कश्मीर में लॉकडाउनः 152 सालों में दूसरी बार, महामारी के बीच ईद उल जुहा मना रहे हैं

By सुरेश एस डुग्गर | Published: August 1, 2020 04:30 PM2020-08-01T16:30:07+5:302020-08-01T16:30:07+5:30

तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि 152 सालों में दूसरी बार लोग महामारी के कारण लाकडाउन में ईद उल जुहा मना रहे हैं। इससे पहले वर्ष 1868 में कश्मीर में प्लेग फैलने पर लोगों ने पूर्ण बंद के बीच ईद मनाई थी।

Lockdown in Kashmir Eid A lAdah second time 152 years celebrating amidst epidemic | कश्मीर में लॉकडाउनः 152 सालों में दूसरी बार, महामारी के बीच ईद उल जुहा मना रहे हैं

लाकडाउन में फर्क सिर्फ इतना है कि उन्हें खरीददारी करने की इजाजत जरूर मिली थी। (photo-ani)

Highlightsईद सुरक्षाबलों के लाकडाउन में मनाई गई थी और इस बार की ईद कोरोना के कारण पैदा हुई परिस्थितियों में लागू लाकडाउन में।जरूर था कि महामारी के कारण कश्मीर में 152 साल में यह दूसरा अवसर था कि ईद उल जुहा महामारी के बीच मनाया जा रहा था।पांच अगस्त को राज्य के दो टुकड़े करने और उसकी पहचान खत्म किए जाने की कवायद के बाद लागू किए गए लाकडाउन में ही कश्मीरियों ने दो ईद मनाई थी।

जम्मूः कश्मीर की बदकिस्मती ही कही जा सकती है कि पिछले एक साल से लाकडाउन में रह रहे कश्मीरियों को तीसरी ईद पाबंदियों के बीच मनानी पड़ रही है।

दो बार ईद सुरक्षाबलों के लाकडाउन में मनाई गई थी और इस बार की ईद कोरोना के कारण पैदा हुई परिस्थितियों में लागू लाकडाउन में। इतना जरूर था कि महामारी के कारण कश्मीर में 152 साल में यह दूसरा अवसर था कि ईद उल जुहा महामारी के बीच मनाया जा रहा था।

पिछले साल पांच अगस्त को राज्य के दो टुकड़े करने और उसकी पहचान खत्म किए जाने की कवायद के बाद लागू किए गए लाकडाउन में ही कश्मीरियों ने दो ईद मनाई थी। इस बार के लाकडाउन में फर्क सिर्फ इतना है कि उन्हें खरीददारी करने की इजाजत जरूर मिली थी।

जबकि इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि 152 सालों में दूसरी बार लोग महामारी के कारण लाकडाउन में ईद उल जुहा मना रहे हैं। इससे पहले वर्ष 1868 में कश्मीर में प्लेग फैलने पर लोगों ने पूर्ण बंद के बीच ईद मनाई थी। ऐसी ही स्थिति इन दिनों कोरोना संक्रमण के कारण पैदा हुई है। बताया जाता है कि वर्ष 1868 में जम्मू कश्मीर में डोगरा प्रशासन ने महामारी पर काबू पाने के लिए पूर्ण बंद किया था।

जम्मू कश्मीर में किसी के प्रवेश या प्रस्थान पर रोक लगाई गई थी। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की ओर से जारी दिशानिर्देशों पर अमल करने की हिदायत दी गई थी। इतिहासकारों के अनुसार महामारी पर काबू पाने में डेढ़ वर्ष लगे थे और सैकड़ों लोग हताहत हुए थे। बंद का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती थी।

किसी संक्रमित के छुपे होने पर उसे अस्पताल में भर्ती करवाया जाता था। तब प्लेग फैलने पर लोगों को अपने घरों की चाहरदीवारी के बीच ईद मनानी पड़ी थी। ईद उल जुहा के मौके पर बहुत कम लोग जानवरों की कुर्बानी दे पाए थे।

कश्मीर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में तैनात एक स्कालर डार अजीज के बकौल कश्मीर में 1868 में प्लेग और 1918 में कालरा ने तांडव मचाया था। इस महामारी को हवा-ए रद्दी (दूषित हवा) नाम दिया गया था। उस समय कश्मीर की आबादी 6.5 लाख थी, लेकिन महामारी फैलने के बाद अधिकांश लोग दूसरे स्थानों पर पलायन कर गए थे, जबकि सैकड़ों इस महामारी की भेंट चढ़ गए थे। महामारी खत्म होने तक कश्मीर की आबादी 2.5 लाख रह गई थी। अजीज ने कहा कि 1918 में ईद उल फितर से पहले महामारी पर काबू पा लिया गया था। और अब 1918 के बाद पूरे सौ साल के बाद कश्मीर फिर से वैसी ही परिस्थितियों से गुजर रहा है।

Web Title: Lockdown in Kashmir Eid A lAdah second time 152 years celebrating amidst epidemic

राजनीति से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे