मोदी सरकार देश की अर्थव्यवस्था को पूरी ताकत के साथ बर्बाद करने पर उतारू है: राहुल गांधी
By शीलेष शर्मा | Published: June 6, 2020 05:25 PM2020-06-06T17:25:33+5:302020-06-06T17:25:33+5:30
कोरोना महामारी के कारण देश में बड़े पैमाने पर इकाइयां बंद हो गयी है जिससे करोड़ो लोग बेरोज़गार हुए हैं।
नई दिल्ली:नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए की जा रही कोशिशों को खारिज़ करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर आज फिर सीधा हमला किया है। उन्होंने कहा की मोदी सरकार देश की अर्थव्यवस्था को पूरी ताकत के साथ बर्बाद करने पर उतारू है क्योंकि वह देश के गरीब तथा छोटे उद्योगों के हाथों में सीधे पैसा नहीं देना चाहती है।
गौरतलब है की कोरोना महामारी के कारण देश में बड़े पैमाने पर इकाइयां बंद हो गयी है जिससे करोड़ो लोग बेरोज़गार हुए हैं। बेरोज़गार लोगों की संख्या में लगभग 28 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है। हैरत की बात की जब समूची दुनिया साइकिल दिवस मना रही थी, ठीक उसी समय देश की सबसे पुरानी साइकिल बनाने वाली कंपनी एटलस की गाज़ियाबाद फैक्ट्री को बंद करना पड़ा और एक हज़ार से अधिक लोग एक झटके में ही बेरोज़गार हो गए।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस दर्द को अपनी आवाज़ दी और ट्वीट किया , "लोगों की नौकरियां बचाने के लिए सरकार को अपनी नीतियां और योजना स्पष्ट करनी पड़ेगी। उन्होंने गन्ना किसानो का भी मुद्दा उठाया की आर्थिक तंगी के बावजूद राज्य सरकार आखिर क्यों गन्ने का भुगतान नहीं कर रही।
कोरोना के कारण फैक्टरियां और कंपनियां बंद हुई और लोग बेरोज़गार हो गए। मुश्किल हालातों में यह लोग पलायन कर अपने अपने गांव तो पहुंच गए लेकिन वहां भी इनके सामने रोज़ी रोटी का बड़ा संकट खड़ा है। कुछ दिन गांव में बिताने के बाद अब बेरोज़गार नौजवान रोज़गार के लिए दर दर भटक रहे हैं।
उत्तर प्रदेश और बिहार के बेरोज़गार नौजवान इसके सबसे अधिक शिकार हुए हैं। कंपनियों में काम करने वाले ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट मनरेगा के तहत काम पर जा रहे हैं। राजधानी दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में जहाँ तमाम उधोगिक इकाइयां हैं, 30 साल के दिनेश को एमबीए मार्केटिंग की डिग्री हासिल करने के बावजूद पास के इलाक़ो में मनरेगा के तहत दिहाड़ी मज़दूरी करनी पड़ रही है।
यह तो महज़ एक बानगी है। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में तो हालत और भी ज़्यादा खराब हैं। नौकरी पाने के लिए नौजवान बेरोज़गारो ने अपने मोबाइल नंबर फैक्टरियों की दीवारों पर लिखने शुरू कर दिए हैं , जिसके नीचे लिखा है "काम हो तो हमें बुलाएं"।
पंजाब , महाराष्ट्र , कर्नाटक जैसे राज्यों में उत्तर प्रदेश और बिहार से बड़ी संख्या में लोग काम के लिये जाते हैं लेकिन कोरोना महामारी ने उनका काम छीन लिया और अब वह बेरोज़गार हैं।
यह हालात देश के अंदर ही नहीं देश के बाहर भी हैं। पैसे कमाने के लिए विदेशो में गए भारतीय भी अब वहां बेरोज़गार हो रहे हैं, यह बेरोज़गार कुछ तो स्वदेश लौट आये और कुछ लौटने की तैयारी में हैं क्योंकि वह पहले वहीँ हाथ पैर मार लेना चाहते हैं, यदि सफलता नहीं मिलती है तो स्वदेश लौटने की तैयारी करेंगे।
आंकड़े बताते है की अकेले अमेरिका में एशिया मूल के लोग सबसे अधिक बेरोज़गारी के शिकार हुए हैं और अब उनके पास कोई काम नहीं है जिससे वह स्वदेश लौटने को मज़बूर हैं लेकिन यहाँ उनको काम मिलेगा या नहीं ,उनको नहीं पता है।