बीजेपी ने पूर्वांचल में राम शकल का दलित कार्ड खेल, लगाया है बड़ा दांव
By भारती द्विवेदी | Published: July 15, 2018 04:19 PM2018-07-15T16:19:55+5:302018-07-15T16:25:12+5:30
रामशकल तीन बार सांसद होने के अलावा राष्ट्रीय संघ सेवक से भी जुड़े हुए हैं।
नई दिल्ली, 15 जुलाई: राज्यसभा के लिए केंद्र सरकार ने चार नाम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजे थे, जिस पर राष्ट्रपति ने 14 जुलाई को मुहर लगा दी। उन चार नाम में एक नाम था उत्तर प्रदेश के दलित नेता और पूर्व सांसद राम शकल का। असल में यह एक राजनीति से प्रेरित कदम था। असल में दलित नेता राम शकल का नाम केंद्र सरकार ने 2019 लोकसभा और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए आगे बढ़ाया है। राम शकल बेसवार जाति से हैं। उत्तर प्रदेश के मध्य प्रदेश के सटे इलाके में बेसवारा जाति की अच्छी-खासी मौजदूगी है। राम शकल चार दशक से यूपी के राजनीति से जुड़े हैं। लोगों के बीच उनकी छवि एक दलित, किसान और प्रवासियों के हित की बात करने वाले नेता के तौर पर स्थापित है। बीजेपी उनकी जाति और छवि दोनों को लोकसभा चुनाव 2019 और मध्य प्रदेश चुनाव 2018 में भुनाना चाहती है।
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मोदी-शाह की जोड़ी ने राम शकल के जरिेए पूर्वांचल, मिर्जापुर, वाराणसी, चंदौली और रार्बट्सगंज में आदिवासी-दलित वोटों में सेंध लगाने की कोशिश की है। राम शकल सोनभद्र के रार्बट्सगंज से ही तीन बार सांसद रहे चुके हैं। जिसकी वजह वहां पर उनकी अच्छी पकड़ है। बीजेपी ने इस क्षेत्र से उन्हें राज्यसभा के लिए चुना है। उल्लेखनीय है कि योगी आदित्यानाथ के गढ़ गोरखपुर में समाजवादी पार्टी-बहुजन समाजवादी पार्टी के गठबंधन से मिली हार के बाद पूर्वांचल को लेकर बीजेपी सचेत हो गई है।
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कुछ दिनों पहले रॉबर्ट्सगंज के सांसद छोटेलाल ने सीएम योगी पर अपनी सभा से धक्के देकर बाहर निकालने के भी आरोप लगाए थे। तब उन्होंने खुद को दलित होने का हवाला देते हुए कहा था कि उनकी बात योगी नहीं सुन रहे है। इसके बाद से रॉबर्ट्सगंज समेत पूरे पूर्वांचल में बीजेपी को लेकर नकारात्मक बातें तैर गईं थी। अब राम शकल के बहाने बीजेपी ने इन सभी घटनाओं की भरपाई करने की कोशिश की है।
गौरतलब है कि बीते कुछ चुनावों में पूर्वांचल की सीटों पर सपा-बसपा कब्जा रहा है। बीते 2014 लोकसभा में कई सालों बीजेपी की पूर्वांचल में वापसी हुई थी। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ही पूर्वांचल की वाराणसी सीट से चुनाव जीते। इसके बाद 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपनी स्थिति दोहराने में सफल रही थी। अब बीजेपी की नजर में 2019 लोकसभा चुनाव हैं।
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पूर्वांचल बीजेपी के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसे समझना हो तो आप इससे समझ सकते हैं जब अमित शाह को 2019 के बाबत यूपी का पहला दौरा करना हुआ तो उन्होंने सबसे पहले मिर्जापुर को चुना। आज ही पीएम मोदी ने अपना दो दिवसीय पूर्वांचल दौरा पूरा किया है। ऐसे में करीब 15 साल से राजनीति से बाहर रहे राम शकल वापस लाना एक मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है।
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