हिरासत में रखे लोगों के प्रति झूठ क्यों बोल रहा जम्मू-कश्मीर प्रशासन, हाईकोर्ट में कहा- वे आजाद हैं
By सुरेश एस डुग्गर | Published: August 19, 2020 03:13 PM2020-08-19T15:13:17+5:302020-08-19T15:13:17+5:30
ताजा मामले में नेकां के ही एक अन्य नेता हिलाल अकबर लोन ने अपनी आजादी के बारे में पुलिस के बयान को झूठा करार दिया है। पिछले साल पांच अगस्त को राज्य के दो टुकड़े करने और उसकी पहचान खत्म किए जाने की कवायद के बाद हजारों लोगों को हिरासत में लिया गया।
जम्मूः हाल ही में जम्मू कश्मीर प्रशासन की उस समय किरकिरी हुई थी जब सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेसी नेता सैफुद्दीन सोज की नजरबंदगी के प्रति उसके द्वारा बोले गए ‘झूठ’ की दूसरे ही दिन पोल खुली तो वह मुंह छुपाने लायक नहीं रहा था।
फिर नेकां के कई नेताओं की हिरासत के प्रति उसने एक बार फिर हाईकोर्ट में कहा कि वे आजाद हैं और ताजा मामले में नेकां के ही एक अन्य नेता हिलाल अकबर लोन ने अपनी आजादी के बारे में पुलिस के बयान को झूठा करार दिया है। पिछले साल पांच अगस्त को राज्य के दो टुकड़े करने और उसकी पहचान खत्म किए जाने की कवायद के बाद हजारों लोगों को हिरासत में लिया गया।
पुलिस महानिदेशक खुद इसे स्वीकार कर चुके हैं कि सैंकड़ों अलगाववादी नेता रिहाई के लिए शर्तों वाले बांड को भर कर रिहाई पा चुके हैं पर राजनीतिज्ञों के प्रति अभी भी कुछ नहीं बोला जा रहा। हालांकि इस अरसे में 500 के करीब राजनीतिज्ञों की रिहाई हो चुकी है और बाकी के प्रति प्रशासन बार बार यही कहता फिर रहा है वे आजाद हैं।
सच्चाई क्या है, पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता और नेकां नेता हिलाल अकबर लोन के मामले को ही ले लें, उन्होंने हाईकोर्ट में लिखित बयान दर्ज करवाया है कि वे आज भी नजरबंद हैं। अपने बयान में वे कहते थे कि इस साल 18 जून को उन्हें तुलसी बाग स्थित टी-3 र्क्वाटर में स्थानांतरित कर दिया गया लेकिन उन्हें कहीं आने जाने की आजादी नहीं दी गई है। ऐसा ही एक वीडियो पिछले दिनों प्रो सैफुद्दीन सोज का भी वायरल हुआ था जिसमें उन्हें पुलिसवाले घर से बाहर निकलने और किसी से बात करने से रोक रहे थे।
कश्मीर में सिर्फ लोन का ही अकेला ऐसा मामला नहीं है जिसमें प्रशासन उन्हें आजाद करने की बात करता है तो राजनीतिज्ञ अदालतों में याचिका दायर कर अपनी आजादी की मांग कर रहे हैं। दरअसल प्रशासन द्वारा ऐसे सैंकड़ों मामलों में बार बार झूठ बोलने के पीछे का कड़वा सच यह है कि वह अभी भी डरा हुआ है। खासकर नेकां व पीडीपी नेताओं से। उसे डर इस बात का है कि वे बाहर आकर माहौल को बिगाड़ सकते हैं। यही कारण है कि पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को रिहा करने से वह आज भी इसलिए घबरा रहा है क्योंकि उसकी नजरों में वह लोगों को एकत्र करने की कुव्वत रखती हैं।