अंतरराष्ट्रीय महिला दिवसः महिला विधायकों ने आरक्षण की मांग की, लगाए नारे-'आधी आबादी करे पुकार-50 प्रतिशत हमारा है अधिकार'
By एस पी सिन्हा | Published: March 8, 2021 08:24 PM2021-03-08T20:24:37+5:302021-03-08T20:26:20+5:30
बिहार विधानमंडल में महिला विधायकों की कुल संख्या 26 है। भाजपा के 8, आरजेडी के 7, जदयू के 6, कांग्रेस के 2 और हम और वीआइपी की एक-एक महिला विधायक शामिल हैं।
पटनाः बिहार विधानमंडल के बजट सत्र के आज 12वें दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिला विधायकों ने विधानसभा परिसर में सदन में आरक्षण को लेकर मोर्चा खोल दिया।
उन्होंने 'दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती कहकर ठगते हो, विधान सभा में आरक्षण देने से डरते हो' के नारे लगाते हुए आरक्षण की मांग की। ना सिर्फ राजद और कांग्रेस बल्कि भाजपा की महिला विधायकों ने भी 'आधी आबादी करे पुकार-50 प्रतिशत हमारा है अधिकार' के नारे लगाए।
सत्तापक्ष और विपक्ष की महिला विधायक एकजुट
243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में महिला विधायकों की कुल संख्या 26 है, जिसमें भाजपा से उप मुख्यमंत्री रेणु देवी के अलावा आठ, राजद की सात, जदयू की छह, कांग्रेस की दो और हम और वीआइपी की एक-एक महिला विधायक शामिल हैं। ये महिला विधायक महिलाओं के हक और उनकी सशक्तिकरण के लिए खास तौर पर पूरी संवेदनशीलता के साथ सजगता दिखा रही हैं।
सदन की कार्यवाही शुरू होने के पहले महिला दिवस पर महिला अधिकारों के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष की महिला विधायक एकजुट नजर आई और पोर्टिको से लेकर विधानसभा तक आरक्षण का कोटा बढ़ाकर 50 वर्ष करने की मांग रखी। वहीं, विधानसभा के अंदर भी महिला दिवस की चर्चा होती रही।
ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव ने 'मर्द दिवस' की जरूरत भी बताई
विधायक भागीरथी देवी ने तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महिला उत्थान के कार्यों को याद करते हुए कहा कि उनके इलाके थरुहट में तो महिलाएं नीतीश कुमार की पूजा करतीं हैं. इस दौरान सदन में मजाकिया अंदाज भी दिखा। ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव ने 'मर्द दिवस' की जरूरत भी बताई, सदन के अंदर भी महिला दिवस की चर्चा छाई रही।
विधायक भागीरथी देवी ने महिला उत्थान के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भोजपुरी में धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि जब से वे मुख्यमंत्री बने हैं, तब से महिलाएं जीने लगीं हैं. अपने क्षेत्र की चर्चा करते हुए उन्होंने कि वे जहां से आती हैं, वहां बुरी स्थिति थी। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री 2005 से बनल बानी, तबे से हम मेहरारू लोग के आजादी मिलल बांटे।
महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया गया
थरुहट में त नीतीश जी के फोटो रखके मेहरारू पुजे ली। उधर, विधानसभा के बाहर सभी दलों की महिलाओं ने अपनी एकजुटता दिखाते हुए सभी दलों से इस पर सहमति बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि जिस तरह से बिहार में पंचायती राज में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया गया है, ठीक उसी तरह से विधानसभा और लोकसभा में भी महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया जाए।
उन्होंने कहा कि महिलाएं सशक्त तभी होंगी जब उनकी भागीदारी राजनीति और सदन में बढे़गी। महिला विधायकों ने एक स्वर में कहा कि जब तक आधी आबादी सशक्त नहीं होगी तब तक आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना परिपूर्ण नहीं होगी। कांग्रेस विधायक प्रतिमा कुमारी ने कहा कि बिहार और केंद्र सरकार से सदन के अंदर अपने अधिकारों की मांग की।
हर क्षेत्र में ज्यादा भागीदारी हमारा अधिकार
उन्होंने कहा कि आरक्षण शब्द थोड़ा अजीब लगता है, हर क्षेत्र में ज्यादा भागीदारी हमारा अधिकार है। उन्होंने कहा कि सदन में महिलाएं कम हैं, जो हैं वो परिस्थितियों की मारी हुई हैं। किसी का पति नहीं है तो किसी के पति को किसी केस में फंसाया गया है। इस कारण वो मैदान में उतरी हैं. सदन में ऐसी बहुत कम महिलाएं हैं, जो किसी पार्टी की मजबूत कार्यकर्ता होती हैं।
वहीं, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सदन के अंदर और बाहर आधी आबादी के मुद्दों-मसलों पर खूब विमर्श हुआ। विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने सदन में महिला विधायकों के सवालों को तरजीह दी. सरकार से उनके उत्तर दिलवाए। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा भी कि महिलाओं में अपने अधिकारों के प्रति पहले से ज्यादा जागरूकता आ गई है।
महिला विधायकों के सवाल लिए गए
सदन में भी महिला सदस्यों को तरजीह दी गई, इसके लिए सदन की भी सहमति दिखी। विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश पर विधानसभा में सूचीबद्ध विधायकों के सवालों के रोटेशन में बदलाव किया गया।विधानसभा अध्यक्ष ने व्यवस्था दी कि महिला विधायकों के सवाल सबसे पहले लिए जाएं। अल्पसूचित प्रश्न के बाद महिला विधायकों के सवाल लिए गए।
अधिकतर सवाल सामान्य प्रशासन विभाग और गृह विभाग से जुड़े थे। राज्य सरकार की ओर से सारे सवालों के जवाब बिजेंद्र प्रसाद यादव ने दिए. जबकि, जमुई से विधायक और इंटरनेशनल शूटर श्रेयसी सिंह ने कहा कि वे पहली बार चुनाव जीतकर विधान सभा पहुंची हैं. यहां पहले ही दिन उन्होंने कई महिलाकर्मियों को काम करते देखा। वो खुद भी आइसीडीएस की 2018-20 तक गुडविल एंबेस्डर रह चुकी हैं।
जिसके कारण उन्होंने नजदीक से कामकाजी मांओं की बच्चों को लेकर चिंता देखी है। इसके बाद ही उन्हें विचार आया कि विधान सभा में भी पालना घर होना चाहिए, जिससे अपनी जिम्मेदारी निभाते वक्त कामकाजी महिलाएं बच्चों की सुरक्षा और लालन-पालन को लेकर निश्चिंत रह सकें। उन्होंने इस मुद्दे पर सदन में बहस के लिए भी आग्रह किया है।