मानसून सत्रः विपक्ष तैयार, कांग्रेस बना रही है रणनीति, मोदी सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की तैयारी
By शीलेष शर्मा | Published: September 4, 2020 08:42 PM2020-09-04T20:42:57+5:302020-09-04T20:42:57+5:30
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार 11 -12 सितंबर को कांग्रेस विपक्ष के नेताओं की बैठक बुलाकर अपनी साझा रणनीति को अमल में लाने की प्रक्रिया तैयार करने के साथ साथ उन मुद्दों को चिन्हित करेगी जो सदन में उठाये जाने हैं।
नई दिल्लीः संसद के मानसून सत्र में कांग्रेस विपक्ष के साथ मिलकर साझा रणनीति के तहत हमलावर होगी, उसकी कोशिश होगी कि पहले दिन ही हंगामा कर मोदी सरकार को घेरा जाये।
दरअसल सरकार जिस तरह असहमति के स्वर को दबाने और संघीय ढांचे पर हमला कर रही है, उसे लेकर गैर एनडीए सरकारों से तालमेल बैठा कर सदन के अंदर और बाहर हमला किया जायेगा। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार 11 -12 सितंबर को कांग्रेस विपक्ष के नेताओं की बैठक बुलाकर अपनी साझा रणनीति को अमल में लाने की प्रक्रिया तैयार करने के साथ साथ उन मुद्दों को चिन्हित करेगी जो सदन में उठाये जाने हैं।
कांग्रेस ने जिन मुद्दों को रेखांकित किया है उनमें सरकार द्वारा लाये गये 4 अध्यादेश हैं, जिनके खिलाफ कांग्रेस सदन में हंगामा खड़ा करने की योजना बना चुकी है। लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने बतया कि पार्टी द्वारा गठित 10 सदस्यों समिति की अभी पहली बैठक हुयी है।
14 सितंबर से पहले रणनीति बनाने के लिये अभी 4 -5 बैठकें और होनी है, इसी बीच सपा, द्रमुक, टीएमसी, एनसीपी, वाम दलों सहित अन्य दलों से चर्चा होगी। कुछ दलों के साथ बातचीत जारी है शेष से बातचीत सत्र शुरू होने से पहले पूरी हो जायेगी।
विपक्ष जिन मुद्दों पर सरकार को घेरने और हमलावर होने की कोशिश करेगा उनमें गिरती अर्थव्यबस्था, कोरोना, बेरोज़गारी ,चीनी घुसपैठ, जीएसटी सहित दूसरे मुद्दे शामिल होंगे। आनंद शर्मा के अनुसार सदन में अपनाई जाने वाली रणनीति सदन शुरू होने पर सदन की बैठक से पूर्व निर्धारित होगी लेकिन मुद्दे साफ़ हैं जिनको लेकर पार्टी का रुख आक्रामक रहने वाला है।
सरकार ने कहा कि संसद सत्र में हर सवाल के जवाब को तैयार
सरकार ने कहा कि वह आगामी मनसून सत्र में संसद में पूछे गये हर प्रश्न का उत्तर देगी और रोजाना 160 ‘अतारांकित’ प्रश्नों के उत्तर दिये जाएंगे। सूत्रों ने यह जानकारी दी। प्रश्नकाल नहीं चलाने को लेकर विपक्ष के आरोपों पर जवाब देते हुए सरकार के सूत्रों ने कहा कि पहली बार ऐसा नहीं हो रहा कि किसी सत्र में प्रश्नकाल नहीं चलेगा। 2004 और 2009 में भी प्रश्नकाल नहीं हुआ था।
इसके अलावा विभिन्न कारणों से 1991 में और उससे पहले 1962, 1975 तथा 1976 में भी प्रश्नकाल नहीं हुआ था। राज्यसभा के एक विश्लेषण में सामने आया है कि पिछले पांच साल में प्रश्नकाल के 60 प्रतिशत समय का इस्तेमाल नहीं किया गया और केवल 40 प्रतिशत समय का उपयोग किया गया। सूत्रों ने कहा कि पहली बार 1975 और 1976 में आपातकाल के दौरान प्रश्नकाल नहीं हुआ था। जब विपक्ष के नेताओं और मीडिया को छोड़कर बाकी सब सामान्य था। तब विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था और मीडिया पर पाबंदी लगा दी गयी थी।
सरकार ने दलील दी है कि उसके विपरीत इस समय देश में कोविड-19 महामारी के कारण वास्तविक स्वास्थ्य आपातकाल है और सत्र अत्यंत असामान्य परिस्थितियों में आयोजित किया जा रहा है जहां समय की भी कमी है। लोकसभा और राज्यसभा के पीठासीन अधिकारियों को संसदीय कार्य मंत्रालय की ओर से भेजे गये पत्र में सूचित किया गया है कि सरकार ने विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ परामर्श किया है तथा एक राजनीतिक दल को छोड़कर इस बात की व्यापक आम-सहमति है कि प्रश्नकाल नहीं चलाया जाए।