राज्यसभा के 8 सांसदों को एक सप्ताह के लिए किया गया निलंबित, सभापति वेंकैया नायडू ने की कार्रवाई
By अनुराग आनंद | Published: September 21, 2020 09:53 AM2020-09-21T09:53:55+5:302020-09-21T10:26:14+5:30
राज्यसभा में हंगामा करने वाले 8 सांसदों पर कार्रवाई के बाद विपक्षी सांसदों के विरोध को देखते हुए सदन को सुबह 10 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
नई दिल्ली: राज्यसभा में रविवार को कृषि संबंधी दो विधेयकों पर चर्चा के दौरान उप-सभापति हरिवंश के सामने रूल बुक फाड़ने वाले टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन समेत सदन में हंगामा करने वाले 8 सांसदों को एक सप्ताह के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया है। इस मामले में सदन के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कार्रवाई की है।
जिन 8 सांसदों पर कार्रवाई की गई है उन सांसदों में TMC के डेरेक ओ ब्रायन, AAP के संजय सिंह, कांग्रेस के राजीव साटव, CPI (M) के केके रागेश, कांग्रेस के सैयद नासिर हुसैन, कांग्रेस के रिपुन बोरा, TMC की डोला सेन और CPI (M) के एलमाराम करीम शामिल हैं।
सभी 8 सांसदों पर कार्रवाई किए जाने के बाद विपक्ष के सांसदों ने विरोध करना शुरू कर दिया, जिसके बाद सभापति ने 10 बजे तक के लिए सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया। नायडू ने कहा कि कल का दिन राज्यसभा के लिए सबसे खराब दिन था।
Rajya Sabha adjourned till 10 am, following ruckus by Opposition MPs https://t.co/nSJHf9eBjfpic.twitter.com/gU8WmsH3OK
— ANI (@ANI) September 21, 2020
Rajya Sabha adjourned till 10 am, following ruckus by Opposition MPs https://t.co/nSJHf9eBjfpic.twitter.com/gU8WmsH3OK
— ANI (@ANI) September 21, 2020उपसभापति के खिलाफ विपक्षी दलों के अविश्वास प्रस्ताव को सभापति ने किया खारिज-
बता दें कि सदन में हंगामे के बीच कृषि संबंधी बिल के पास कराने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार के 6 मंत्रियों ने प्रेस कांफ्रेंस कर जहां विपक्ष पर राजनीतिक इतिहास में पहली बार बेहद गलत तरह से संसदीय मार्यादा को तोड़ने का आरोप लगाया। वहीं, करीब 12 विपक्षी दलों ने मिलकर सदन के उपसभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का काम किया।
आज (सोमवार) सुबह राज्यसभा की कार्रवाई को शुरू करते हुए सभापति एम वेंकैया नायडू ने उपसभापति हरिवंश के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज किया। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि यह प्रस्ताव उचित प्रारूप में नहीं था।
10 बजे उपसभापति ने एक बार फिर से निलंबित सांसदों को सदन से बाहर जाने के लिए कहा-
सोमवार सुबह राज्यसभा के सभापति नायडू ने विपक्ष के 8 सांसदों को निलंबित करने के बाद सदन की कार्यवाही को कुछ समय के लिए रोक दिया। लेकिन, 10 बजे एक बार फिर से राज्यसभा की कार्रवाई शुरू हुई तो उपसभापति हरिवंश सदन का संचालन कर रहे थे।
उपसभापति हरिवंश ने कहा कि जिन सांसदों को चेयरमैन द्वारा निलंबित किया गया है, कृप्या वह बाहर जाएं तभी सदन की कार्रवाई प्रारंभ होगी। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने एक बार फिर से हंगामा शुरू किया तो उपसभापति ने एक बार फिर से सदन की कार्रवाई को 10.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
कृषि क्षेत्र को आधुनिकतम तकनीक की तत्काल जरूरत: पीएम
कृषि बिल के पास होने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे कृषि क्षेत्र को आधुनिकतम तकनीक की तत्काल जरूरत है, क्योंकि इससे मेहनतकश किसानों को मदद मिलेगी। अब इन बिलों के पास होने से हमारे किसानों की पहुंच भविष्य की टेक्नोलॉजी तक आसान होगी। इससे न केवल उपज बढ़ेगी, बल्कि बेहतर परिणाम सामने आएंगे। यह एक स्वागत योग्य कदम है।
उन्होंने इस मामले में आगे कहा कि मैं पहले भी कहा चुका हूं और एक बार फिर कहता हूं। MSP की व्यवस्था जारी रहेगी। सरकारी खरीद जारी रहेगी। हम यहां अपने किसानों की सेवा के लिए हैं। हम अन्नदाताओं की सहायता के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे और उनकी आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करेंगे।
कार्पोरेट जगत को फायदा पहुंचाने वाली है दोनों नए कृषि विधेयक
राज्यसभा में रविवार को कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समाप्त करने और कार्पोरेट जगत को फायदा पहुंचाने के लिए दोनों नए कृषि विधेयक लेकर आयी है।
हालांकि सरकार ने इसका खंडन करते हुए कहा कि किसानों को बाजार का विकल्प और उनकी फसलों को बेहतर कीमत दिलाने के उद्देश्य से ये विधेयक लाए गए हैं। राज्यसभा में कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक किसानों की आत्मा पर चोट हैं, यह गलत तरीके से तैयार किए गए हैं तथा गलत समय पर पेश किए गए हैं।
'बिल पर सहमति किसानों के डेथ वारंट पर साइन जैसा'
उन्होंने कहा इन बिलों पर सहमति किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा होगा और कांग्रेस ये नहीं करेगी। साथ ही बाजवा ने कहा कि अभी हर दिन कोरोना वायरस के हजारों मामले सामने आ रहे हैं और सीमा पर चीन के साथ तनाव है। बाजवा ने आरोप लगाया कि सरकार का इरादा एमएसपी को खत्म करने का और कार्पोरेट जगत को बढ़ावा देने का है।
बाजवा ने सवाल किया कि क्या सरकार ने नए कदम उठाने के पहले किसान संगठनों से बातचीत की थी ? उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक देश के संघीय ढांचे के साथ भी खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि जिन्हें आप फायदा देना चाहते हैं, वे इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में नए कानूनों की जरूरत क्या है। उन्होंने कहा कि देश के किसान अब अनपढ़ नहीं हैं और वह सरकार के कदम को समझते हैं।