Jammu and Kashmir ki khabar: कश्मीर में नए डोमिसाइल नियम का ऐलान, केंद्र सरकार पर भड़के उमर अब्दुल्ला और अल्ताफ बुखारी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 1, 2020 04:59 PM2020-04-01T16:59:08+5:302020-04-01T16:59:08+5:30

नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर के नए अधिवास कानून को लेकर बुधवार को केंद्र की आलोचना करते हुए कहा कि यह पहले से पीड़ित लोगों का अपमान है क्योंकि वादे के मुताबिक कोई संरक्षण नहीं दिया जा रहा है।

Jammu and Kashmir new domicile rule announced Omar Abdullah Altaf Bukhari raging central government | Jammu and Kashmir ki khabar: कश्मीर में नए डोमिसाइल नियम का ऐलान, केंद्र सरकार पर भड़के उमर अब्दुल्ला और अल्ताफ बुखारी

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 15 सालों से रह रहे नागरिक इस डोमिसाइल के हकदार होंगे। (file photo)

Highlightsउमर ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘‘...जब हमारे सभी प्रयास और पूरा ध्यान ‘कोविड-19’ के संक्रमण को फैलने से रोकने पर होना चाहिए।उमर ने कहा कि नया कानून इतना खोखला है कि ‘‘दिल्ली के वरदहस्त प्राप्त’’ नेता भी इसकी आलोचना करने के लिये मजबूर हैं।

श्रीनगरः केंद्र सरकार ने बुधवार को एक गजट अधिसूचना जारी कर जम्मू कश्मीर के 138 अधिनियमों में कुछ संशोधन करने की घोषणा की। इनमें ग्रुप-4 तक की नौकरियां सिर्फ केंद्र शासित प्रदेश के मूल निवासियों के लिये संरक्षित रखना भी शामिल है।

नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर के नए अधिवास कानून को लेकर बुधवार को केंद्र की आलोचना करते हुए कहा कि यह पहले से पीड़ित लोगों का अपमान है क्योंकि वादे के मुताबिक कोई संरक्षण नहीं दिया जा रहा है।

उमर ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘‘...जब हमारे सभी प्रयास और पूरा ध्यान ‘कोविड-19’ के संक्रमण को फैलने से रोकने पर होना चाहिए, तब सरकार जम्मू कश्मीर में नया अधिवास कानून लेकर आई है। जब हम देखते हैं कि ऐसा कोई भी संरक्षण कानून से नहीं मिल रहा है, जिसका वादा किया गया था, तब यह पहले से लगी चोट को और गंभीर कर देता है।’’ पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके उमर ने कहा कि नया कानून इतना खोखला है कि ‘‘दिल्ली के वरदहस्त प्राप्त’’ नेता भी इसकी आलोचना करने के लिये मजबूर हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘नए कानून के खोखलेपन की कल्पना इसी तथ्य से की जा सकती है कि दिल्ली के इशारे पर बनी नयी पार्टी के वे नेता भी इसकी आलोचना करने पर मजबूर हैं, जो इस कानून के लिए दिल्ली में लॉबिंग कर रहे थे।’’ उमर का इशारा ‘जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी’ के संस्थापक अल्ताफ बुखारी द्वारा अधिवास कानून की आलोचना किये जाने की ओर था। भाषा सुभाष मनीषा मनीषा

जम्मू कश्मीर से स्पेशल स्टेटस वापस लिए जाने के आठ महीने बाद केंद्र सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में डोमिसाइल को लागू कर दिया है। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 15 सालों से रह रहे नागरिक इस डोमिसाइल के हकदार होंगे। इसके तहत जिन बच्चों ने सात वर्ष तक केंद्र शासित प्रदेश के स्कूलों में पढ़ाई की है और दसवीं या बारहवीं कक्षा की परीक्षा दी है, वे भी जम्मू-कश्मीर के डोमिसाइल होंगे। उन्हें सरकारी नौकरियां भी मिल पाएंगी। 

केंद्र का अधिवास कानून जम्मू कश्मीर के लोगों की आंखों में धूल झोंकने की कवायद : जेकेएपी प्रमुख

‘जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी’ (जेकेएपी) के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने आरोप लगाया है कि केंद्र शासित प्रदेश में अधिवास कानून पर बुधवार को जारी केंद्र का आदेश पूर्ववर्ती राज्य के लोगों की आंखों में धूल झोंकने की कवायद के अलावा और कुछ नहीं है। बुखारी ने कहा कि यह संसद द्वारा बनाया गया कानून नहीं है बल्कि सरकार द्वारा जारी आदेश है इसलिए जम्मू कश्मीर के लिए अधिवास कानून के संबंध में नयी राजपत्रित अधिसूचना को न्यायिक समीक्षा से छूट नहीं है।

उन्होंने कहा ‘‘एक ओर जहां जेकेएपी जम्मू कश्मीर के लोगों को जमीन और नौकरी के अधिकार के लिए मांग करती रही है, वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश इस बात का परिचायक है कि यह राज्य के लोगों की महत्वाकांक्षाओं को ध्यान में रखे बिना, नौकरशाही के स्तर पर किया गया आकस्मिक फैसला है।’’ गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने बुधवार को जम्मू कश्मीर के 138 कानूनों में विभिन्न संशोधनों के लिए एक राजपत्रित अधिसूचना जारी की।

इसमें चतुर्थ श्रेणी (पुलिस बल में कॉन्स्टेबल के रैंक के समकक्ष) तक की नौकरियों में केवल उन लोगों की ही भर्ती करना शामिल है जो केंद्र शासित प्रदेश में अधिवास करते हैं। सरकार ने अधिवास श्रेणी के तहत एक उपबंध किया है जिसके तहत किसी व्यक्ति को 15 साल की अवधि तक जम्मू कश्मीर में रहना होगा। दस साल तक यहां अपनी सेवाएं देने वाले अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के बच्चे भी इस श्रेणी में आएंगे। अधिसूचना में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर लोक सेवाएं (विकेंद्रीकरण एवं भर्ती) कानून को भी संशोधित किया गया है।

बुखारी ने कहा ‘‘जो आदेश जारी किया गया है वह जेकेएपी को पूरी तरह अस्वीकार्य है। रोजगार के मामले में - पेशेवर कालेजों में प्रवेश और सेवाओं में गैर राजपत्रित, राजपत्रित पद के संदर्भ में एक जटिल कानूनी और संवैधानिक व्यवस्था की जानी चाहिए थी ताकि जम्मू और कश्मीर के उन लोगों के अधिकारों की रक्षा होती जो जम्मू कश्मीर के स्थायी निवासी हैं।’’ बुखारी ने यह भी मांग की कि जब तक देश कोरोना वायरस के खतरे से उबर नहीं जाता तब तक इस आदेश पर अमल न किया जाए। 

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