'मध्य प्रदेश में कांग्रेस का चुनावी चेहरा सही समय पर किया जाएगा घोषित'
By भाषा | Published: July 1, 2018 12:58 PM2018-07-01T12:58:28+5:302018-07-01T12:58:28+5:30
सियासी आलोचकों का दावा है कि प्रदेश में अलग-अलग गुटों में बंटी कांग्रेस में, मुख्यमंत्री पद का चुनावी चेहरा घोषित करने की औपचारिक घोषणा से पार्टी में खींचतान शुरू हो जाएगी जिसका असर पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर पड़ेगा।
इंदौर, 01 जुलाई: इसे कांग्रेस की चुनावी रणनीति का हिस्सा कह लीजिये या कांग्रेस के भीतर की गुटीय राजनीति का स्वाभाविक 'साइड इफेक्ट' कि मध्यप्रदेश में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए सूबे के प्रमुख विपक्षी दल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ इस शीर्ष पद के दावेदार की अब तक औपचारिक घोषणा नहीं की है। हालांकि, कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव संजय कपूर का कहना है कि सूबे में कांग्रेस का चुनावी चेहरा सही समय पर घोषित किया जायेगा।
कपूर ने यहां कहा, "हम प्रदेश में मुख्यमंत्री पद का चुनावी चेहरा हालात को देखते हुए लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत चुनेंगे और सही समय पर इसकी घोषणा करेंगे। सूबे की सत्ता में कांग्रेस की वापसी हमारी प्राथमिकता है।" कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के चुनावी चेहरे के शीर्ष दावेदारों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया की गिनती होती है।
सियासी आलोचकों का दावा है कि प्रदेश में अलग-अलग गुटों में बंटी कांग्रेस में, मुख्यमंत्री पद का चुनावी चेहरा घोषित करने की औपचारिक घोषणा से पार्टी में खींचतान शुरू हो जाएगी जिसका असर पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर पड़ेगा।
पार्टी के मध्यप्रदेश मामलों के प्रभारी कांग्रेस सचिव कपूर गुटबाजी की बात को खारिज करते हुए कहते हैं, "भाजपा को सूबे की सत्ता से बाहर करने के लिये हमारे सभी बड़े नेता मिलकर काम कर रहे हैं।" भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव में लगातार चौथी बार सरकार बनाने की कोशिश कर रही है । कांग्रेस राज्य की सत्ता से पिछले 15 साल का वनवास खत्म करने के प्रयास में है।
भाजपा के छोटे-बड़े नेता कांग्रेस को लगातार चुनौती दे रहे हैं कि वह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ इस शीर्ष पद का दावेदार घोषित करके दिखाये। इस चुनौती को लेकर सूबे के दिग्गज कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह से प्रतिक्रिया पूछने पर उन्होंने कहा, "खुद शिवराज प्रदेश के वर्ष 2003 के विधानसभा चुनावों में भाजपा का चुनावी चेहरा नहीं थे।"
दिग्विजय को आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर गठित प्रदेश कांग्रेस समन्वय समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। दिसंबर 1993 से दिसंबर 2003 के बीच राज्य के मुखिया रहे "दिग्गी राजा" मुख्यमंत्री पद की दावेदारी की दौड़ से खुद को पहले ही बाहर बता चुके हैं। वह प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के कांग्रेसी दावेदार के नाम की घोषणा की जरूरत के सवाल को लम्बे समय से टालते रहे हैं। उन्होंने एक चर्चित बयान में कहा था, "हमारे देश में संसदीय लोकतंत्र है जहां चेहरा नहीं, बल्कि पार्टी चुनाव जिताती है।"
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