कांग्रेस कार्यसमिति की बैठकः अम्बिका सोनी ने कहा- पत्र लिखने वाले के खिलाफ कार्रवाई हो, बैठक में हंगामा
By शीलेष शर्मा | Published: August 24, 2020 09:04 PM2020-08-24T21:04:16+5:302020-08-24T21:04:16+5:30
नेतृत्व पर सवाल उठा कर न केवल सोनिया गाँधी को पत्र लिखा बल्कि मीडिया के माध्यम से उसे लीक भी करा दिया। अम्बिका सोनी यह कहते हुए लगभग रो पड़ी, उन्होंने कहा कि वे बीमारी की हालत में यहाँ बैठक में हिस्सा ले रहीं है और ये उनकी अंतिम कार्यसमिति की बैठक है।
नई दिल्लीः कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में बगावती तेवर अपनाने वाले नेता आज बुरी तरह न केवल अलग थलग पद गए बल्कि वे बार बार अपने पत्र को लेकर सफाई देते नज़र आये।
कार्यसमिति की वरिष्ठ सदस्य अम्बिका सोनी ने उन तमाम नेताओं के खिलाफ करवाई की मांग की, जिन्होंने नेतृत्व पर सवाल उठा कर न केवल सोनिया गाँधी को पत्र लिखा बल्कि मीडिया के माध्यम से उसे लीक भी करा दिया। अम्बिका सोनी यह कहते हुए लगभग रो पड़ी, उन्होंने कहा कि वे बीमारी की हालत में यहाँ बैठक में हिस्सा ले रहीं है और ये उनकी अंतिम कार्यसमिति की बैठक है।
अम्बिका सोनी के इस हमले से परेशान मुकुल वासनिक, ग़ुलाम नबी आज़ाद, आनंद शर्मा बचाव की मुद्रा में आये और सफाई दी कि उन्होंने सोनिया गाँधी अथवा राहुल गाँधी के खिलाफ न तो कोई बात कही है और ना ही पत्र को लीक किया है।
पत्र लिखने वाले चौथे सदस्य जितिन प्रसाद ने सोनिया और राहुल से माफ़ी मांगते हुए अपने पिता जीतेन्द्र प्रसाद का हवाला दिया और कहा कि उन्होंने बरसों तक गाँधी परिवार का साथ दिया है फिर मैं कैसे गाँधी परिवार से अलग हो सकता हूँ, मेरा पूर्ण विश्वास सोनिया गाँधी तथा राहुल गाँधी पर है, मैं चाहता हूँ कि राहुल गाँधी अध्यक्ष पद संभालें।
बागी नेताओं के पत्र को लेकर जो तूफ़ान पार्टी में उठा उसे शांत करने में मनमोहन सिंह और एके अंटोनी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। बैठक के प्रारम्भ में ही 23 नेताओं के पत्र को लेकर मनमोहन सिंह ने टिप्पणी की कि मीडिया में इस पत्र का जाना काफी दर्द भरा है, इससे कांग्रेस को काफी नुक्सान होगा।
अंतरिम अध्यक्ष के पद पर न बने रहने की ज़िद्द पर अड़ी सोनिया को उन्होंने मनाया कर राज़ी किया कि वे अंतरिम अध्यक्ष बानी रहे जब तब पार्टी कोई नया अध्यक्ष नहीं चुन लेती। ऐ के अंटोनी का कहना था कि यह एक क्रूर पत्र है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता क्योंकि यह कांग्रेस की परंपरा नहीं है कि सार्वजनिक पटल पर ऐसे मुद्दे उठाये जाएँ।
राहुल गाँधी बैठक के दौरान काफी उग्र और चिंतित नज़र आये , उन्होंने कहा, "मेरी माँ हॉस्पिटल में थी और पार्टी के नेता उनसे सवाल पूछ रहे हैं , उन्होंने जो कुछ इतने वर्षों में पार्टी के लिए किया उसके बाद भी उनपर ऊँगली उठाना कितना सही है।"
राहुल का सीधा निशाना ग़ुलाम नबी आज़ाद और आनंद शर्मा की ओर था। ग़ुलाम नबी ने यह सफाई दी कि उनकी कोई मंशा सोनिया अथवा राहुल ऊँगली उठाने की नहीं थी, वह तो चाहते हैं की राहुल नेतृत्व संभालें और मोदी शाह के खिलाफ मोर्चा लें।
आज़ाद ने यह भी कहा कि हम पर आरोप मत लगाओ, सोनिया गाँधी हमारी नेता हैं और नेता रहेंगी। आनंद शर्मा ने अपने पत्र को जायज़ ठहराने की कोशिश की लेकिन चौतरफा हमला देख उन्होंने तुरंत रुख बदला और कहा कि हम चाहते हैं राहुल अध्यक्ष बनें।
इसी बीच पी चिदंबरम ने दलील दी कि सोनिया गाँधी को कांग्रेस अधिवेशन होने तक अध्यक्ष पद पर बनाये रखना हम सब की ज़िम्मेदारी है। कुछ महीनों में कोरोना की वैक्सीन आ जाएगी तब हम महाअधिवेशन बुला कर नए अध्यक्ष का चयन कर सकते हैं।
इस पर राहुल ने टिप्पणी की फरवरी तक कोई वैक्सीन आने वाली नहीं, हमें कोरोना का मुक़ाबला करना ही होगा, जिसके जवाब में चिदंबरम को सुझाव था कि पार्टी का महाअधिवेशन वर्चुअल बुलाया जाए , जिसे सोनिया गाँधी ने सिरे से खारिज कर दिया और साफ़ कहा कि परंपरा के अनुसार महाअधिवेशन आयोजित हो। राहुल का सुझाव था कि जब तक नया अध्यक्ष नहीं चुना जाता सोनिया गाँधी की मदद के लिए दो-चार लोगों को नियुक्त किया जाना चाहिए।
अहमद पटेल, जो बैठक में सबसे कम बोले ने टिप्पणी की कि जो कुछ हुआ घर के अंदर हुआ , घर के बाहर नहीं होना चाहिए आखिर पत्र की प्रति बाहर कैसे गयी , जिस पर ग़ुलाम नवी ने सफाई दी कि उन्होंने इस पत्र की कोई प्रतिलिपि नहीं बनायीं थी। इस पर रणदीप सुरजेवाला ने हमला किया कि संजय झा की टिप्पणी फिर कैसे आयी।
इसी दौरान के सी वेणुगोपाल स्क्रीन पर उठ कर बाहर जाते दिखाई दिए , जब वे लौटे तो उन्होंने पूछा की हम जो कुछ यहाँ चर्चा कर रहे हैं वे बाहर कैसे सोशल मीडिया पर आ रहा है , इसके जवाब में ग़ुलाम नवी ने कहा यही हमारी चिंता है कि हम जो कुछ करते हैं उसकी सूचना बाहर चली जाती है।