अमित शाह के चिट्ठी पर चंद्रबाबू नायडू का जवाब, कहा-पैसों को लेकर झूठ बोल रही है केंद्र सरकार
By स्वाति सिंह | Published: March 24, 2018 04:36 PM2018-03-24T16:36:42+5:302018-03-24T16:36:42+5:30
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने तेलुगु देसम पार्टी के एनडीए का साथ छोड़ने के फैसले को 'एकतरफा और दुर्भाग्यपूर्ण' बताया था।
नई दिल्ली, 24 मार्च: भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के खुले पत्र का जवाब तेलुगु देसम पार्टी नेता और आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने शनिवार को दिया। उन्होंने कहा 'अमित शाह ने अपने पत्र में कहा है कि केंद्र ने राज्य को कई धनराशि दी है, जिसका हमने इस्तेमाल नहीं किया है। शाह के कहने का मतलब यह है कि असमर्थ है। उन्होंने आगे कहा 'हमारी सरकार के पास अच्छी सकल घरेलू उत्पाद, कृषि और कई प्रकार की क्षमता के लिए कई राष्ट्रीय पुरस्कार भी हैं। उन्होंने अमित शाह से सवाल किया कि झूठ क्यों फैल रहे हैं।
Amit Shah's letter is full of false information which shows their attitude. Even now Centre is providing special benefits to North Eastern states. Had #AndhraPradesh been given the same hand holding, many industries would have come to the state: Andhra CM N Chandrababu Naidu pic.twitter.com/3j67PKGijU
— ANI (@ANI) March 24, 2018
बता दें कि अमित शाह ने तेलुगु देसम पार्टी के एनडीए का साथ छोड़ने के फैसले को 'एकतरफा और दुर्भाग्यपूर्ण' बताया था। शाह ने ये बातें शुक्रवार को टीडीपी मुखिया को लिखे एक खत में कही। उन्होंने लिखा, 'यह फैसला पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। इसमें विकास की कोई चिंता नहीं है।' इससे पहले टीडीपी मुखिया ने कहा था कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर बीजेपी इतना सख्त रवैया क्यों अपना रही है। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते टीडीपी के दो मंत्रियों ने सरकार से इस्तीफा दे दिया था और पार्टी ने एनडीए का साथ छोड़ दिया था।
इससे पहले टीडीपी अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू ने आज बीजेपी अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा था कि उन्हें लगा कि एनडीए के साथ आगे बढ़ना निरर्थक है क्योंकि केंद्र सरकार आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 को अक्षरश: लागू करने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने में असफल हो गई। उन्होंने जिक्र किया कि राज्यसभा में दिए गए आश्वासन और अधिनियम के ज्यादातर महत्वपूर्ण प्रावधानों पर प्रक्रिया बहुत सुस्त, असंतोषजनक और निराशाजनक ढंग से चल रही थी।