गुजरात के बारडोली में कांग्रेस-भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर, गुरु चेले के बीच फिर होगा चुनावी संग्राम

By महेश खरे | Published: March 25, 2019 04:32 AM2019-03-25T04:32:35+5:302019-03-25T04:32:35+5:30

गुरु हैं पूर्व मुख्यमंत्री अमर सिंह चौधरी के पुत्र तुषारभाई चौधरी और चेले हैं भाजपा के वर्तमान सांसद प्रभुभाई वसावा.

In Bardoli of Gujarat Congress-BJP's prestige at stake | गुजरात के बारडोली में कांग्रेस-भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर, गुरु चेले के बीच फिर होगा चुनावी संग्राम

बारडोली किसान आंदोलन का बडा केंद्र है

दक्षिण गुजरात के किसान और आदिवासी बहुल बारडोली क्षेत्र में इस बार फिर गुरु चेले के बीच रोचक चुनावी संघर्ष होने की प्रबल संभावना है. गुरु हैं पूर्व मुख्यमंत्री अमर सिंह चौधरी के पुत्र तुषारभाई चौधरी और चेले हैं भाजपा के वर्तमान सांसद प्रभुभाई वसावा. दोनों के बीच 2014 में उस समय पहला चुनावी संघर्ष हुआ जब भाजपा आलाकमान ने चेले प्रभु वसावा को भाजपा में शामिल करके तुषारभाई के ही खिलाफ मैदान में उतार दिया था. इस चुनावी संघर्ष में चेले ने गुरु को पटखनी दे दी.

2008 के परिसीमन के बाद बनी बारडोली सीट से तुषारभाई 2009 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे थे. तब उन्हें मनमोहन सरकार में मंत्री पद से नवाजा गया था. तब प्रभुभाई वसावा उनके निकटतम सहयोगी हुआ करते थे. तुषारभाई को करारा झटका भाजपा ने प्रभु भाई को दलबदल कर 2014 में दिया. नतीजतन अपने ही राजनीतिक शिष्य वसावा के हाथों चौधरी को लगभग 1.24 लाख के अंतर से पराजय का मुंह देखना पड़ा. आदिवासी सीट होने के कारण इस इलाके में छोटूभाई वसावा की बीटीपी का भी प्रभाव है.

किसान आंदोलन का बडा केंद्र है बारडोली

आजादी के आंदोलन में बारडोली के किसानों की बड़ी भूमिका है. वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में यहां के किसानों ने अंग्रेजी हुकूमत के मनमाने लगान के खिलाफ बारडोली सत्याग्रह किया था. उसी आंदोलन की सफलता के बाद यहां की महिलाओं ने वल्लभभाई को सरदार पटेल की उपाधि से नवाजा था. तब से आज भी किसानों की स्थिति में कोई फर्क नहीं आया है. 

बाजिव मूल्य, बिजली, पानी की समस्याओं से किसान जूझ रहा है. यदाकदा आंदोलन होते रहते हैं. यहां की मुख्य फसल गन्ना ही है. बारडोली में एशिया की सबसे बड़ी चीनी मिल है, लेकिन पेमेंट की समस्या प्राय: बनी रहती है. क्षेत्र के बड़े किसान मालामाल हैं लेकिन छोटा किसान फटेहाल ही है. आदिवासियों की जमीन से जुड़े मुद्दे चुनाव नतीजों को प्रभावित करेंगे. वैसे गुजरात की आदिवासी पट्टी में किसान यात्र जैसे आंदोलन चल रहे हैं. बेरोजगारी, शिक्षा और गरीबी जैसे चुनावी मुद्दे यहां प्रभावी रहने की संभावना है.

Web Title: In Bardoli of Gujarat Congress-BJP's prestige at stake

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