लालू प्रसाद यादव की मेडिकल रिपोर्ट पर झारखंड हाई कोर्ट ने लगाई फटकार, जज ने पूछा सेहत का हाल, वकील बोले- थोड़ा-बहुत सुधार है
By एस पी सिन्हा | Published: February 26, 2021 07:18 PM2021-02-26T19:18:54+5:302021-02-26T19:18:54+5:30
अदालत के रिकॉर्ड पर मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट नहीं होने के कारण इस मामले की सुनवाई 5 मार्च को निर्धारित की गई है।
पटना,26 फरवरी। संयुक्त बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाले में सजायाफ्ता पूर्व मुख्यमंत्री व राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के जेल मैनुअल उल्लंघन मामले में झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की अदालत में आज सुनवाई हुई। राज्य सरकार के द्वारा लालू यादव के मेडिकल रिपोर्ट अदालत में पेश नहीं करने पर फिर झारखंड हाई कोर्ट ने एकबार फिर से फटकार लगाई है।
इसके बाद कोर्ट में मौजूद रहे सरकारी अधिवक्ता ने लालू यादव को एम्स भेजे जाने के लिए गठित रिम्स के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट अगली सुनवाई पर अदालत में दोबारा दाखिल करने की बात कही। इस दौरान अदालत ने लालू प्रसाद यादव के स्वास्थ्य के बारे में पूछा तो लालू के अधिवक्ता देवर्षि मंडल ने कहा की एम्स, दिल्ली में इलाज के दौरान लालू के स्वास्थ्य में थोड़ा-बहुत सुधार है।
उन्होंने कहा कि लालू को 17 बीमारियां है, जिनका इलाज चल रहा है। सरकारी अधिवक्ता ने लालू को एम्स भेजने के लिए गठित मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट अदालत में दोबारा दाखिल करने की बात कही है। अदालत ने सभी कागजातों को दुरुस्त करने के लिए राज्य सरकार को एक सप्ताह का समय दिया है। बता दें कि फिलहाल लालू प्रसाद का एम्स (दिल्ली) में इलाज चल रहा है।
लालू प्रसाद यादाव से संबंधित मेडिकल रिपोर्ट अदालत के रिकॉर्ड में नहीं
रिम्स निदेशक का स्पष्टीकरण और लालू प्रसाद यादाव से संबंधित मेडिकल रिपोर्ट अदालत के रिकॉर्ड पर नहीं आ पाने के कारण उस पर सुनवाई नहीं हो पाई। उल्लेखनीय है कि लालू प्रसाद यादव इन दिनों चारा घोटाला मामले में जेल की सजा काट रहे हैं। उन पर जेल मैनुअल उल्लंघन का भी आरोप लगा है। लालू प्रसाद यादव के जेल मैनुअल उल्लंघन मामले में जवाब दायर नहीं करने पर हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में रिम्स प्रबंधन पर नाराजगी जताई थी और पूछा था कि क्यों जवाब दायर नहीं किया गया।
मैनुअल उल्लंघन मामले में अदालत ने की थी टिप्पणी
जवाब दायर करने के लिए अदालत ने समय दिया था। अदालत में सरकार की ओर से बंदियों के जेल से बाहर इलाज व सुरक्षा के मामले में अदालत में एसओपी प्रस्तुत की गई थी। गृह विभाग की औपबंधिक मंजूरी के साथ एसओपी अदालत में प्रस्तुत की गई थी। जेल मैनुअल उल्लंघन मामले में अदालत टिप्पणी कर चुकी है कि सरकार व्यक्ति विशेष से नहीं चलती है। कानून से चलती है। सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया था कि सरकार अब जेल मैनुअल में बदलाव कर रही है और तब तक एक एसओपी तैयार की जा रही है।
देशभर में लालू के फोन कॉल विवाद पर मचा था बवाल
बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद को कोरोना संक्रमण के खतरे से बचाने के लिए बिना किसी उच्च अधिकारियों से विचार-विमर्श के ही रिम्स निदेशक के केली बंगले में शिफ्ट किए जाने पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी। बता दें कि झारखंड हाई कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव से जुड़े जेल मैनुअल उल्लंघन मामले में स्वत: संज्ञान लिया था। तब लालू यादव पर यह आरोप लगे थे कि उन्होंने जेल कस्टडी में रहते हुए बिहार के भाजपा विधायक ललन पासवान को फोन कर बिहार में मंत्री बनाने का लालच दिया था और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार गिराने की कोशिश की थी। उस समय बिहार-झारखंड से लेकर देशभर में लालू के फोन कॉल विवाद पर बवाल मच गया था।