तेल अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कौड़ियों के भाव, फिर भी भंडारण क्यों नहीं कर रहा भारत: कांग्रेस
By शीलेष शर्मा | Published: April 22, 2020 07:04 AM2020-04-22T07:04:41+5:302020-04-22T07:04:41+5:30
भारत तेल का सर्वाधिक आयात करने वाले 10 देशों में शामिल है। ऐसे में कांग्रेस ने सवाल खड़ा किया है कि भंडारण क्षमता होने के बावजूद भारत ने कच्चा तेल खरीदने से इंकार किया है।
कच्चे तेल की कीमतों को लेकर दुनिया में छिड़ी जंग के बीच डब्लूटीआई कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट ने वायदा भाव 3. 70 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचा दिया. उल्लेखनीय है कि ईरान पर लगे प्रतिबंधों के बाद भारत अमेरिका से कच्चे तेल का आयात कर रहा है।
इस गिरावट के बाद भारत सरकार के उस फैसले से सभी चिंतित हैं कि भंडारण क्षमता होने के बावजूद आखिर क्यों भारत ने कच्चा तेल खरीदने से इंकार किया है और वह क्यों सस्ते दामों में खरीद कर उस मुनाफे का लाभ उपभोक्ता को नहीं दे देता.
तेल का सर्वाधिक आयात करने वाले 10 देशों में भारत शामिल है फिर भी इस अवसर का लाभ नहीं उठा रहा है. कांग्रेस ने आज इसी सवाल को उठाते हुए पूछा, सरकार देश को बताए कि जब अमेरिका कच्चा तेल कौडि़यों के भाव बेच रहा है तब भारत भंडारण क्षमता होते हुए भी तेल के आयात से इंकार क्यों कर रहा है.
पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सरकार को सलाह दी कि पिछले 6 वर्षों में सरकार ने उपभोक्ताओं से करों के नाम पर तेल और डीजल से 20 लाख करोड़ कमा लिए लेकिन जब अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में तेल की कीमत कौडि़यों के भाव हैं तब तो सरकार उसका लाभ उपभोक्ताओं को दे सकती है.
उन्होंने सरकार को यह समझाने की भी कोशिश की कि तेल के दाम कम होने पर उसका लाभ सभी को मिल सकता है, यह तभी संभव है यदि माल ढुलाई करने वाले सस्ती दरों पर डीज़ल प्राप्त करें, सब्जियों के दाम काम होंगे. मध्यम वर्ग को भी राहत होगी,उसकी जेब में बचत का पैसा होने का अर्थ है बाज़ार में उत्पादों की खरीद में इज़ाफा.
राहुल गांधी ने भी तेल की गिरती कीमतों पर ट्वीट कर कहा 'दुनियां में कच्चे तेल की कीमतें अप्रत्याशित आंकड़ों पर आ गिरी हैं, फिर भी हमारे देश में पेट्रोल 69 रु पए,डीज़ल 62 रु पए प्रति लीटर क्यों ? इस विपदा में जो दाम घटे ,सो अच्छा. कब सुनेगी यह सरकार ?