चीन के मामले पर सदन में विपक्षी दलों ने एकजुट होकर कहा- LAC पर अप्रैल की यथास्थिति बहाल करे सरकार
By भाषा | Published: September 17, 2020 05:29 PM2020-09-17T17:29:46+5:302020-09-17T17:29:46+5:30
शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि हम पूरी तरह से जवानों के साथ खडे हैं और संयम, शौर्य हमारी परंपरा रही है। लेकिन चीन की परंपरा विश्वासघात की रही है और हमें उससे सावधान रहना होगा।
नयी दिल्ली: राज्यसभा में बृहस्पतिवार को विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने सरकार से भारत-चीन सीमा पर इस साल अप्रैल वाली यथास्थिति बहाल करने को कहा। उच्च सदन में विभिन्न पार्टियों के सदस्यों ने दलगत भावना से ऊपर उठते हुए सशस्त्र बलों के प्रति अपनी एकजुटता जतायी जो पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना के खिलाफ सामने खड़े हैं।
कांग्रेस नेताओं गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने सरकार से अप्रैल वाली यथास्थिति बहाल करने और सीमा गतिरोध को हल करने के लिए प्रयास करने को कहा। बीजद के प्रसन्न आचार्य, शिवसेना के संजय राउत सहित कुछ सदस्यों ने सरकार से कहा कि वर्तमान स्थिति में चीन के साथ कोई भी समझौता करते समय वह सावधान रहे।
इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख की स्थिति के संबंध में राज्यसभा में एक बयान दिया। सरकार और विपक्ष की सहमति बनी थी कि इस संवेदनशील मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं होगी। सभापति एम वेंकैया नायडू ने हालांकि सदस्यों को बयान पर कुछ स्पष्टीकरण मांगने की अनुमति दी। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि इस बारे में कोई शंका नहीं रहनी चाहिए कि भारत में एकता नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि पूरे देश से यह आवाज गूंजनी चाहिए कि हमें अपनी सेना पर गर्व है। शर्मा ने जोर दिया कि सीमा पर दोनों देशों के बीच तनाव पैदा होने के पहले वाली स्थिति बहाल होनी चाहिए।
पूर्व रक्षा मंत्री एंटनी ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी कभी विवादित स्थान नहीं था। उन्होंने कहा कि गलवान घाटी में एंटनी ने उच्च सदन में सिंह के बयान पर स्पष्टीकरण मांगते हुए कहा, "आपको स्पष्ट करना होगा कि संप्रभुता का मतलब अप्रैल के मध्य तक की यथास्थिति है।’ पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी कभी विवादित स्थल नहीं थी।
उन्होंने कहा कि गलवान घाटी में भी हमारे सैनिकों को अब उस बिंदु तक गश्त करने की अनुमति नहीं है, जहां वे पहले गश्त करते थे। सदन में नेता प्रतिपक्ष आजाद ने कहा कि देश की एकता और अखंडता के मुद्दे पर हम सब एक हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी चीन के साथ विवाद के मुद्दे पर पूरी तरह से सरकार के साथ खड़ी है। लेकिन कोई समझौता नहीं होना चाहिए और अप्रैल में वे (चीनी सैनिक) जहां थे, उन्हें वहीं जाना चाहिए।
जद (यू) के आरसीपी सिंह ने कहा ‘‘चीन एक कृतघ्न देश रहा है। हमने उन्हें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता में मदद की, हमने पंचशील पर जोर दिया लेकिन उन्होंने बदले में आक्रामकता दिखायी।’’ सिंह ने कहा कि हमें पूरी मजबूती से उनके साथ बातचीत करनी चाहिए।
शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि हम पूरी तरह से जवानों के साथ खडे हैं और संयम, शौर्य हमारी परंपरा रही है। लेकिन चीन की परंपरा विश्वासघात की रही है और हमें उससे सावधान रहना होगा। आप के संजय सिंह ने कहा कि इस मुद्दे पर हम पूरी तरह से सरकार और सेना के साथ खडे हैं। चर्चा में सपा के रवि प्रकाश वर्मा, राजद के प्रेमचंद गुप्ता, द्रमुक के पी विल्सन और टी शिवा, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, बीजद के प्रसन्न आचार्य, बसपा के वीर सिंह ने भी भाग लिया तथा उन्होंने सेना के साथ खड़े रहने की प्रतिबद्धता जतायी ।