कांग्रेस संगठन में फेरबदलः महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में बदले जाएंगे प्रदेश अध्यक्ष, रास में नेता विपक्ष से हटेंगे ग़ुलाम नबी आज़ाद
By शीलेष शर्मा | Published: September 12, 2020 07:55 PM2020-09-12T19:55:04+5:302020-09-12T19:55:04+5:30
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र सहित तमाम दूसरे राज्यों में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्षों को बदलने की कवायत पार्टी में शुरू हो गयी है, लेकिन इसकी औपचारिक घोषणा सोनिया गांधी के स्वदेश लौटने के बाद होने की संभावना है।
नई दिल्लीः कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने पार्टी संगठन में सिलसिला शुरू किया उसके आगे भी जारी रहने के संकेत हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र सहित तमाम दूसरे राज्यों में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्षों को बदलने की कवायत पार्टी में शुरू हो गयी है, लेकिन इसकी औपचारिक घोषणा सोनिया गांधी के स्वदेश लौटने के बाद होने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि सोनिया गांधी अपने स्वास्थ्य सम्बन्धी परीक्षणों के लिए अमेरिका रवाना हो रही हैं, जिसके कारण पार्टी में किये जाने वाले बदलावों को थोड़े समय के लिए विराम दे दिया गया है। इधर राज्य सभा में नेता विपक्ष ग़ुलाम नबी आज़ाद को बदल कर उनके स्थान पर मल्लिकार्जुन खड़गे को नया नेता विपक्ष बनाने को लेकर मंथन जारी है।
हालांकि राज्य सभा में उप - नेता आनंद शर्मा भी इस दौड़ में शामिल हैं , लेकिन जिस तरह 23 नेताओं द्वारा सोनिया गाँधी को पत्र लिखा गया उस पर हस्ताक्षर करने वालों में आनंद शर्मा भी शामिल थे। पार्टी के उच्चपदस्थ सूत्रों ने दवा किया कि सोनिया और राहुल आनंद शर्मा के स्थान पर मल्लिकार्जुन खड़गे को यह ज़िम्मेदारी सौंपने के पक्ष में हैं।
इसके अलावा अनेक राज्यों की प्रदेश इकाइयों में भी भारी बदलाव किये जाने हैं जिसका खाका तैयार किया जा रहा है ताकि जब सोनिया गाँधी स्वदेश लौटें तब पूरी तस्वीर उनके सामने हो और वे तत्काल फैसला ले सकें। सोनिया गांधी जिस टीम को तैयार कर रही हैं उस टीम को राहुल की सहमति भी प्राप्त है।
कल जो बदलाव किये गए उन बदलावों की घोषणा सोनिया और राहुल के बीस हुए परामर्श के बाद हुई। यही कारण है कि बदलाव की सूची में राहुल समर्थक युवाओं को भरपूर जगह मिल सकी है। रणदीप सुरजेवाला, जितिन प्रसाद, माणिक टैगोर, गौरव गोगोई, जीतेन्द्र सिंह, राजीव शुक्ल, विवेक बंसल, मनीष चतरथ जैसे नाम शामिल हैं। दूसरी ओर मनीष तिवारी, ग़ुलाम नबी आज़ाद सहित दूसरे नेताओं को जो नेतृत्व की आलोचना को लेकर मुखर हो रहे थे किनारे कर दिया गया है।