योगी से छिनेगी यूपी मुख्यमंत्री की गद्दी, फिर लड़ेंगे गोरखपुर से लोकसभा चुनाव?
By खबरीलाल जनार्दन | Published: July 11, 2018 04:04 PM2018-07-11T16:04:54+5:302018-07-11T16:04:54+5:30
गोरखपुर में गोरखनाथ मठ के खोए सम्मान वापस लाएंगे योगी आदित्यनाथ?
लखनऊ, 11 जुलाईः उत्तर प्रदेश के राजनैतिक हालत में एक बार फिर बड़े फेरबदलाव दिखने के संकेत मिल रहे हैं। दरअसल, भरतीय जनता पार्टी (बीजेपी) आलाकमान उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल के विस्तार को लटकाकर रखा है। अंदरखाने चर्चा है कि इस बात विचार किया जा रहा है कि ऐसे बीजेपी नेताओं को मौका दिया जाएगा, जो बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और समाजवादी पार्टी (एसपी) के गठबंधन को हराने का माद्दा रखते हों। जानकारी के अनुसार बीजेपी ने कुछ ऐसे उत्तर प्रदेश के नेताओं की सूची भी तैयार भी की है जिसे वे आने वाले चुनावों में आगे रखना चाहते हैं।
उल्लेखनीय है कि साल 2017 का उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव बीजेपी ने बिना सीएम चेहरे के लड़ा था। लेकिन प्रदेश में अप्रत्याशित जीत के बाद सीएम पद के कई दावेदार उभर आए थे। तब ऐसा बताया जा रहा था कि अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मनोज सिन्हा को सीएम बनाने के पक्ष में थे। मनोज सिन्हा रेलवे राज्यमंत्री हैं। आईआईटी काशी हिन्दू विश्वाविद्यालय (बीएचयू) से सिविल इंजीनियरिंग पढ़े हुए हैं। वे लगातार अपने स्थानीयता को बरकरार रखते हुए तीन बार से बीजेपी की सीट पर लोकसभा चुनाव जीतते रहे हैं।
लेकिन बीजेपी और समान विचारधारा के कुछ संगठन कुछ और चाह रहे थे। इसी बाबत कई दौर की दिल्ली में बैठकें चलीं। इन्हीं में अप्रत्याशित रूप से पांच बार साल से लोकसभा चुनाव जीतने वाले हिन्दु युवा वाहिनी के संस्थापक और गोरक्षपीठ व गोरखनाथ मठ के महंत योगी आदित्यनाथ ने एक उच्चस्तरीय बैठक की। और इसके बाद उन्हें उत्तर प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री बना दिया। मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने प्रदेश में बूचड़खानों को बंद करने से लेकर अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई करने जैसे कदम उठाए।
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अपने तमाम फैसलों को लेकर वे लगातार चर्चा में बने रहे। उनका कद बीजेपी में नंबर दो नेता कहलाने तक पहुंचा। मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में सीएम पद पर तीन-तीन कार्यकाल पूरा कर चुके शिवराज सिंह चौहान, रमन सिंह और दूसरे पुरोधा नेता उतने चुनावी रणनीति, प्रचार में हिस्सा नहीं लेते जितना योगी आदित्यनाथ लेने लगे।
लेकिन इसी बीच यूपी में योगी के गढ़ बल्कि योगी का घर में गोरखपुर में लोकसभा उपचुनाव आ गए। इस सीट पर गोरखमठ का बीते पांच लोकसभा चुनाव अधिपत्य था। लेकिन इतने आक्रमक फैसलों और आलाकमान के सपोर्ट के बावजूद योगी का अजेय किला ढह गया। इतना ही नहीं योगी राज के बाद यूपी के सभी लोकसभा उपचुनाव फूलपुर, नूरपुर, कैराना बीजेपी हार गई। इसके बाद गोरखपुर में ऑक्सिजन की कमी से बच्चों की मौत, उन्नाव गैंग रेप में बीजेपी विधायक की संलिप्तता, रॉबर्ट्सगंज के दलित सांसद को योगी द्वारा भगाया जाना से लेकर मुन्ना बंजरंगी की जेल में हत्या तक योगी कमजोर होते गए।
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इसी बीच अमित शाह ने टीवी इंटरव्यू में माना कि यूपी में बीएसपी और एसपी के गठबंधन से बीजेपी की यूपी के हालात में फर्क पड़ा है। ऐसे में जब चूंकि अमित शाह खुद यूपी की राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं तो दो महीने से यूपी मंत्रिमंडल विस्तार को लटकाए रहने के मायने साफ नहीं हो रहे हैं। दबे सुर में कुछ ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि गोरखपुर में फिर से गोरखमठ का खोया सम्मान वापस लाने के लिए आगामी लोकसभा में योगी आदित्यनाथ 2019 में चुनाव लड़ेंगे।
अगर योगी फिर से लोकसभा रुख करेंगे तो यूपी में एक बार फिर से कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।