बिहार: विधान सभा चुनाव से पहले RJD को झटका, रघुवंश प्रसाद सिंह ने उपाध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा, 5 MLC ने छोड़ी पार्टी
By एस पी सिन्हा | Published: June 23, 2020 01:50 PM2020-06-23T13:50:46+5:302020-06-23T20:51:06+5:30
अगले माह की 7 तारीख को बिहार के 9 विधान परिषद सीट के लिए चुनाव होने हैं।
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजद को आज एक जबर्दस्त झटका लगा है. एक ओर जहा राजद के पांच विधानपार्षद राजद को छोडकर जदयू का दामन थाम लिया है. वहीं, जदयू के वरिष्ठ नेता व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी राजद से नाता तोड लिया है.
राजद को बाय-बाय करने वाले विधान पार्षदों में दिलीप राय, राधा चरण सेठ, संजय प्रसाद ,कमरे आलम और रणविजय सिंह ने जदयू की सदस्यता ग्रहण कर लिया है.
बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विधापरिषद का चुनाव होना है. चुनाव से पहले राजद के पांच विधान परिषद के सदस्यों ने जदयू का दामन थाम लिये जाने से राजद के सेहत पर असर पडना तय माना जा रहा है.
सभापति अवधेश सिंह ने पांचों विधानपार्षद के गुट को अलग मान्यता दे दी-
इसबीच, विधान परिषद के सभापति अवधेश सिंह ने पांचों विधानपार्षद के गुट को अलग मान्यता दे दी है. इस संबंध में जदयू की सचेतक रीना यादव ने पत्र लिखकर सभापति से मानयता देने की मांग की थी.
इसी के आलोक में विधान परिषद ने राजद से आए जदयू के सभी सदस्यों को मान्यता दे दी. उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले ही जदयू नेता और मंत्री अशोक चौधरी ने कहा था कि राजद में बड़ी टूट होने वाली वाली है. लेकिन उस समय राजद ने इनको सिर्फ अफवाह बताया था. लेकिन यह बात सही साबित हुई है.
तेजस्वी ने खुद दावा किया था कि कुछ दिनों के बाद जदयू पार्टी गायब हो जाएगी. लेकिन उससे पहले ही तेजस्वी को बडा झटका लगा है. बता दें कि राजद में विप उम्मीदवारों के नाम की चर्चा होते ही विवाद शुरू हो गया है. पार्टी नेता पूर्व मंत्री भोला राय के समर्थकों ने सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री राबडी देवी के आवास 10 सर्कुलर रोड पर जाकर हंगामा किया था.
लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव हो सकते हैं राजद के विधान पार्षद उम्मीदवार-
उधर, जानकारी के अनुसार लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप भी दिल्ली में अपना कागज तैयार करने में लगे हैं. तेजप्रताप इस बार विधान परिषद के उम्मीदवार बनने के प्रयास में हैं. लेकिन पार्टी ने विधानसभा चुनाव को देखते हुए परिवार के किसी सदस्य को सदन में नहीं भेजने का फैसला किया है.
उधर, भोला राय के समर्थकों का दावा है कि श्री राय को लालू ने भी विधानपरिषद भेजने का वादा किया था. पर अब तक की सूची में उनका नाम नहीं है. इसके बाद में पार्टी के नेताओं ने कार्यकर्ताओं को समझा-बुझाकर वापस किया. भोला राय राघोपुर के हैं, जहां से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी चुनाव लडते हैं.
वे इसके पहले भी कई बार विधान परिषद जा चुके हैं. वह राजद सरकार में मंत्री भी रहे हैं. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बिहार विधान परिषद की नौ सीटों के लिए जदयू, भाजपा, राजद और कांग्रेस में उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया अंतिम दौर में है.
जदयू ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को इसके लिए अधिकृत कर दिया है. जबकि राजद में तीन सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम लगभग तय हो गए हैं. वहीं प्रदेश भाजपा ने संभावित उम्मीदवारों की सूची केंद्र को भेज दी है.
उधर, कांग्रेस में अनेक दावेदारों के बीच एक उम्मीदवार का चयन पार्टी नेतृत्व के लिए चुनौती है.इसबीच, राष्ट्रीय जनता दल को एक और बडा झटका लगा है. पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. यह राजद के लिए बहुत बडा झटका माना जा रहा है.
इसके बारे में बताया जा रहा है कि वे रामा सिंह को राजद में शामिल किए जाने को लेकर नाराज चल रहे हैं और तेजस्वी यादव रामा सिंह को पार्टी में शामिल करने की बात कर रहे हैं. यहां बता दें कि रघुवंश प्रसाद सिंह फिलहाल कोरोना पॉजिटिव हैं और उनका इलाज पटना के एम्स में चल रहा है.
रघुवंश प्रसाद को हराकर 2014 लोकसभा चुनाव में जीते थे रामा सिंह-
उन्होंने पार्टी को पहले ही बताया दिया था कि या तो राजद में रघुवंश प्रसाद रहेंगे या रामा सिंह रहेंगे. रघुवंश प्रसाद सिंह ने पटना एम्स से अपना इस्तीफा भेजवा दिया है. इसतरह से विधानसभा चुनाव से पहले राजद को एक बडा झटका है.यहां उल्लेखनीय है कि रामा सिंह ने वैशाली से लोकसभा चुनाव 2014 लोजपा से टिकट पर लड़ा था.
इस दौरान उन्होंने राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह को शिकस्त दी थी, लेकिन इसके बाद 2019 के चुनाव के दौरान पार्टी ने उनकी जगह वीणा देवी की टिकट दे दिया. तभी से यह कयास लगाए जा रहे थे. रामा सिंह ने तेजस्वी यादव से मुलाकात कर चुके हैं. बताया जा रहा है कि वह 29 जून को राजद में शामिल होंगे.
जिसका विरोध जगदानंद सिंह भी कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि राजद से इस्तीफा देने वाले कई नेता लालू प्रसाद यादव के काफी करीबी रहे हैं, लेकिन वह तेजस्वी यादव के नेतृत्व से खुश नहीं थे. जिसके बाद सभी ने पार्टी को अलविदा कह दिया.