राफेल को लेकर दिग्विजय सिंह ने मोदी सरकार पर उठाए कई सवाल, कहा- 'आज आ जाएगा, अब तो कीमत बता दो चौकीदार जी'
By पल्लवी कुमारी | Published: July 29, 2020 11:36 AM2020-07-29T11:36:57+5:302020-07-29T11:36:57+5:30
Rafale fighter arrive at Ambala air base today: पांच राफेल लड़ाकू विमान ने सोमवार (27 जुलाई) को फ्रांसीसी शहर बोर्डो में मेरिनैक एयर बेस से उड़ान भरी थी। जो बुधवार (29 जुलाई) को दोपहर अंबाला एयरबेस पर पहुंचने वाला है।
नई दिल्ली: भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल फाइटर जेट्स की डील के तहत पहले पांच फाइटर जेट आज (29 जुलाई) भारत आ रहे हैं। ये पांच राफेल जेट्स राफेल अंबाला एयरबेस पर लैंड करेंगे। विपक्षी पार्टी कांग्रेस द्वारा लोकसभा चुनाव-2019 के वक्त राफेल डील का मुद्दा बड़े जोर-शोर के साथ उठाया गया था। इसी क्रम में बुधवार (29 जुलाई) को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला है।
दिग्विजय सिंह ने आज सुबह कुछ ही घंटों में छह से ज्यादा ट्वीट राफेल को लेकर किया। दिग्विजय सिंह ने कहा, आज राफेल आ ही जाएगा...अब तो इसकी कीमत बता दीजिए मोदी जी। दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया, ''एक राफेल की कीमत कांग्रेस सरकार ने ₹746 करोड़ तय की थी लेकिन ''चौकीदार'' महोदय कई बार संसद में और संसद के बाहर भी मांग करने के बावजूद आज तक एक राफेल कितने में खरीदा है, बताने से बच रहे हैं। क्यों? क्योंकि चौकीदार जी की चोरी उजागर हो जायेगी!! 'चौकीदार'' जी अब तो उसकी कीमत बता दें!!''
एक राफ़ेल की क़ीमत कॉंग्रेस सरकार ने ₹७४६ तय की थी लेकिन “चौकीदार” महोदय कई बार संसद में और संसद के बाहर भी मॉंग करने के बावजूद आज तक एक राफ़ेल कितने में ख़रीदा है, बताने से बच रहे हैं। क्यों? क्योंकि चौकीदार जी की चोरी उजागर हो जायेगी!! “चौकीदार” जी अब तो उसकी क़ीमत बता दें!!
— digvijaya singh (@digvijaya_28) July 29, 2020
अपने एक अन्य ट्वीट में दिग्विजय सिंह ने लिखा, ''आखिर राफेल फाइटर प्लेन आ गया। 126 राफेल खरीदने के लिए कोंग्रेस के नेतृत्व में UPA ने 2012 में फैसला लिया था और 18 राफेल को छोड़कर कर बाकि भारत सरकार की HAL में निर्माण का प्रावधान था। यह भारत में आत्मनिर्भर होने का प्रमाण था। एक राफेल की कीमत ₹746 करोड़ तय की गई थी।''
आख़िर राफ़ेल fighter plane आ गया। १२६ राफ़ेल ख़रीदने के लिए कोंग्रेस के नेतृत्व में UPA ने २०१२ में फैंसला लिया था और १८ राफ़ेल को छोड़कर कर बाकि भारत सरकार की HAL में निर्माण का प्रावधान था। यह भारत में आत्मनिर्भर होने का प्रमाण था। एक राफ़ेल की क़ीमत ₹७४६ करोड़ तय की गई थी
— digvijaya singh (@digvijaya_28) July 29, 2020
दिग्विजय सिंह ने लिखा, ''मोदी सरकार आने के बाद फ्रांस के साथ मोदी जी ने बिना रक्षा व वित्त मंत्रालय व कैबिनेट कमेटी की मंजूरी के नया समझौता कर लिया और HAL का हक मार कर निजी कंपनी को देने का समझौता कर लिया। राष्ट्रीय सुरक्षा को अनदेखी कर 126 राफेल खरीदने के बजाय केवल 36 खरीदने का निर्णय ले लिया।''
मोदी सरकार आने के बाद फ़्रांस के साथ मोदी जी ने बिना रक्षा व वित्त मंत्रालय व केबिनेट कमेटी की मंज़ूरी के नया समझौता कर लिया और HAL का हक़ मार कर निजी कम्पनी को देने का समझौता कर लिया। राष्ट्रीय सुरक्षा को अनदेखी कर १२६ राफ़ेल ख़रीदने के बजाय केवल ३६ ख़रीदने का निर्णय ले लिया।
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दिग्विजय सिंह ने कहा, ''राष्ट्रीय सुरक्षा का आंकलन करते हुए रक्षा मंत्रालय ने 126 राफेल खरीदने की सिफारिश की थी जो UPA ने स्वीकार कर सहमति दी। अब मोदी जी ने 126 के बजाय 36 राफेल खरीदने का फैसला क्यों लिया? यह पूछने पर भी कोई जवाब नहीं। क्या मोदी जी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया?''
5 राफेल फाइटर प्लेन को वायुसेना प्रमुख करेंगे आज अंबाला में रिसीव
भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया आज (29 जुलाई) दोपहर अंबाला हवाई अड्डे पर पांच राफेल लड़ाकू विमान की अगवानी और स्वागत करेंगे। जेट विमानों ने सोमवार (27 जुलाई) को फ्रांसीसी शहर बोर्डो में मेरिनैक एयर बेस से उड़ान भरी थी। पांच लड़ाकू विमानों का यह बेड़ा आज दोपहर अंबाला एयरबेस पर पहुंच रहा है। राफेल विमान भारत द्वारा पिछले दो दशक से अधिक समय में लड़ाकू विमानों की पहली बड़ी खरीद है। इन विमानों के आने से भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता में महत्वपूर्ण रूप से बढ़ोत्तरी होने की संभावना है।
ये विमान लगभग 7,000 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद बुधवार दोपहर को अंबाला पहुंचेंगे। इन विमानों को आज दोपहर में भारतीय वायुसेना में स्क्वाड्रन नम्बर 17 में शामिल किया जाएगा, जिसे 'गोल्डन एरोज' के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि, इन विमानों को औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल करने के लिए मध्य अगस्त के आसपास समारोह आयोजित किया जाएगा जिसमें रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और देश के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के शामिल होने की उम्मीद है।