केंद्र सरकार ने असंवैधानिक तरीके से पारित कराए विधेयक, विपक्ष का आरोप, राष्ट्रपति से लगाई गुहार

By शीलेष शर्मा | Published: September 23, 2020 07:33 PM2020-09-23T19:33:29+5:302020-09-23T19:33:29+5:30

अध्यादेश को क़ानून बनाने के लिया सदन में जो प्रक्रिया अपनायी गयी उसके तहत ना तो ये विधेयक ध्वनि मत से पारित हुए और न ही मत विभाजन के ज़रिये। विपक्ष ने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि असंवैधानिक तरीके से कथित पारित हुए विधेयकों पर वे अपने हस्ताक्षर कर स्वीकृति प्रदान न करें।  

Central government passed bill unconstitutional manner opposition charges pleading President | केंद्र सरकार ने असंवैधानिक तरीके से पारित कराए विधेयक, विपक्ष का आरोप, राष्ट्रपति से लगाई गुहार

भाजपा के पक्ष में केवल 2 राजनीतिक दल थे बल्कि शेष दल विपक्ष के साथ खड़े थे। (photo-ani)

Highlightsसरकार ने संसदीय और संवैधानिक व्यवस्थाओं की अनदेखी कर कृषि सम्बन्धी विदेयकों को पारित किया है। आज़ाद ने बातचीत का ब्योरा देते हुए कहा कि विपक्ष ने जो ज्ञापन राष्ट्रपति को सौंपा है उसमें 15 राजनीतिक दलों के हस्ताक्षर हैं। विधेयक पारित नहीं माने जा सकते क्योंकि विपक्ष के सदस्य मत विभाजन की मांग कर रहे थे जिसकी उन्होंने अनदेखी की। 

नई दिल्लीः कांग्रेस सहित 15 राजनीतिक दलों ने आज शाम राष्ट्रपति रामनाथ कोविद को एक ज्ञापन सौप कर आरोप लगाया कि सरकार ने संसदीय और संवैधानिक व्यवस्थाओं की अनदेखी कर कृषि सम्बन्धी विदेयकों को पारित किया है। 

अध्यादेश को क़ानून बनाने के लिया सदन में जो प्रक्रिया अपनायी गयी उसके तहत ना तो ये विधेयक ध्वनि मत से पारित हुए और न ही मत विभाजन के ज़रिये। विपक्ष ने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि असंवैधानिक तरीके से कथित पारित हुए विधेयकों पर वे अपने हस्ताक्षर कर स्वीकृति प्रदान न करें।  

राष्ट्रपति से लगभग आधे घंटे की मुलाक़ात के बाद विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने बातचीत का ब्योरा देते हुए कहा कि विपक्ष ने जो ज्ञापन राष्ट्रपति को सौंपा है उसमें 15 राजनीतिक दलों के हस्ताक्षर हैं। उन्होंने दावा किया कि राज्य सभा में उपसभापति हरवंश ने जिस प्रक्रिया को अपनाया उसके तहत यह विधेयक पारित नहीं माने जा सकते क्योंकि विपक्ष के सदस्य मत विभाजन की मांग कर रहे थे जिसकी उन्होंने अनदेखी की। 

सरकार विधेयक की ध्वनि मत से पारित होने का दावा कर रही है जो सही नहीं है, क्योंकि सदन में उस समय इतना शोर-शराबा था कि यह पता नहीं चल पा रहा था कि  सदस्य विधेयक के पक्ष में अपनी राय दे रहे हैं अथवा उसके खिलाफ। आज़ाद ने दावा किया कि सदन का बहुमत विपक्ष के पास था क्योंकि उस समय भाजपा के पक्ष में केवल 2 राजनीतिक दल थे बल्कि शेष दल विपक्ष के साथ खड़े थे। 

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि  हंगामे के लिए विपक्ष ज़िम्मेदार नहीं सरकार ज़िम्मेदार है क्योंकि वह बहुमत न होने के बावजूद असंवैधानिक तरीके से विधेयक को पारित कराना चाहती थी जिसका सदस्य विरोध कर रहे थे। 

आज़ाद ने पुछा कि  विपक्ष की ओर  से मतदान कराने के लिए प्रस्ताव और कमेटी में भेजने के लिए मोशन रखे थे इस मांग के साथ कि  इन दोनों विधेयकों को विस्तृत चर्चा के लिए स्टैंडिंग समिति अथवा सेलेक्ट समिति को भेजा जाए लेकिन उप-सभा पति ने इनको नज़रअंदाज़ किया और जबरन हंगामे के बीच ही विधेयक पारित हो जाने की घोषणा कर दी। 

विपक्ष ने राष्ट्रपति से यह आग्रह भी किया कि  इन विधेयकों को पुनः सदन में लाया जाए ताकि नए सिरे से चर्चा करके संविधान के अनुरुप सदन कोई फैसला ले सके।  यह पूछे जाने पर कि  राष्ट्रपति की क्या प्रतिक्रिया थी, आज़ाद ने कहा कि  उन्होंने भरोसा दिया है कि  वे इस मामले को देखेंगे और आवश्यक कदम उठाएंगे।  

Web Title: Central government passed bill unconstitutional manner opposition charges pleading President

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