Coronavirus: कोरोना वायरस गांवों में नहीं फैले, यह अगली बड़ी चुनौती, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बोले
By भाषा | Published: May 12, 2020 03:15 PM2020-05-12T15:15:40+5:302020-05-12T15:15:40+5:30
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि गांव को बचाना होगा। यदि यह महामारी गांव में चला गया तो अनर्थ हो जाएगा। हम सभी को जल्द से जल्द इस पर काम करना होगा। पंचायत प्रतिनिधि इस पर अमल करना शुरू कर दें।
जयपुरः राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को कहा कि प्रवासी श्रमिकों और अन्य लोगों का आवागमन शुरू होने के बाद कोरोना वायरस संक्रमण गांवों में नहीं फैले यह सुनिश्चित करना अगली बड़ी चुनौती है।
गहलोत मंगलवार को जयपुर एवं अजमेर संभाग के विधायकों और सांसदों के साथ कोरोना वायरस संक्रमण से उपजे संकट को लेकर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे राजस्थान के श्रमिक और प्रवासी अब लौटने लगे हैं और उन्हें निश्चित अवधि के पृथक-वास में रहना होगा।
गहलोत ने जनप्रतिनिधियों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि लौटने पर प्रवासी श्रमिकों और अन्य लोगों का स्वागत हो। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कोरोना वायरस संक्रमण गांवों में नहीं फैले। उन्होंने कहा कि गांवों को इस घातक वायरस से बचाए रखना होगा और यह अगली बड़ी चुनौती है।
उन्होंने कहा कि लगभग 19 लाख प्रवासियों ने घरवापसी के लिए पंजीकरण करवाया है। चार पांच लाख लोग ऐसे हैं जो राजस्थान से अपने अपने गृह राज्यों को जाना चाहते हैं। जयपुर के सांसद रामचरण बोहरा द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को दिग्भ्रमित किया गया है कि राज्य की कांग्रेस सरकार ने जयपुर व जोधपुर में मुस्लिम समुदाय के लोगों को छूट दी जिस कारण कोरोना वायरस के मामले बढ़ गए। गहलोत ने कहा कि किसी महामारी के समय सरकार ऐसी छूट कैसे दे सकती है।
शहरी गरीबों के लिए रोजगार गारंटी योजना लाए केंद्र सरकार: गहलोत
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण से उपजे संकट में जीवन के साथ आजीविका बचाना जरूरी है। उन्होंने इसको ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार को शहरी गरीबों के लिए रोजगार गारंटी योजना लाने तथा मनरेगा के तहत गांवों में रोजगार को बढ़ाकर 200 दिवस करने का सुझाव दिया है।
गहलोत ने प्रधानमंत्री मोदी से मनरेगा की तर्ज पर ही शहरी क्षेत्रों के लिए भी रोजगार की गारंटी देने वाली योजना शुरू करने का आग्रह किया और कहा कि लॉकडाउन के कारण दिहाड़ी पर गुजर-बसर करने वाले गरीब, मजदूर व जरूरतमंद तबके की आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई है। उन्हें रोजगार मिलता रहे, इसके लिए जरूरी है कि केन्द्र मनरेगा की भांति ही शहरी क्षेत्र के लिए भी ऐसी योजना लाने पर विचार करे। गहलोत ने ग्रामीण इलाकों में मनरेगा के तहत मजदूरों के लिए न्यूनतम 200 दिवस रोजगार उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया।
गहलोत ने कहा कि अब केन्द्र व राज्य सरकारों को दोहरे मोर्चे पर लड़ाई लड़नी है। एक तरफ कोरोना वायरस संक्रमण से जीवन बचाने की जंग तो दूसरी तरफ आजीविका बचाने और आर्थिक हालात पटरी पर लाने की लड़ाई। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण केन्द्र एवं राज्यों के राजस्व संग्रहण पर विपरीत असर पड़ा है और वे केन्द्र की मदद के बिना इस संकट का मुकाबला नहीं कर सकते। इसके लिए जरूरी है कि केन्द्र जल्द से जल्द व्यापक आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज उपलब्ध कराए।
उन्होंने सामाजिक सुरक्षा पर जोर देने की बात की और कहा कि केन्द्र व राज्य सरकारों के लिए इस समय सबसे बड़ी प्राथमिकता जरूरतमंद वर्ग की मदद करना है। उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए हमें ऐसी योजनाओं पर काम करना होगा जिससे बड़ी संख्या में लोगों को सामाजिक सुरक्षा मिले।’’ गहलोत ने वायरस से संक्रमित जोन तय करने का अधिकार राज्यों को देने, न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद को कृषि उत्पादन के 50 प्रतिशत तक करने, राजस्थान को टिड्डी नियंत्रण में सहायता देने सहित अन्य मांगें भी प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष रखीं।