Happy Birthday Narendra Modi: अमित शाह के बिना अधूरा है नरेंद्र मोदी की जिंदगी का किस्सा, उतार-चढ़ाव में कभी नहीं छूटा साथ

By आदित्य द्विवेदी | Published: September 17, 2018 07:26 AM2018-09-17T07:26:01+5:302018-09-17T07:33:36+5:30

Narendra Modi Birthday: राजनीति में मोदी-शाह की जोड़ी की मिसाल दी जाती है। पिछले 35 सालों से दोनों एक-दूसरे के पूरक बने हुए हैं। जानें उनकी दोस्ती के कुछ रोचक किस्से...

Narendra Modi Birthday Special: Narendra Modi and Amit Shah Friendship interesting Story in Hindi | Happy Birthday Narendra Modi: अमित शाह के बिना अधूरा है नरेंद्र मोदी की जिंदगी का किस्सा, उतार-चढ़ाव में कभी नहीं छूटा साथ

Narendra Modi Birthday: Narendra Modi - Amit Shah Friendship Story

साल 1995 की बात है। गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 182 में से 121 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस जीत में पार्टी सचिव के तौर पर नरेंद्र मोदी के अथक परिश्रम का बड़ा योगदान था। दिग्गज नेता केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया। नरेंद्र मोदी नंबर-दो बने। ये बात मुख्यमंत्री पद के एक और दावेदार शंकर सिंह वाघेला को पसंद नहीं आई। विधायक का बड़ा समर्थन होने के बावजूद वो ना तो सीएम बन सके ना ही नंबर दो। वाघेला ने बगावत कर दी। स्थिति नियंत्रण से बाहर जाता देख बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व सक्रिय हो गया। 1995 में नरेंद्र मोदी को गुजरात से दिल्ली बुलाने का फैसला किया गया। ये एक तरीके से राजनीतिक वनवास था। इस कठिन घड़ी में भले ही पार्टी आलाकमान से लेकर कई सहयोगियों तक ने नरेंद्र मोदी का साथ छोड़ दिया हो लेकिन एक शख्स उनके साथ हमेशा रहे। नाम था अमित शाह।

साल 2010 की बात है। सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ के आरोप में अमित शाह को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। सीबीआई ने 25 जुलाई 2010 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन्हें करीब तीन महीने तक जेल में रहना पड़ा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शाह के जेल जाने के बाद मोदी खोए से रहते थे और उन्हें जेल से बाहर निकालने की जुगत लगाते थे। मोदी ने इस दौरान शाह के परिवार का भी पूरा ख्याल रखा। जेल से छूटने के बाद भी अमित शाह को गुजरात में प्रवेश पर रोक लगा दी गई। हालांकि बाद में इस मामले में अमित शाह को क्लीन चिट मिल गई।

ये दो घटनाएं मोदी-शाह की दोस्ती की गवाह हैं। 35 साल की दोस्ती में उतार-चढ़ाव के बीच दोनों एक-दूसरे के पूरक बने रहे। इसी का नतीजा है कि 2014 के चुनाव में मोदी का करिश्मा और शाह की रणनीति ने भारतीय जनता पार्टी को अप्रत्याशित सफलता दिलाई। जानिए, मोदी-शाह की दोस्ती का रोमांचक सफरनामा-

- 80 के दशक के शुरुआती सालों में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की वैचारिक पृष्ठभूमि में दोनों की मुलाकात हुई थी। उस वक्त अमित शाह युवा कार्यकर्ता थे और नरेंद्र मोदी संघ प्रचारक। 1984 में नरेंद्र मोदी को अहमदाबाद जिले का प्रचारक बनाया गया और अमित शाह भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता बन गए। इसके बाद दोनों में घनिष्ठता बढ़ी।

- अमित शाह की मुद्दों की समझ और सुझाव नरेंद्र मोदी को बहुत प्रभावित करते थे। 1986 में नरेंद्र मोदी के गुजरात बीजेपी का सचिव बनाए जाने के बाद अमित शाह को बड़ी जिम्मेदारियां दी गई। मसलन- बूथ मैनेजमेंट और रणनीति बनाना। 1996 में जब केशुभाई पटेल के खिलाफ जाने पर मोदी का बुरा दौर आया, उस वक्त भी शाह उनके साथ रहे।

- मोदी ने 2001 में गुजरात की राजनीतिक जमीन पर अपनी दूसरी पारी शुरू की। मोदी के मुख्यमंत्री बनने के बाद 38 वर्षीय अमित शाह एक ऐसे युवा नेता बने जिन्हें कैबिनेट के 17 महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो दिए गए थे।

- 2003 में जब गुजरात में दोबारा नरेंद्र मोदी की सरकार बनी, तब अमित शाह को राज्य मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया और गृह मंत्रालय सहित कई जिम्मेदारियां सौंपीं। उसके बाद अमित शाह बहुत ही जल्द नरेंद्र मोदी के सबसे करीबी बन गए।

- 2010 में सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले की जांच अमित शाह तक पहुंची तो नरेंद्र मोदी उनके साथ खड़े रहे। जेल जाने के बाद मोदी ने शाह के परिवार की देखभाल की।

- 2014 में नरेंद्र मोदी बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनाए गए। अमित शाह उत्तर प्रदेश लोक सभा चुनाव 2014 में भाजपा की जीत के प्रमुख रणनीतिकार और शख्सियत बनकर उभरे। चुनाव जीतने के बाद मोदी ने शाह पर एक बार फिर अपना अपना विश्वास जताया और उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जैसी टीम शायद ही किसी की हो। दोनों एक दूसरे पर भरोसा करते हैं, सहयोग करते हैं और समझते हैं। नरेंद्र मोदी और अमित शाह के कद में बराबरी भले ही ना हो लेकिन इसे भारतीय राजनीति की सबसे मजबूत जोड़ी माना जाता है। एक तरफ मोदी विजनरी हैं वहीं शाह उनकी सोच में रंग भरने का काम करते हैं। मोदी के विजन को शाह की रणनीति धरातल पर लाकर सच कर देती है। शाह की स्मार्टनेस, राजनीतिक समझ और इन सबसे बढ़कर मोदी का दिमाग बढ़ने की क्षमता उन्हें एक-दूसरे की जरूरत बनाती है। दोस्ती की मिसाल देने के लिए रमेश सिप्पी की फिल्म 'शोले' के जय वीरू की मिसाल दी जाती है। दोस्ती के फलक पर मोदी-शाह की जोड़ी भी किसी जय-वीरू से कम नहीं है। मोदी के हर फैसले को शाह बिना कहे भी पढ़ लेते हैं और शाह की हर रणनीति पर मोदी की सहमति होती है।

English summary :
Happy Birthday Narendra Modi. Read the interesting story behind India's prime minister narendra mosi and amit shah's friendship on Narendra Modi's birthday.


Web Title: Narendra Modi Birthday Special: Narendra Modi and Amit Shah Friendship interesting Story in Hindi

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