हमारी आस्था के केंद्र भगवान राम ही हैं!, दिग्विजय सिंह का ट्वीट-राजीव गांधी जी भी यही चाहते थे

By शिवअनुराग पटैरया | Published: August 1, 2020 07:19 PM2020-08-01T19:19:19+5:302020-08-01T19:19:19+5:30

रही बात मुहूर्त की, तो इस देश में 90 प्रतिशत से भी ज्यादा हिन्दू ऐसे होंगे जो मुहूर्त, ग्रह दशा, ज्योतिष, चौघड़िया आदि धार्मिक विज्ञान को मानते हैं। मैं तटस्थ हूँ इस बात पर कि 5 अगस्त को शिलान्यास का कोई मुहूर्त नही है ये सीधे-सीधे धार्मिक भावनाओं और मान्यताओं से खिलवाड़ है।

center of our faith is Lord Ram Digvijay Singh's tweet Rajiv Gandhi also wanted this | हमारी आस्था के केंद्र भगवान राम ही हैं!, दिग्विजय सिंह का ट्वीट-राजीव गांधी जी भी यही चाहते थे

जल्द से जल्द एक भव्य मंदिर अयोध्या राम जन्मभूमि पर बने और रामलला वहां विराजें. स्व. राजीव गांधी भी चाहते थे.

Highlightsट्वीट कर कहा कि हमारी आस्था के केंद्र भगवान राम ही हैं. और आज समूचा देश भी राम भरोसे ही चल रहा है.हम सबकी आकांक्षा है कि जल्द से जल्द एक भव्य मंदिर अयोध्या राम जन्मभूमि पर बने और रामलला वहां विराजें. स्व. राजीव गांधी भी चाहते थे.इसके पूर्व द्वारिका और ज्योतिष पीठ के इसके शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने राममंदिर के निर्माण के लिए 5 अगस्त को अशुभ घड़ी करार दिया था.

भोपालः मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने आज कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी चाहते थे कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बने और रामलला वहां विराजें. दिग्विजय सिंह ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर राममंदिर शिलान्यास पर अपनी बात कही.

उन्होंने ट्वीट कर कहा कि हमारी आस्था के केंद्र भगवान राम ही हैं. और आज समूचा देश भी राम भरोसे ही चल रहा है. इसीलिए हम सबकी आकांक्षा है कि जल्द से जल्द एक भव्य मंदिर अयोध्या राम जन्मभूमि पर बने और रामलला वहां विराजें. स्व. राजीव गांधी भी चाहते थे.

दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा कि रही बात मुहुर्त की तो इस देश में 90 प्रतिशत से भी ज्यादा हिंदू ऐसे होंगे, जो मुहूर्त, ग्रह दशा, ज्योतिष, चौघड़िया आदि धार्मिक विज्ञान को मानते हैं. मैं तटस्थ हूं इस बात पर कि 5 अगस्त को शिलान्यास का कोई मुहूर्त नहीं है. ये सीधे सीधे धार्मिक भावनाओं और मान्यताओं से खिलवाड़ है.  

दिग्विजय सिंह ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि ‘‘रामहि केवल प्रेमु पिआरा, जानि लेउ जो जान निहारा’’ (भावार्थ : श्री रामचन्द्रजी को केवल प्रेम प्यारा है, जो जानने वाला हो (जाननाचाहता हो), वह जान ले.) इसके पूर्व द्वारिका और ज्योतिष पीठ के इसके शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने राममंदिर के निर्माण के लिए 5 अगस्त को अशुभ घड़ी करार दिया था.

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा था कि हमें कोई पद नहीं चाहिए और न ही हम राम मंदिर के ट्रस्टी बनना चाहते है. हम केवल यह चाहते हैं कि मंदिर का निर्माण ठीक ढंग से हो और आधारशिला सही समय पर रखाी जाए. अभी जो तिथि तय की गई है वह अशुभ घड़ी है.

राम मंदिर के  भूमि पूजन समारोह में मध्य प्रदेश  से उमा भारती व जयभान सिंह पवैया होंगे शामिल

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती व पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया को राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होंगी. उन्हें कल रात्रि भी इस बारे में आमंत्रण मिला है. उमा भारती ने खुद सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी देते हुए कहा कि उन्हें निर्देश मिला है कि वह चार अगस्त की शाम तक अयोध्या पहुंच जाएं और छह अगस्त तक वहीं रहना होगा.

उन्होंने कहा कि मैं अभी 30 जून को भी अयोध्या जी गई थी. रामलला के दर्शन किए थे, आरती में भाग लिया था. अब मुझे फिर रामलला के दर्शन का मौका मिलेगा. उमा भारती के साथ ही जयभान सिंह पवैया को भी राममंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होने का आमंत्रण मिला है.

जयभान सिंह पवैया संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि मेरा ही नहीं, पूरे देश का एक सपना पूरा हो रहा है. 500 साल बाद हम इतिहास को बदलते देखने जा रहे हैं. आंदोलन के दौरान हम नारा लगाते थे- रामलला हम आएंगे, मंदिर वही बनाएंगे अब पूरा होने जा रहा है.

उन्होंने कहा कि 6 दिसंबर 1992 को मंच पर अशोक सिंघल, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, संघ से सुदर्शनजी, शेषाद्रीजी, विजयाराजे सिंधिया, महंत नृत्यगोपालदास महाराज, आचार्य धर्मेंद्र, अवेध्यानंद महाराज, साध्वी उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा सहित हम सभी मौजूद थे.

गौरतलब है कि दोनों ही नेता रामजन्म भूमि आंदोलन से लंबे समय से जुड़े हुए हैं. उमा भारती राम जन्म भूमि आंदोलन की प्रमुख नेता रही हैं. जयभान सिंह पवैया आंदोलन में मध्य प्रदेश से राममंदिर आंदोलन से जुडे मुख्य आंदोलनकारी के साथ बजरंग दल के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

वह मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे है.  पवैया और उमा भारती पर अभी भी विवादित ढांचा गिराने के लिए लोगों को उकसाने का केस चल रहा है. जुलाई के पहले पखवाड़े में दोनों नेता अपने बयान दर्ज कराने लखनऊ गए थे.

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