Uttar pradesh ki khabar: भटकते भूखे-प्यासे लोगों को एक वक़्त की रोटी तक नहीं दे पा रहे हैं, अखिलेश यादव का यूपी सरकार पर हमला
By भाषा | Published: May 11, 2020 08:11 PM2020-05-11T20:11:25+5:302020-05-11T20:14:45+5:30
लोगों से घरों का किराया न लेने की अपील करनेवाले रेलवे से किराया न वसूलने की अपील क्यों नहीं कर रहे हैं। गरीबों के पास क्या इतनी समझ है कि वो ऑनलाइन टिकट बुक करा सकें। साइबर कैफ़े व एजेंट सेवा भी अनुपलब्ध है। न ही गरीबों के पास एप के लिए स्मार्ट फोन हैं। कोई कन्सेशन भी नहीं है।
लखनऊः सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केन्द्र और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकारों को आड़े हाथ लेते हुए सोमवार को कहा कि 2022 तक सबको घर देने का वादा करने वाली सरकार भूखे प्यासों को एक वक्त की रोटी तक नहीं दे पा रही है।
अखिलेश ने ट्वीट किया, ''2022 तक सबको घर देने का वादा करनेवाले सत्ताधारी आज बेघर भटकते भूखे-प्यासे लोगों को एक वक़्त की रोटी तक नहीं दे पा रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह रहा है, सड़कों पर उतरी जनता ने सर्वशक्तिमान होने का दंभ-भ्रम रखनेवाले एक-से-एक बड़ों को पैदल कर दिया है।
अखिलेश ने एक अन्य टवीट में कहा, ''कितना मुश्किल होगा उसके आगे का सफ़र... जो मजबूर है सड़कों पर पैदा होने के लिए ... कोई है जो सुन रहा है?'' उन्होंने कहा कि जिस प्रकार आत्म-प्रशंसा में मदमस्त सरकार अपने अति केंद्रित ढुलमुल फ़ैसलों की वजह से व्यवस्था करने में असफल रही है, उसका ख़ामियाज़ा जनता भुगत रही है । यदि सरकार रोज़गार और खाने का ही प्रबंध कर दे तो कोरोना वायरस को सरकार नहीं, जनता हरा दे । सपा अध्यक्ष ने कहा, ''सरकार एकाधिकारी न बने, देश में लोकतंत्र है।''
2022 तक सबको घर देने का वादा करनेवाले सत्ताधारी आज बेघर भटकते भूखे-प्यासे लोगों को एक वक़्त की रोटी तक नहीं दे पा रहे हैं.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 11, 2020
इतिहास गवाह रहा है, सड़कों पर उतरी जनता ने सर्वशक्तिमान होने का दंभ-भ्रम रखनेवाले एक-से-एक बड़ों को पैदल कर दिया है. pic.twitter.com/DJTgSuOPUR
बिगड़ते जा रहे हैं उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के हालात : अखिलेश
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश के हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं और कोरोना का संक्रमण अब नए जिलों में होने की सूचनाएं हैं । अखिलेश ने कहा, ''उत्तर प्रदेश के हालात बिगड़ते जा रहे हैं और अब नये जिलों में कोरोना संक्रमण की सूचनाएं हैं। विभिन्न प्रदेशों में फंसे राज्य के श्रमिकों को वापस घर पहुंचाने का कार्यक्रम धीमा हो चला है। जगह-जगह हजारों की भीड़ में महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग सभी पैदल या साइकिल से निकल पड़े हैं। उनके खाने-पीने की व्यवस्था भी नहीं हो पा रही है।''
उन्होंने एक बयान में कहा, ''प्रदेश में बेरोजगारों को रोजगार देने और निवेश आकर्षित करने के नाम पर भाजपा सरकार जो कदम उठाने जा रही है उससे अशांति और अव्यवस्था को ही निमंत्रण मिलेगा। कानून-व्यवस्था की बिगड़ी स्थिति में कौन निवेश करने आएगा? उत्तर प्रदेश सरकार ने अब जनता की आंखों में धूल झोंकने और अपनी नाकामयाबियों पर पर्दा डालने की तैयारी की है।'' अखिलेश ने कहा कि मजदूर विरोधी भाजपा सरकार श्रमिक कानूनों को तीन साल के लिए स्थगित करते समय तर्क दे रही है कि इससे निवेश आकर्षित होगा जबकि इससे श्रमिक शोषण बढ़ेगा तथा साथ में श्रमिक असंतोष औद्योगिक वातावरण को अशांति की ओर ले जाएगा। सच तो यह है कि ‘औद्योगिक शांति‘ निवेश की सबसे आकर्षक शर्त होती है।
सपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा सरकार की श्रमनीति से मालिकों को मनमानी करने और श्रमिकों का शोषण करने की खुली छूट मिलेगी। उन्होंने कहा कि नई श्रम नीति के कानूनों का पालन कराने के लिए कोई भी श्रम अधिकारी उद्योगों के दरवाजे तीन साल तक नहीं जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मालिक के कारखाने में श्रमिक को अब 12 घंटे काम करना होगा जबकि उसे आठ घंटे के हिसाब से मजदूरी मिलेगी। मालिक के लिए श्रमिक को चार घंटे बेगारी करनी होगी।
उन्होंने कहा कि दुनिया भर में श्रमिकों ने आठ घंटे काम की जो गारन्टी अपने आंदोलनों से प्राप्त की थी उस पर भाजपा काली स्याही पोत देगी। उन्होंने कहा कि नयी श्रम नीति बनाकर पूंजीपतियों को खुश करने के क्रम में राज्य में कई शीर्ष निवेशक सम्मेलन हो गए।
खूब धूमधड़ाका हुआ लेकिन एक नए पैसे का निवेश नहीं आया। अखिलेश ने कहा कि निवेश तब आएगा जब कानून-व्यवस्था ठीक हो लेकिन यहां तो प्रदेश में अपराधी बेखौफ हैं और पुलिस मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार ‘ठोको’ नीति के रास्ते पर चल रही है।
उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि सरकार को अपने बारे में कुछ सुनना बर्दाश्त नहीं लोकतंत्र में सवाल उठाने वालों पर ही सवाल उठाने का मतलब होता है कि सरकार बचने के लिए पलटवार कर रही है पर वह अपना दोहरा चेहरा कब तक छुपाएगी। अखिलेश ने कहा, बड़े घरानों के लिए भाजपा बहुत सहृदय है जबकि अपने राज्य कर्मचारियों के वेतन भत्तों में भी वह निर्ममता से कटौती कर रही है।