MP में हार के बाद बीजेपी ने लिया सबक, 2019 के चुनाव के लिए बनाया ये प्लान
By राजेंद्र पाराशर | Published: January 15, 2019 07:49 PM2019-01-15T19:49:46+5:302019-01-15T19:49:46+5:30
भाजपा को 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण बिल पास होने के बाद अब राज्य में जहां सपाक्स के आंदोलन के कारण उसे विधानसभा चुनाव में हार मिली थी, वहां पर जीत का भरोसा होता जा रहा है।
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरु कर दी है। भाजपा इस बार राज्य की 29 में से 26 सीटों को लक्ष्य बनाएगी। 3 सीटों पर भाजपा अपनी अलग रणनीति के तहत काम कर रह रही है, मगर उसे इन तीन सीटों पर जीत की उम्मीद कम ही नजर आ रही है।
दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक के बाद प्रदेश के पदाधिकारियों की हुई एक बैठक में तय किया गया कि राज्य में लोकसभा चुनाव के लिए 26 सीटों का लक्ष्य बनाकर चुनावी रणनीति को फोकस किया जाए कि लक्ष्य को पाने में हमें कोई दिग्गत न हो। यही वजह है कि भाजपा ने राज्य की 29 में से 26 लोकसभा सीटों को ही लक्ष्य बनाना उचित समझा है। भाजपा ने फिलहाल यह तो स्पष्ट नहीं किया कि वे तीन सीटें कौन सी है, जिन्हें भाजपा कमजोर मान रही है, मगर अब तक के लोकसभा चुनाव परिणामों को देखते हुए यह माना जा रहा है कि भाजपा अब भी छिंदवाड़ा, गुना और रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्रों पर जीत का दावा नहीं कर पा रही है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह खुद इस बात को स्पष्ट कर चुके हैं कि हम सामूहिक प्रयासों से लोकसभा चुनाव में जीत का लक्ष्य तय कर रहे हैं। भाजपा को इस बार लोकसभा चुनाव में 26 सीटों पर जीत हासिल होगी। यहां उल्लेखनीय है कि राज्य में 2014 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो भाजपा को 27 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जब कांग्रेस को दो सीटों गुना और छिंदवाड़ा में जीत हासिल हुई थी। हालांकि रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने यहां भी अपनी जीत हासिल की थी।
सवर्ण आरक्षण का फायदा मिलने की उम्मीद
भाजपा को 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण बिल पास होने के बाद अब राज्य में जहां सपाक्स के आंदोलन के कारण उसे विधानसभा चुनाव में हार मिली थी, वहां पर जीत का भरोसा होता जा रहा है। भाजपा पदाधिकारियों को उम्मीद है कि ग्वालियर-चंबल अंचल में विधानसभा चुनाव में जो परिणाम भाजपा के खिलाफ में आए थे, उसके विपरीत परिणाम अब लोकसभा में आएंगे। इसके पीछे भाजपा नेता सवर्ण आरक्षण को बता रहे हैं। नेताओं का मानना है कि सवर्णों को आरक्षण दिए जाने से उनकी नाराजगी तो दूर होगी, साथ ही वे भाजपा के पक्ष में फिर से लौटेंगे।