केंद्र ने बड़ी बेरहमी से प्रवासी मजदूरों को बेसहारा छोड़ा, मोदी सरकार का दिशानिर्देश ‘तुगलकी फरमान’, कांग्रेस ने बोला हमला

By भाषा | Published: May 1, 2020 03:09 PM2020-05-01T15:09:33+5:302020-05-01T15:09:33+5:30

प्रत्येक रेलवे जोन के पास देशभर में फंसे प्रवासियों को उनके गंतव्यों तक ले जाने के लिए एक ‘‘योजना’’ है। अधिकारियों ने बताया कि हालांकि सामान्य सेवाओं की बहाली में अभी वक्त लगेगा। संयोग से शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस भी है।

Corona virus India lockdown Center migrant laborers destitute Modi government's guideline 'Tughlaqi Farman' Congress attack | केंद्र ने बड़ी बेरहमी से प्रवासी मजदूरों को बेसहारा छोड़ा, मोदी सरकार का दिशानिर्देश ‘तुगलकी फरमान’, कांग्रेस ने बोला हमला

प्रवासी श्रमिकों के बारे में केंद्र का दिशानिर्देश ‘तुगलकी फरमान’, वित्तीय मदद दी जाए : कांग्रेस (file photo)

Highlightsकेंद्र ने बड़ी बेरहमी से और बिना एक बार विचार किए प्रवासी मजदूरों की पूरी बिरादरी को बेसहारा छोड़ दिया : कांग्रेस नेता अभिषेक सिंघवी।श्रमिकों के लिए विशेष तौर ‘आर्थिक मदद’ की इस वक्त सबसे अधिक जरूरत : कांग्रेस नेता सिंघवी।

 

 

नई दिल्लीः कांग्रेस ने विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को घर भेजने की व्यवस्था करने से जुड़े केंद्र के दिशानिर्देश को ‘तुगलकी फरमान’ करार देते हुए शुक्रवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने श्रमिकों के साथ क्रूर मजाक किया है और उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया है।

पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मजदूरों को वित्तीय सहायता देने का भी केंद्र से अनुरोध किया। उन्होंने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘‘29 अप्रैल को जारी केंद्र के आदेश में प्रवासी श्रमिकों को उनके घर भेजने की अनुमति दी गई है। इसमें कहा गया है कि उन्हें बसों से भेजा जाए। लेकिन यह नहीं बताया गया कि केंद्र सरकार क्या करेगी ? इसलिए, मैं इसे तुगलकी फरमान कहता हूं। यह एक क्रूर मजाक है।’’

सिंघवी ने दावा किया कि इससे मजदूरों के प्रति केंद्र सरकार का रवैया प्रदर्शित होता है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में ट्रेन चलाई जानी चाहिए क्योंकि इसमें सामाजिक दूरी का पालन करना आसान होगा और समय की भी बचत होगी। कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार यदि चाहे तो मजदूरों को भेजने के लिए विशेष विमानों की व्यवस्था भी कर सकती है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि मजदूरों की मदद के लिए केंद्र सरकार वित्तीय सहायता दे। यह वक्त की जरूरत है।’’ सिंघवी के मुताबिक अमेरिका और मलेशिया सरीखे देश अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का एक बड़ा हिस्सा लोगों को इस संकट से उबारने पर खर्च कर रहे हैं, लेकिन भारत में ऐसा नहीं हो रहा है। 

आंध्र प्रदेश के 12,794 प्रवासी मजदूर लौटना चाहते हैं घर

कोरोना वायरस से निपटने के लिए लगाए लॉकडाउन के प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद आंध्र प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे 12,700 से अधिक प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौटने के इच्छुक हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आंध्र प्रदेश सरकार ने एक हेल्पलाइन जारी करते हुए विजयवाड़ा में एक अंतर-राज्य नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है और राज्य में फंसे प्रवासी मजदूरों की निर्बाध वापसी के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्त भी की गई है।

साथ ही, सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर प्रवासी मजदूरों को उनके संबंधित गृह राज्यों में वापस भेजने के लिए आवश्यक मंजूरी मांगी गई है। उन्होंने बताया कि हमने आंध्र प्रदेश के विभिन्न जिलों में विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले 13,255 प्रवासी मजदूरों की पहचान की है। इनमें से 12,794 मजदूरों ने अपने गृह राज्य वापस जाने की इच्छा जाहिर की है और 461 यहीं रहना चाहते हैं।

राज्य के परिवहन प्रमुख सचिव एम टी कृष्णा बाबू ने कहा, ‘‘ हमने प्रवासियों की वापसी के लिए मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है।’’ उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों से जवाब मिलने के बाद सरकार आगे कदम उठाएगी। यहां कम से कम 10,696 प्रवासी मजदूर सरकारी राहत शिविरों में है जबकि 2,098 गैर सरकारी-संगठनों के शिविरों में रह रहे हैं। 

लॉकडाउन : रेलवे ने तेलंगाना में फंसे प्रवासियों को झारखंड पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेन चलाई

रेलवे ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन के कारण अपनी सेवाएं स्थगित करने के बाद तेलंगाना के लिंगमपल्ली में फंसे 1,200 प्रवासियों को झारखंड के हटिया तक ले जाने के लिए शुकव्रार को पहली विशेष ट्रेन चलाई। लॉकडाउन के कारण देशभर में हजारों प्रवासी फंस गए हैं और उनमें से कई ने तो पैदल चलकर घर पहुंचने की कोशिश की।

गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यों को अपने निवासियों को बसों में लाने की अनुमति दे दी। वहीं कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अनुरोध किया कि प्रवासियों के लिए विशेष ट्रेनें चलाने की अनुमति दी जाए। आरपीएफ के डीजी अरुण कुमार ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘24 बोगियों वाली यह ट्रेन शुक्रवार सुबह चार बजकर 50 मिनट पर रवाना हुई।’’ उन्होंने बताया कि यह प्रवासियों के लिए अब तक चलने वाली पहली ट्रेन है। रेलवे ने एक बयान में कहा, ‘‘शुक्रवार सुबह तेलंगाना सरकार के अनुरोध और रेल मंत्रालय के निर्देशों पर लिंगमपल्ली से हटिया के लिए विशेष ट्रेन चलाई गई। यात्रियों की पूर्व जांच, स्टेशन तथा ट्रेन में सामाजिक दूरी बनाने जैसे सभी आवश्यक एहतियाती कदम उठाए गए।’’

दक्षिण मध्य रेलवे के एक प्रवक्ता ने बताया कि सभी यात्रियों की स्टेशन पर थर्मल जांच की गई, मास्क पहनना अनिवार्य किया गया और उन्हें भोजन उपलब्ध कराया गया क्योंकि ट्रेन गंतव्य से पहले कहीं नहीं रुकेगी। प्रवक्ता ने बताया कि सामाजिक दूरी नियम के पालन के लिए हर बोगी में केवल 54 यात्रियों को बैठने की ही अनुमति दी गई जबकि उसमें 72 लोगों के बैठने की व्यवस्था होती है। कूपों में आठ के बजाय छह यात्रियों को सफर करने की अनुमति दी गई है। ट्रेन आज रात 11 बजे हटिया पहुंचेगी और उसमें सवार सभी प्रवासियों को पृथक केंद्रों में ले जाया जाएगा।

दिल्ली में रेलवे ने स्पष्ट किया कि यह केवल ‘‘एक विशेष ट्रेन’’ सेवा थी और रेल मंत्रालय के निर्देशों तथा प्रस्थान से लेकर गंतव्य स्थल की राज्य सरकारों के अनुरोध पर ही और ट्रेनों को चलाने की योजना बनाई जाएगी। राजस्थान, झारखंड, बिहार, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, पंजाब और तेलंगाना जैसे राज्यों ने प्रवासी कामगारों को उनके गृह राज्यों तक लाने के लिए विशेष ट्रेन चलाने का अनुरोध किया है। सूत्रों ने बताया कि विशेष ट्रेन के लिए मुख्यमंत्रियों के अनुरोध पर रेलवे ने एक सूची तैयार कर ली है और शुक्रवार से प्रवासियों को लाने के लिए ये ट्रेनें लगातार चलाई जाएंगी।

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