"मुझे बुलाने के बाद अपमान मत कीजिए" नेताजी के समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में फूटा ममता बनर्जी का गुस्सा
By अमित कुमार | Published: January 23, 2021 08:27 PM2021-01-23T20:27:37+5:302021-01-23T20:29:23+5:30
ममता बनर्जी ने 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाने के फैसले के लिए केंद्र को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने इसकी घोषणा करने से पहले उनसे परामर्श नहीं किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में जय श्रीराम के नारे लगने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाषण देने से इनकार करते हुए मंच छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि यह अपमान अस्वीकार्य है।'' और वे अपने स्थान पर आकर बैठ गईं। बताया जाता है कि कार्यक्रम में ममता बनर्जी ने भाषण शुरू नहीं किया था लेकिन तभी भीड़ में शामिल कुछ लोगों द्वारा नारे लगाए जाने लगे।
इससे खफा उन्होंने कहा कि यह एक सरकारी कार्यक्रम है, कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं। एक गरिमा होनी चाहिए। किसी को आमंत्रित करके अपमानित करना शोभा नहीं देता। मैं नहीं बोलूंगी। जय बंगला, जय हिंद।'' बता दें कि तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मनाने के लिए विक्टोरिया मेमोरियल में आयोजित कार्यक्रम का हिस्सा थीं।
केंद्र सरकार द्वारा नेताजी की जन्म दिवस को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का फैसला लिया गया है। जिसके तहत ही यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था और ममता बनर्जी बतौर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में यहां उपस्थित थीं। 'देशनायक' थे नेताजी नेताजी की जयंती को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाए जाने के मुद्दे पर ही ममता बनर्जी नाराज थीं। उन्होंने कहा कि रवींद्र नाथ टैगोर ने नेताजी को 'देशनायक' कहा था। अत: उनकी जयंती को 'देशनायक दिवस' के रूप में मनाए जाना चाहिए।'' जिसका ऐलान ममता ने किया और 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में वर्ष भर विविध आयोजनों की भी घोषणा मुख्यमंत्री ने की।
दो अलग-अलग आयोजन नेताजी ने भले ही देश को सर्वोपरी रख आजादी की लड़ाई लड़ी हो लेकिन उनकी जयंती पर जमकर राजनीतिक खेल खेला गया। केंद्र सरकार ने जहां 'पराक्रम दिवस' मनाया, वहीं पश्चिम बंगाल में 'देशनायक दिवस' मना। इस अवसर पर तृणमूल सरकार ने सात किलोमीटर लंबी रैली भी निकाली, जिसमें ममता बनर्जी प्रमुख रहीं। (भाषा इनपुट के साथ)