जब नायडू ने छाया वर्मा से कहा-कहां हैं? सर, मैं श्रीमती छाया वर्मा, लोकसभा गैलरी से बोल रही हूं
By भाषा | Published: September 15, 2020 04:56 PM2020-09-15T16:56:32+5:302020-09-15T16:56:32+5:30
मंगलवार को सुबह राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान सभापति नायडू ने छाया वर्मा का नाम लिया ताकि वह अपना मुद्दा उठा सकें। नायडू ने फिर पूछा- ‘‘छाया जी, कहां हैं?’’ इस पर छाया वर्मा ने कहा, ‘‘ सर, मैं श्रीमती छाया वर्मा, लोकसभा गैलरी से बोल रही हूं। वैसे मैं राज्यसभा की सदस्य हूं।’’
नई दिल्लीः राज्यसभा के सदस्य मंगलवार को उस समय अपनी हंसी नहीं रोक सके जब सभापति एम वेंकैया नायडू ने लोकसभा गैलरी में बैठीं कांग्रेस सदस्य छाया वर्मा से कहा कि उन्होंने सदस्य की पदावनति नहीं की है।
मंगलवार को सुबह राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान सभापति नायडू ने छाया वर्मा का नाम लिया ताकि वह अपना मुद्दा उठा सकें। नायडू ने फिर पूछा- ‘‘छाया जी, कहां हैं?’’ इस पर छाया वर्मा ने कहा, ‘‘ सर, मैं श्रीमती छाया वर्मा, लोकसभा गैलरी से बोल रही हूं। वैसे मैं राज्यसभा की सदस्य हूं।’’
इसके बाद छाया वर्मा ने मनरेगा को लेकर अपनी बात रखी। जब उनकी बात पूरी हो गयी तो नायडू ने कहा, "सदस्यों को कहीं भी बैठने के लिए मैंने अनुमति दी है। मगर यह आपके डिमोशन (पदावनति) यानी निचले सदन (लोकसभा) में भेजने के लिए नहीं है। यह गुलाम नबी आजाद जी, आनंद शर्मा जी और और (जयराम) रमेश जी ने मिलकर किया है। मैं इसके लिए जिम्मेदार नहीं हूं।’’ इस पर सदस्य अपनी हंसी नहीं रोक सके।
लोकसभा में बसपा सदस्य ने उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने की मांग उठाई
लोकसभा में मंगलवार को उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने की मांग उठाते हुए बहुजन समाज पार्टी के एक सदस्य ने कहा कि इससे न सिर्फ खुशहाली आएगी बल्कि दलित व पिछड़ों को भी मुख्यमंत्री बनने का मौका मिलेगा। बसपा के मलूक नागर ने शून्य काल के दौरान इस विषय को उठाते हुए कहा कि 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने उत्तर प्रदेश को चार भागों में बांटने के लिए एक प्रस्ताव पारित कराकर केंद्र सरकार को भेजा था।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए। नागर ने कहा कि राज्य के बंटवारे से दलितों और अकलियतों के लिए कई रास्ते खुलेंगे। उन्होंने कहा कि इससे लोगों में खुशहाली आएगी और उच्च न्यायालयों जैसी अन्य सुविधाएं भी मिल सकेंगी।
बसपा प्रमुख और तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने 2012 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तर प्रदेश को चार राज्यों पूर्वांचल, बुंदेलखण्ड, पश्चिम प्रदेश और अवध प्रदेश में बांटने का प्रस्ताव पारित कराकर केन्द्र के पास भेजा था। हालांकि कुछ ही महीने बाद प्रदेश में सपा की सरकार बनने के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था।