सीबीएसई पाठ्यक्रम कटौती पर विवाद: शशि थरूर और सीएम ममता के ट्वीट पर बोर्ड ने दी सफाई, सिसोदिया बोले- बताना चाहिए
By एसके गुप्ता | Published: July 8, 2020 08:46 PM2020-07-08T20:46:52+5:302020-07-08T20:46:52+5:30
पूर्व केंद्रीय मंत्री मंत्री शशि थरूर ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को ट्वीटर पर टैग करते हुए लिखा कि ‘मैं पहले मंत्री को सीबीएसई का सिलेबस घटाने के लिए बधाई देने वाला था।
नई दिल्लीः केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कोरोना काल में 9वीं से 12वीं कक्षा तक के छात्रों को राहत देते हुए 30 फीसदी पाठ्यक्रम में कटौती की है। पाठ्यक्रम से हटाए गए अध्यायों को लेकर अब विवाद शुरू हो गया है।
इसकी वजह पाठ्यक्रम से नागरिकता, लोकतांत्रिक अधिकार, फूड सिक्योरिटी, संघवाद, जैसे अध्यायों को हटना है। पूर्व केंद्रीय मंत्री मंत्री शशि थरूर ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को ट्वीटर पर टैग करते हुए लिखा कि ‘मैं पहले मंत्री को सीबीएसई का सिलेबस घटाने के लिए बधाई देने वाला था।
लेकिन अब दसवीं के छात्र लोकतंत्र, लोकतंत्र को मिलने वाली चुनौती, धर्म, जाति जैसे सब्जेक्ट नहीं पढ़ पाएंगे। इसके अलावा 11-12वीं के बच्चे जो वोटर बनने की कगार पर हैं, उन्हें राष्ट्रवाद-सेक्युलरिज्म, बंटवारे और पड़ोसी देशों के साथ संबंध का पाठ नहीं पढ़ाया जाएगा।
शशि थरूर ने लिखा है कि जिन्होंने ये बदलाव किए हैं उनकी मंशा पर सवाल खड़े होते हैं। क्या उन्होंने ये तय कर लिया है कि लोकतंत्र, सेक्युलरिज्म जैसे मुद्दे भविष्य के नागरिकों के लिए जरूरी नहीं हैं? मैं सरकार से अपील करता हूं कि इस तरह के फैसले पर दोबारा विचार करें।
सीबीएसई को स्कूल पाठ्यक्रम में से कुछ विषयों को हटाने का औचत्य बताना चाहिए
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सीबीएसई को स्कूल पाठ्यक्रम में से कुछ विषयों को हटाने का औचत्य बताना चाहिए। उम्मीद करते हैं कि स्कूलों के बंद होने की वजह से पाठ्यक्रम में कटौती करने के बजाय सीबीएसई के पास पाठ्यक्रम से कुछ विषयों को हटाने के कुछ अच्छे कारण होंगे।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ट्वीट कर कहा है कि ‘मैं यह जानकर अचंभित हूं कि केंद्र सरकार ने कोविड संकट के दौरान पाठ्यक्रम के भार को कम करने के नाम पर नागरिकता, संघवाद, धर्मनिरपेक्षता और विभाजन जैसे विषयों को हटाने का का फैसला किया। हम इसका कड़ा विरोध करते हैं और एचआरडी मंत्रालय को सुनिश्चित करना चाहिए कि महत्त्वपूर्ण पाठों को किसी भी कीमत पर नहीं हटाया जाए।’
सीबीएसई का कहना:
सीबीएसई सचिव अनुराग त्रिपाठी ने कहा है कि हटाए गए 30 फीसदी पाठ्यक्रम से केवल परीक्षाओं में प्रश्न नहीं आएंगे। स्कूल को यह कहा गया है कि वह छात्रों को हर अध्याय को पढाएं और गतिविधियों के माध्यम से छात्रों को समझाएं। पाठ्यक्रम की यह कटौती सत्र 2020-21 के लिए ही है।
जिससे कोरोना काल में छात्रों की छूटी पढाई को पाटने और उन्हें तनाव से मुक्त करने के लिए ऐसा किया गया है। इसके लिए 9वीं से 12वीं कक्षा तक के 190 विषयों की विशेषज्ञ कमेटी बनी, विशेषज्ञ, स्कूल प्रिंसिपल, शिक्षक, छात्र और अभिभावकों की ओर से बोर्ड को मिले सुझावों के आधार पर 30 फीसदी पाठ्यक्रम परीक्षा के लिहाज से घटाया गया है।
सीबीएसई के अकादमिक निदेशक डा. इमेनुअल जोसेफ ने स्थिति को अधिक स्पष्ट करते हुए बुधवार शाम को निर्देश जारी किया है कि सभी स्कूलों को एनसीईआरटी की ओर जारी वैकल्पिक एकेडमिक कैलेंडर के तहत छात्रों को पूरा सिलेबस पढ़वाना है।
बॉक्स :
सीबीएसई के अनुसार बोर्ड परीक्षा से हटाए गए अध्याय :
कक्षा नौवीं में राजनीति विज्ञान से हटे अध्याय
लोकतांत्रिक अधिकार
भारतीय संविधान की संरचना
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दसवीं कक्षा
-लोकतंत्र और विविधता
-जाति, धर्म और लिंग
-लोकतंत्र के लिए चुनौती
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ग्यारहवीं कक्षा
संघीय ढांचा
राज्य सरकार
नागरिकता
राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता
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बारहवीं कक्षा
समकालीन दुनिया में सुरक्षा
पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन
भारत में सामाजिक और नए सामाजिक आंदोलन
क्षेत्रीय विरासत
भारतीय अर्थव्यवस्था का बदलता स्वरूप
नीति आयोग
जीएसटी
विषयवार हटाए गए पाठ्यक्रम की जानकारी के लिए सीबीएसई की वेबसाइट सर्च करें…