संसद में कृषि विधेयकों को लेकर सरकार और विपक्ष आये आमने-सामने
By शैलेश कुमार भक्त | Published: September 19, 2020 07:21 PM2020-09-19T19:21:25+5:302020-09-19T19:21:25+5:30
भाजपा कांग्रेस के 2019 के चुनावी घोषणा पत्र का हवाला दे कर आरोप लगा रही है कि उसने ही कृषि क़ानूनों में संशोधन का वादा किया था।
नयी दिल्ली: किसानों से विधेयकों को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच शुरू हुयी जंग पैनी होती जा रही है क्योंकि लोकसभा में इन तीनों विधेयकों के पारित हो जाने के बाद अब राज्य सभा की बारी है जहाँ रविवार को सरकार इनको पारित कराने की कोशिश करेगी।
सरकार की कोशिश से पहले ही कांग्रेस ने अपना हमला तेज़ कर दिया है। पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी ने निशाना साधते हुये ट्वीट किया " किसानों के लिये यह कठिन समय है, सरकार को एमएसपी तथा किसानों की फसल खरीदी की व्यवस्था में इस समय उनकी मदद करनी चाहिये थी लेकिन हुआ उसके उल्टा।
भाजपा सरकार अपने अमीर खरबपति दोस्तों को कृषि क्षेत्र में घुसाने के लिये ज्यादा आतुर दिख रही है, वह किसानों की बात तक नहीं सुनना चाहती। "
इधर भाजपा कांग्रेस के 2019 के चुनावी घोषणा पत्र का हवाला दे कर आरोप लगा रही है कि उसने ही कृषि क़ानूनों में संशोधन का वादा किया था। भाजपा के इस आरोप का पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने पुरजोर खंडन कर पलट वार किया कि भाजपा तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश कर रही है, कांग्रेस ने वादा किया था कि ए पी एम सी अधिनियम को समाप्त करने से पहले कांग्रेस किसानों के लिये जगह जगह कृषि बाज़ार की स्थापना करायेगी ताकि किसान आसानी से अपने उत्पाद बेच सकें। उनका सीधा आरोप था कि मोदी सरकार एमएसपी के सिद्धांत और सार्वजनिक खरीदी प्रणाली को बर्बाद कर देगी।
इस आपसी तू तू -मैं मैं के बीच मामला राज्य सभा पर टिक गया है कि वह उसे पारित करती है या नहीं। 245 सदस्यों वाली राज्य सभा में बहुमत के लिये 122 सांसदों का समर्थन चाहिये क्योंकि इस समय 2 स्थान खाली हैं।
भाजपा के पास अपने 86 सदस्यों का समर्थन है अन्य दल जो एनडीए के समर्थन में हैं उनको जोड़ दिया जाये तो यह संख्या 105 हो जाती है ,अब सरकार बीजेडी ,टीआरएस ,अन्ना द्रमुक ,टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस के साथ साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पर भी डोरे डाल रही है जिसका खुलासा कल उस समय होगा जब सदन में मत विभाजन होगा।