लोक सभा चुनाव 2019: ब्यूरोक्रेट जो बनने चाहते हैं नेता, बीजेपी और कांग्रेस से हासिल करना चाहते हैं टिकट
By नियति शर्मा | Published: February 7, 2019 04:57 PM2019-02-07T16:57:47+5:302019-02-07T17:43:36+5:30
लोक सभा चुनाव 2019 मार्च-अप्रैल में होने की संभावना है। बीजेपी पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। वहीं कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में मैदान में उतरेगी। राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश का महासचिव बनाकर तुरुप का पत्ता चल दिया है जिसकी काट बीजेपी, सपा और बसपा को खोजनी है।
अब जब लोकसभा चुनाव नजदीक है तो कई राजनीतिक पार्टियां अपने लिए उम्मीदवारों की तलाश में हैं. वहीं उम्मीदवार चाहते हैं कि उन्हें मुख्यधारा की पार्टियों से टिकट मिल जाए. टिकटार्थियों की इस क़तार में नौकरशाहों और पूर्व नौकरशाहों की संख्या भी कम नहीं है. इन 5 नौकरशाहों को टिकट की दौड़ में आगे बताया जा रहा है. आइए इनपर एक नज़र डालते हैं-
1) ज्ञानेश्वर मुले
60 वर्षीय ज्ञानेश्वर मुले भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) में करीब 36 वर्षों से कार्यरत थे. अब वह अपना हाथ 2019 लोकसभा चुनाव में आजमाना चाहते हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि वो बीजेपी की तरफ से चुनाव लड़ेंगे।
दि क्विंट की रिपोर्ट के अनुसार उन्हें राजू शेट्टी (जो कि स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के चीफ हैं और किसान आन्दोलन में शामिल रहे थे.)
मुले ने अंग्रेजी, मराठी और हिन्दी में 15 से अधिक किताबें लिखी है। अप्रैल 2018 में उनके द्वारा लिखी गई किताब का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) के चीफ मोहन भागवत द्वारा पूना में किया गया था.
मुले ने हिंदुस्तान टाइम्स को एक इंटरव्यू में बताया था कि "मुझे लगता है कि अच्छे लोगों को राजनीति में आना चाहिए। जहां तक मेरा सवाल है में सेवानिवृत्त होते ही अपनी योजना की घोषणा करूंगा."
ज्ञानेश्वर मुले का जन्म महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में हुआ था. उनके पिता मनोहर कृष्णा मुले पेशे से किसान थे। उनकी माता अक्खाती मुले एक गृहणी थीं. मुले ने अपना ग्रेजुएशन कोल्हापुर से तथा पोस्ट-ग्रेजुएशन मुंबई से किया हैं.
मुले भारतीय विदेश सेवा 1983 में शामिल हुए थे. उन्होंने जापान, मास्को, मारीशस, सीरिया, न्यू यॉर्क भारतीय दूतावास में अपनी सेवाएं दी हैं। मुले मालदीव में उच्चायुक्त के पद पर भी कार्य कर चुके हैं. 2016 में मुले विदेश मंत्रालय में सचिव के रूप में पदभार ग्रहण किया था.
2) प्रभाकर देशमुख
पूर्व प्रशासनिक अधिकारी प्रभाकर देशमुख 1991 बैच के आईएएस रहे हैं। देशमुख महाराष्ट्र के एग्रीकल्चर कमिश्नर और पुणे के डिवीज़नल कमिश्नर के रूप में कार्य कर चुके हैं.
महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के माढा तालुका में जन्मे देशमुख एनसीपी उम्मीदवार के रूप में लोक सभा चुनाव लड़ना चाहते हैं. हिन्दुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा है, "मैंने माढा के चुनावी क्षेत्र पर जमीनी कार्य करना प्रारंभ कर दिया है तथा एनसीपी से टिकट की मांग भी की है."
58 वर्षीय नौकरशाह का नाम विवादों में भी रहा है. 2014 में पुणे 'मिरर' की रिपोर्ट में देशमुख पर अचल सम्पति रिटर्न्स (आईपीआर) में गलत जानकारी देने का आरोप लगाया था.
देशमुख ने 2014 में सतारा के जम्भे गाँव में 300 एकड़ कृषि भूमि को अधिग्रहित किया था जिसपर विवाद हो गया था. इस ज़मीन का मूल्य 125 करोड़ से भी अधिक था. देशमुख पर अपनी संपत्ति को कम करके दिखाने का भी आरोप है। देशमुख की घोषित जायदाद 5.29 करोड़ है लेकिन आरोप है कि असल में उनके पास उन पर अपनी 47.42 करोड़ मूल्य की सम्पति है.
3) संभाजी ज़ेंडे
संभाजी ज़ेंडे 1993 बैच के आईएएस अफ़सर थे. ज़ेंडे 2017 में वाइस प्रेसिडेंट और म्हाडा (महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी) के सीईओ पद से पदमुक्त हुए थे. संभाजी ज़ेंडे 2019 में पूना के पुरंदर विधान सभा चुनाव में एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक है.
ज़ेंडे के पिता सदाशिवराव जेंडे पूना की जिला परिषद् के पूर्व प्रमुख रह चुके हैं। उनके पिता भी एनसीपी के सदस्य रहे हैं। ज़ेंडे के करीबी रिश्तेदार राधाकृष्ण विखे-पाटिल कांग्रेस के लीडर है. दि क्विंट के पूछने पर उन्होंने अपनी राजनैतिक आकांक्षाओं पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से मना कर दिया.
पुणे जिले में जन्मे और पले-बढ़े संभाजी ने कृषि कॉलेज पुणे से बीएससी एवं मास्टर्स किया है. 19980 में एलएलबी करने के बाद वो महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन में चुन लिये गये। ज़ेंडे मुंबई उपनगर में डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर व महाराष्ट्र पेट्रोकेमिकलस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर पद पर रहे.
4) उत्तम खोबरागड़े
67 वर्षीय पूर्व आईएएस अफसर उत्तम खोबरागड़े 2011में ट्राइबल वेलफेयर डिपार्टमेंट के प्रिंसपल सेक्रेटरी पद से सेवामुक्त हुए थे. साल 2014 के लोक सभा चुनाव से कुछ समय पहले खोबरागड़े रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया में थे लेकिन साल 2018 में वो कांग्रेस में शामिल हो गए. माना जा रहा है कि खोबरागड़े को कांग्रेस लोक सभा चुनाव 2019 में मुंबई साउथ-सेंट्रल संसदीय सीट से उम्मीदवार बना सकती है.
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली के दलित परिवार में जन्मे उत्तम खोबरागड़े 1984 में आईएएस बने थे. रूरल डेवलपमेंट व लैंड रेवेन्यू मैनेजमेंट डिपार्टमेंट से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद खोबरागड़े मुंबई उपनगर के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट व कलेक्टर पद पर रहे.
कुछ समय महाराष्ट्र एग्रीकल्चर एंड फ़ूड प्रोसेसिंग कारपोरेशन (MAFCO) में MD के पद पर रहे। खोबरागड़े म्हाडा में सीईओ पद पर भी रहे हैं. जून 2006 में वो बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई और ट्रांसपोर्ट (बेस्ट) जनरल मैनेजर भी रहे.
खोबरागड़े कई बार विवादों से घिर चुके हैं. खोबरागड़े और उनकी आईएफएस बेटी देवयानी खोबरागड़े आदर्श हाउसिंग सोसाइटी में घर खरीदने के वजह से भी विवादों से घिर गये थे। खोबरागड़े ने इन सभी इल्जामों को ख़ारिज किया है.
वर्ष 2018 में खोबरागड़े ने कांग्रेस में शमिल होने का कारण बताते हुए हिन्दुस्तान टाइम्स से कहा था कि "वर्तमान में कांग्रेस ही एकमात्र पार्टी है जो धर्मनिरपेक्षता पर हो रहे हमले का मुकाबला कर सकती है."
5) किशोर गजभिये
खोबरागड़े की तरह किशोर गजभिये भी दलित परिवार में जन्मे हैं. 61 वर्षीय किशोर आईएएस से सेवामुक्त हुए हैं. नागपुर के अलावा किशोर ने मुंबई में एडिशनल म्युंसिपल कमिश्नर के पद पर भी कार्य किया है.
कांग्रेस में शामिल होने से पहले किशोर बहुजन समाज पार्टी के साथ जुड़े हुए थे। लोक सभा चुनाव से किशोर ने कांग्रेस से हाथ मिला लिया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चव्हाण की मौजूदगी में खोबरागड़े व किशोर का पार्टी में स्वागत किया।