका उल्लेख कैबिनेट नोट में नहीं है और ना ही कैबिनेट द्वारा कोई अनुमोदन प्रदान किया गया है।
राजस्थान में मौजूदा सीटों का समीकरण
साल 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस द्वारा अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से ही सचिन पायलट नाराज चल रहे थे। राजस्थान की 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 107 और बीजेपी के पास 72 विधायक हैं। यदि 19 बागी विधायकों को अयोग्य करार दिया जाता है तो राज्य विधानसभा की मौजूदा प्रभावी संख्या घटकर 181 हो जाएगी, जिससे बहुमत का जादुई आंकड़ा 91 पर पहुंच जाएगा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए बहुमत कायम रखना आसान होगा।