फेसबुक विवादः रविशंकरजी! नेहरू और वाजपेयी किस देश के प्रधानमंत्री थे?

By प्रदीप द्विवेदी | Published: September 2, 2020 06:08 PM2020-09-02T18:08:18+5:302020-09-02T18:08:18+5:30

रविशंकर प्रसाद का कहना है कि मुझे बताया गया है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान, भारत के फेसबुक मैनेजमेंट द्वारा न सिर्फ कुछ फेसबुक पेजों को डिलीट किया गया, बल्कि उनकी रीच को भी कम किया गया. इसको लेकर दर्जनों ईमेल भी किए गए लेकिन फेसबुक मैनेजमेंट ने कोई जवाब नहीं दिया.

Facebook controversy Ravi Shankar prasad Nehru and Vajpayee were the Prime Ministers of which country | फेसबुक विवादः रविशंकरजी! नेहरू और वाजपेयी किस देश के प्रधानमंत्री थे?

देश में पक्ष-विपक्ष के अनेक प्रमुख नेताओं पर अमर्यादित टिप्पणियां की जा रही हैं और केन्द्र सरकार मौन साधे रही है.

Highlightsकंपनी की भारतीय इकाई की ओर से सत्ताधारी बीजेपी की मदद किए जाने के आरोपों के संदर्भ में क्या कदम उठाए गए हैं.सियासी लाभ मिल रहा था, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं और कीचड़ की सियासी धूलंडी दोनों ओर से शुरू हो गई है.अमर्यादित टिप्पणियां नहीं की जानी चाहिए, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि नेहरू, अटल बिहारी वाजपेयी, राजीव गांधी आदि किस देश के प्रधानमंत्री थे?

जयपुरः केंद्रीय आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग को पत्र लिखकर फेसबुक पर भेदभाव करने का आरोप लगाया है. खबर है कि अपने पत्र में रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि फेसबुक के कर्मचारी प्रधानमंत्री और वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों को अपशब्द कहते हैं.

रविशंकर प्रसाद का कहना है कि मुझे बताया गया है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान, भारत के फेसबुक मैनेजमेंट द्वारा न सिर्फ कुछ फेसबुक पेजों को डिलीट किया गया, बल्कि उनकी रीच को भी कम किया गया. इसको लेकर दर्जनों ईमेल भी किए गए लेकिन फेसबुक मैनेजमेंट ने कोई जवाब नहीं दिया.

उधर, कांग्रेस पार्टी ने भी फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को दोबारा पत्र लिखा और सवाल किया कि इस सोशल नेटवर्किंग कंपनी की भारतीय इकाई की ओर से सत्ताधारी बीजेपी की मदद किए जाने के आरोपों के संदर्भ में क्या कदम उठाए गए हैं.

दरअसल, यह हालात इसलिए बने हैं कि अभिव्यक्ति की आजादी, अभिव्यक्ति की अराजकता तक जा पहुंची है और इस मुद्दे पर अब तक केन्द्र सरकार इसलिए चुप्पी साधे बैठी थी कि सोशल मीडिया पर सारा बयानी कीचड़ विरोधियों पर उछाला जा रहा था, जिसके कारण सियासी लाभ मिल रहा था, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं और कीचड़ की सियासी धूलंडी दोनों ओर से शुरू हो गई है.

यह सही है कि मर्यादा में रहते हुए किसी का विरोध करना प्रमुख नागरिक अधिकार है और वर्तमान प्रधानमंत्री पीएम मोदी और केन्द्रीय मंत्रियों सहित तमाम मंत्रियों-मुख्यमंत्रियों पर अमर्यादित टिप्पणियां नहीं की जानी चाहिए, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि नेहरू, अटल बिहारी वाजपेयी, राजीव गांधी आदि किस देश के प्रधानमंत्री थे?

बहुत लंबे समय से सोशल मीडिया पर देश में पक्ष-विपक्ष के अनेक प्रमुख नेताओं पर अमर्यादित टिप्पणियां की जा रही हैं और केन्द्र सरकार मौन साधे रही है. क्योंकि, अब उसका असर सभी पक्षों पर हो रहा है, इसलिए इस मुद्दे पर बोला जा रहा है. आश्चर्य की बात तो यह है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न राजीव गांधी पर टिप्पणी की थी, बेहतर होता यदि पहले वे भ्रष्टाचार के सबूत के साथ राजीव गांधी का भारत रत्न वापस लेते और फिर टिप्पणी करते, कम-से-कम भारत रत्न सम्मान का तो अपमान नहीं होता.

यही नहीं, एक ओर तो पीएम मोदी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति सम्मान प्रदर्शित करते हैं, तो दूसरी ओर सोशल मीडिया पर गांधीजी के खिलाफ बेखौफ टिप्पणियां की जाती हैं, इसके लिए कौन जिम्मेदार है. शायद मन से माफ नहीं करने से ही जिम्मेदारी पूरी हो जाती है. सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के मामले में भले ही सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण को सजा दी गई हो, लेकिन लंबे समय से सोशल मीडिया पर सुप्रीम कोर्ट को लेकर जो टिप्पणियां की जा रही है, उन्हें कौन रोकेगा?

सोशल मीडिया को छोड़ भी दें तो बीजेपी के ही प्रवक्ता संबित पात्रा किसी के लिए भी अमर्यादित टिप्पणी कर देते हैं, उन्हें कौन रोकगा. सियासी फायदे के लिए केन्द्र सरकार की लापरवाही का ही नतीजा है कि पप्पू से शुरू हुआ अमर्यादित व्यवहार फेकू से भी आगे निकलकर गाली-गलौज तक पहुंच गया है! 

Web Title: Facebook controversy Ravi Shankar prasad Nehru and Vajpayee were the Prime Ministers of which country

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