राज्यसभा में विपक्षी नेता पद के लिए कांग्रेस में रस्साकशी, गुलाम नबी आजाद हो रहे हैं रिटायर, जानें कौन हैं रेस में
By हरीश गुप्ता | Published: February 8, 2021 07:42 AM2021-02-08T07:42:35+5:302021-02-08T07:42:35+5:30
गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल राज्य सभा में अगले हफ्ते पूरा हो रहा है. ऐसे में कांग्रेस में मंथन जारी है कि राज्यसभा में पार्टी के नेतृत्व की जिम्मेदारी किसे सौंपी जाए.
नई दिल्ली: राज्यसभा में विपक्ष के नेता पद के लिए कांग्रेस में रस्साकशी शुरू हो गई है. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के अगले हफ्ते राज्यसभा से रिटायर होने के कारण नए नेता का चयन जरूरी हो गया है.
आजाद पिछले छह वर्षों से राज्यसभा में विपक्ष के नेता पद पर थे, लेकिन कुछ अज्ञात कारणों से कांग्रेस के आलाकमान ने उन्हें पिछले वर्ष राज्यसभा के लिए फिर से टिकट नहीं दी.
गुलाम नबी आजाद के कौन होंगे उत्तराधिकारी
आजाद के उत्तराधिकारी बनने के लिए कांग्रेस में कई दावेदार सामने आ गए हैं. इनमें राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा, पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, मल्लिकार्जुन खड़से और दिग्विजय के नाम शामिल हैं. संयोग से नए कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए पार्टी के संगठनात्मक चुनाव भी होने वाले हैं.
देखना होगा कि अंतरिम अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी राज्यसभा में पार्टी का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी किसे सौंपती हैं. कांग्रेस के अंदरुनी सूत्रों के अनुसार मौजूदा हालात में पार्टी हाईकमान बहुत सोच समझकर ही कोई कदम उठाएगा. वह आजाद के उत्तराधिकारी के रूप में खड़से पर विश्वास जता सकता है जो लोकसभा में पांच वर्ष तक कांग्रेस के नेता रह चुके हैं.
आनंद शर्मा के विपक्ष के नता बनने के आसार कम
खड़से 2019 में लोकसभा का चुनाव हार गए थे. आनंद शर्मा के राज्यसभा में विपक्ष के नेता बनने के आसार कम हैं क्योंकि वे कांग्रेस के उन 23 नेताओं में शामिल रहे हैं जिन्होंने गत वर्ष नेतृत्व के खिलाफ पत्र लिखा था. हालांकि उन्होंने नेतृत्व के साथ सुलह करने का प्रयास किया था, परंतु राहुल गांधी पिघले नहीं.
इसके अलावा राहुल गांधी राज्यसभा में उन कांग्रेस नेताओं से नाराज बताए जाते हैं जो लोकसभा में कांग्रेस के नेताओं के साथ तालमेल साधकर काम नहीं करते. राज्यसभा में गत सप्ताह कामकाज सुचारू रूप से हुआ जबकि लोकसभा में विपक्ष ने कार्यवाही चलने नहीं दी.
पी. चिदंबरम भी राज्यसभा में विपक्ष का नेता बनने के इच्छुक हैं. पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि वह पार्टी के बाकी नेताओं में सबसे काबिल तथा अनुभवी हैं. विपक्ष के नेता का दर्जा कैबिनेट मंत्री के समकक्ष होता है और उसे कई विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं.