मनोज सिन्हा होंगे जम्मू-कश्मीर के नए उप राज्यपाल, राष्ट्रपति ने गिरीश चंद्र मुर्मू का इस्तीफा स्वीकारा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 6, 2020 07:17 AM2020-08-06T07:17:23+5:302020-08-06T07:23:55+5:30
बताया जाता है कि पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर में 4जी सेवा लागू करने का गिरीश चंद्र मुर्मू का समर्थन मोदी सरकार को नागवार गुजरा था.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा जम्मू-कश्मीर के नए उप राज्यपाल होंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गिरीश चंद्र मुर्मू का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। इससे पहले बुधवार को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने इस्तीफा दे दिया।
उन्होंने देर रात को अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को भेज दिया। कहा जा रहा है कि मुर्मू नए नियंत्रक एवं महालेखाकार (कैग) बनाए जा सकते हैं। वे राजीव महर्षि की जगह लेंगे, जो कैग से इसी हफ्ते सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं।
Manoj Sinha to be the new Lieutenant Governor of Jammu and Kashmir as President Kovind accepts the resignation of Girish Chandra Murmu. pic.twitter.com/QPS5D1jO8h
— ANI (@ANI) August 6, 2020
बताया जाता है कि पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर में 4जी सेवा लागू करने का मुर्मू का समर्थन मोदी सरकार को नागवार गुजरा था। मुर्मू को जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने के बाद पिछले अक्तूबर में पहला उपराज्यपाल बनाया गया था।
उनका इस्तीफा उसी दिन हुआ है, जिस दिन पिछले साल मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को बेअसर करके जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटा दिया था और उसे दोे केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया था। सेना की उत्तरी कमान के आर्मी कमांडर ने बुधवार को ही मुर्मू से मिलकर उन्हें सुरक्षा इंतजामों के बारे में जानकारी दी थी।
मनोज सिन्हा का राजनीतिक सफर
अपने चाहने वालों में ‘विकास पुरुष’ कहे जाने वाले और मोदी सरकार के अंतर्मुखी सदस्य सिन्हा ने 2016 में संचार मंत्री के रूप में रविशंकर प्रसाद से प्रभार ग्रहण किया था। भाजपा के तीन बार सांसद रहे सिन्हा पहली बार 1996 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। 1999 में वह फिर लोकसभा के सांसद बने।
2014 में वह तीसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए। जाति से भूमिहार सिन्हा का नाम 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में भाजपा की शानदार जीत के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए भी उछला था। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1982 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष के रूप में की थी।