पीएम मोदी सभी पार्टियों से बातचीत करें, ‘दिखावा करने का या खुद को दूसरों से श्रेष्ठ दिखाने का’ वक्त नहीं है, शरद पवार बोले
By भाषा | Published: May 23, 2020 02:56 PM2020-05-23T14:56:29+5:302020-05-23T14:57:43+5:30
राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोरोना वायरस को लेकर सभी दलों से बातचीत करनी चाहिए। पूरे देश को मिलकर कोविड-19 को हराना होगा। इगो को छोड़ना होगा।
मुंबईः राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि विपक्षी पार्टियां चाहती हैं कि प्रधानमंत्री कोरोना वायरस महामारी से निपटने के उपायों के बारे में सभी पार्टियों के साथ बातचीत करें और संसदीय स्थायी समतियों का भी कामकाज बहाल करें।
पवार ने 22 विपक्षी दलों के नेताओं की वीडियो कांफ्रेंस के बाद सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि उनका (विपक्षी दलों का) मानना है कि यह ‘‘दिखावा करने का, या खुद को दूसरों से श्रेष्ठ दिखाने का’’ वक्त नहीं है। पवार ने कहा, ‘‘हमने एक व्यवस्थित तरीके से सभी राजनीतिक दलों से फौरन ही संपर्क करने और बातचीत करने का, हमारे सुझावों को गंभीरता से सुनने...(कोविड-19) संकट का इस्तेमाल अपने व्यक्तिगत फायदे के लिये नहीं करने, स्थायी समिति जैसी संस्थाओं का कामकाज बहाल करने और राज्यों की वित्तीय एवं अन्य रूप से मदद करने के लिये प्रधानमंत्री कार्यालय से अपील करने का फैसला किया है।’’
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख ने कहा, ‘‘समान विचारधारा वाले दल केंद्र सरकार से 10 सूत्री मांगों को फौरन लागू करने की सामूहिक रूप से मांग करने जा रहे हैं।’’ बैठक में, उन्होंने आयात, निर्यात एवं अंतर्देशीय जल परिवहन बढ़ाने के लिये उद्योगपतियों एवं विशेषज्ञों के साथ परामर्श करने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘राज्यों में नये निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से औद्योगिक वृद्धि को प्रोत्साहन देने के लिये नयी नीतियां अपनाई जानी चाहिए।
आयात, निर्यात एवं अंतरर्देशीय जल परिवहन बढ़ाने के लिये उद्योगपतियों, उद्यमियों तथा विशेषज्ञों के साथ परामर्श किया जाना चाहिए। ’’ उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि राज्य सरकारें लॉकडाउन के नियमों में छूट दे रही हैं, लेकिन फैक्टरियां आसानी से उत्पादन बहाल नहीं कर सकती क्योंकि कामगार अपने घर लौट गये हैं।
उन्होंने इन कामगारों को वापस लाने के लिये एक रणनीति बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन ने परिवहन सेवाओं को बाधित कर दिया है और राज्यों के अंदर क्रमिक रूप से सड़क परिवहन बहाल कने के लिये कदम उठाये जाने चाहिए। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के चलते अगले अकादमिक वर्ष में छात्रों की संख्या घटेगी। वित्तीय नुकसान के चलते कुछ शैक्षणिक संस्थानों के बंद हो जाने की संभावना है। उन्होंने कहा, ‘‘समय रहते उपाय करने के लिये एक समिति बनाई जानी चाहिए।’’