राजस्थान में संकटः कांग्रेस में शामिल बसपा के 6 विधायकों को हाईकोर्ट का नोटिस, 11 अगस्त को देना होगा जवाब
By धीरेंद्र जैन | Published: August 7, 2020 08:30 PM2020-08-07T20:30:22+5:302020-08-07T20:31:07+5:30
बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों को राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के तहत जैसलमेर की एक होटल में नोटिस तामील करवाए गए। एसपी की मौजूदगी में जैसलमेर जिला कोर्ट के रीडर व दो अन्य कर्मचारियों ने विधायकों को नोटिस थमाए। अब इन विधायकों को हाईकोर्ट के समक्ष 11 अगस्त को अपना जवाब पेश करना है।
जयपुरः राजस्थान की राजनीति में सत्ता को लेकर पिछले लगभग एक माह से जारी घमासान के बीच अब बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायक आजकल चर्चा का मुख्य केंन्द्र बन गए हैं और राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा इनको लेकर किये जाने वाले फैसले पर राजस्थान की सरकार का भविष्य टिका हुआ है।
आज बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों को राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के तहत जैसलमेर की एक होटल में नोटिस तामील करवाए गए। एसपी की मौजूदगी में जैसलमेर जिला कोर्ट के रीडर व दो अन्य कर्मचारियों ने विधायकों को नोटिस थमाए। अब इन विधायकों को हाईकोर्ट के समक्ष 11 अगस्त को अपना जवाब पेश करना है।
उल्लेखनीय है कि बसपा के टिकट पर राजस्थान के विधानसभा चुनाव जीते राजेन्द्र सिंह, दीपचंद, लखनसिंह, जोगिन्दर सिंह, संदीप कुमार व वाजिब अली बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। बसपा के इन विधायकों के कांग्रेस में विलय को बसपा और भाजपा विधायक मदन दिलावर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
जैसलमेर के डीजे को सौंपते हुए जैसलमेर एसपी को इसके लिए सहयोग करने के आदेश दिये
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने गुरुवार को बसपा विधायकों को नोटिस तामील करवाने की जिम्मेदारी जैसलमेर के डीजे को सौंपते हुए जैसलमेर एसपी को इसके लिए सहयोग करने के आदेश दिये और साथ ही यह मामला पुनः वापस एकलपीठ में भेज दिया। जहां 11 अगस्त को एकल भीड इस मामले में फैसला सुनाएगी।
जानकारी के अनुसर आज दोपहर डीजे के एक रीडर दो अन्य कार्मिकों के साथ होटल सूर्यगढ़ पहुंचकर बसपा से कांग्रेस में शामिनल हुए इन सभी विधायकों को नोटिस तामील करवाए गए। इन छह विधायकों की सदस्यता को लेकर सारा दारोमदार अब हाईकोर्ट पर है।
प्रदेश में गहलोत सरकार का भविष्य इन विधायकों के दलबदल को लेकर हाईकोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा। यदि हाईकोर्ट इन विधायकों की सदस्यता पर स्टे लगा देता है तो गहलोत सरकार अल्पमत में आ जाएगी। जबकि, संविधान विशेषज्ञों का मानना है कि विधायकों के दलबदल का मामला विधानसभा अध्यक्ष से जुड़ा है और वे इसका फैसला करने में सक्षम है। साथ ही किसी दल के सभी विधायक यदि एक साथ दलबदल करते है तो उन पर दलबदल विरोधी कानून लागू नहीं होता।
बाड़ाबंदी में बंद कांग्रेस विधायक प्रशांत बैरवा की तबीयत हुई खराब
राजस्थान के सियासी घमासान के बीच जब से विधायकों को जयपुर से जैसलमेर के सूर्यगढ़ रिसोर्ट में शिफ्ट किया गया है। तभी से वहां के बढ़े हुए तापमान के चलते विधायकों की हालात बिगड़ने का सिलसिला शुरू हो गया है और अब एक अन्य विधायक प्रशान्त बैरवा की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें क्षेत्रीय विधायक और मंत्री सालेह मोहम्मद ने अस्पताल में प्राथमिक उपचार दिलवाकर वापस होटल शिफ्ट किया
जानकारी के अनुसार जयपुर से जैसलमेर के सूर्यगढ़ और गोरबंद में पहुंचते ही अनेक विधायकों की हालत बिगडने का सिलसिला शुरू हो गया। पहले विधायक बाबूलाल नागर और गुरदीप सिंह की तबीयत बिगड़ गई थी। बाद में इनकी हालत में सुधार हो गया और अब गुरुवार को अचानक विधायक प्रशांत बैरवा की तबीयत बिगड़ गई।
उन्हें तेज पेटदर्द और मांसपेशियों के खिंचवा की समस्या के चलते तुरंत अस्पताल ले जाया गया। जहां से प्राथमिक उपचार के बाद उन्हे वापस होटल लाया गया। हालात ऐसे है कि जैसलमेर के होटल में बाडे़बंदी में रह रहे विधायकों को यहां की आबोहवा रास नहीं आ रही और बीमार होने का भय लगातार सता रहा है। इस डर के कारण अधिकांश विधायक बाहर निकलने में दिलचस्पी नहीं ले रहे और उनका अधिकांश समय होटल के भीतर ही गुजर रहा है।