बिहार विधान परिषदः शाहनवाज हुसैन और मुकेश सहनी ने दाखिल किया नामांकन, सीएम नीतीश बोले- जल्द मंत्रिमंडल विस्तार...
By एस पी सिन्हा | Published: January 18, 2021 03:07 PM2021-01-18T15:07:28+5:302021-01-18T15:13:34+5:30
भाजपा ने राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन को बिहार विधान परिषद चुनाव के मद्देनजर शनिवार को उम्मीदवार बनाया था.
पटनाः बिहार में एनडीए सरकार का कैबिनेट विस्तार जल्द होने वाला है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज खुद पुष्टि कर दिया है कि कैबिनेट का विस्तार जल्द ही होने वाला है.
दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज विधान परिषद के उप चुनाव वाली सीटों पर उम्मीदवारों का नामांकन कराने पहुंचे थे. इसी दौरान मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर मीडिया ने उनसे सवाल पूछा नीतीश कुमार ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि जल्दी होने वाला है.
इसके पहले नीतीश कुमार से जब भी कैबिनेट विस्तार को लेकर सवाल किया गया था तो उन्होंने भाजपा की तरफ से कोई बातचीत नहीं होने का हवाला दिया था. नीतीश कुमार पहले यह कहते रहे हैं कि भाजपा से इस मामले पर चर्चा नहीं हो पाई है, इसलिए देर हो रही है.
एनडीए की तरफ से शाहनवाज हुसैन और मुकेश सहनी ने नामांकन किया
नीतीश कुमार ने यहां तक कहा था कि उनके हाथ में अगर होता तो कब का मंत्रिमंडल विस्तार कर चुके होते. लेकिन आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुलकर कहा कि अब जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. वहीं, बिहार विधान परिषद की 2 सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव में आज एनडीए की तरफ से शाहनवाज हुसैन और मुकेश सहनी ने नामांकन किया.
हुसैन ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमारे बड़े भाई की भूमिका में रहे हैं
यह दोनों सीटें भाजपा कोटे की हैं, लेकिन एक सीट पर भाजपा ने अपनी सहयोगी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी को विधान परिषद भेज रही है. विधान परिषद की दो सीटों के लिए होने वाले उप चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की आज अंतिम तिथि है. पटना आयुक्त कार्यालय में नामांकन पत्र दाखिल किया गया. एनडीए उम्मीदवारों के नामांकन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद रहे.वहीं, नामांकन के बाद शाहनवाज हुसैन ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमारे बड़े भाई की भूमिका में रहे हैं.
हम बिहार के हैं, हमारा बिहार से जुड़ाव न कम हुआ है न होगा. हम बाहर कब गए थे जो वापस हुए हैं. नीतीश कैबिनेट में शामिल होने के सवाल पर कहा कि हम सब लोग नीतीश जी के साथ मिलकर के ही तो काम कर रहे हैं. शाहनवाज हुसैन ने कहा कि भाजपा नेतृत्व ने हमें सुशील मोदी के इस्तीफे से खाली हुई सीट के लिए उम्मीदवरा बनाया है.
मुकेश सहनी ने शॉट टर्म वाली सीट मिलने पर कहा कि कोई नाराजगी नहीं है
वहीं मुकेश सहनी ने शॉट टर्म वाली सीट मिलने पर कहा कि कोई नाराजगी नहीं है. वहीं, नीतीश कुमार ने दोनों उम्मीदवारों को बधाई दी. शाहनवाज हुसैन को मंत्रिमंडल में शामिल करने पर कहा कि यह तो आगे की बात है. बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार पर कहा कि सब आप लोग जान ही रहे हैं.
बिहार विधान परिषद के दो रिक्त पदों के लिए अलग-अलग उपचुनाव के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा कार्यक्रम निर्धारित है. 11 जनवरी को चुनाव की अधिसूचना जारी हुई थी. 18 जनवरी को नामांकन की अंतिम तिथि है. 19 जनवरी को स्क्रूटनी और 21 जनवरी तक नाम वापस लिए जा सकेंगे. जरूरत पड़ी तो 28 जनवरी को मतदान होगा.
विधान परिषद की 2 सीटें पिछले दिनों खाली हुई थीं
यहां बता दें कि विधान परिषद की 2 सीटें पिछले दिनों खाली हुई थीं. एक सीट पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के राज्यसभा चले जाने के कारण और दूसरी सीट पूर्व मंत्री विनोद नारायण झा के विधायक बनने के कारण खाली हुई थी. सुशील मोदी की सीट का कार्यकाल अभी 4 साल और बचा हुआ है और इस सीट पर शाहनवाज हुसैन विधान परिषद भेजे जाएंगे. जबकि विनोद नारायण झा वाली सीट का कार्यकाल करीबन डेढ़ साल तक बाकी है और इस सीट से भाजपा अपनी सहयोगी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी को विधान परिषद भेज रही है.
वहीं, जानकार मानते हैं कि शाहनवाज को बिहार विधान परिषद के लिए प्रत्याशी बनाना भाजपा का कोई सामान्य फैसला नहीं है. इसे पार्टी का कोई बड़ा और दूरगामी दांव माना जा रहा है. शाहनवाज को लेकर भाजपा की दूरगामी राजनीति तो अभी भविष्य की बात है, लेकिन फिलहाल उसने गत बिहार विधानसभा चनाव में एक भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं देने के कारण मुस्लिम विरोधी होने के आरोपों को खारिज कर दिया है. साथ ही पार्टी ने बिहार में अपना बड़ा चेहरा भी दिया है.
हुसैन पहली बार भाजपा के टिकट पर किशनगंज से लोकसभा चुनाव जीते थे
शाहनवाज हुसैन पहली बार भाजपा के टिकट पर किशनगंज से लोकसभा चुनाव जीते थे. तत्कालीन बिहारी वाजपेयी सरकार में उन्हें युवा मामलों का मंत्री बनाया गया. आगे 2001 में उन्हें कोयला मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार मिला, फिर 2003 में टेक्सटाइल मंत्री बनाए गए. वे देश के सबसे युवा कैबिनेट मंत्री भी रहे.
आगे साल 2004 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद उन्होंने 2006 में भागलपुर लोकसभा उपचुनाव में जीत दर्ज की. साल 2009 के लोकसभा चुनाव में भी वे जीते. इसके बाद शाहनवाज हुसैन की संसदीय राजनीति को ग्रहण लग गया. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में वे हार गए. आगे 2019 के लोकसभा चुनाव में भागलपुर की उनकी सीट एनडीए में भाजपा के सहयोगी जदयू के कोटे में चली गई.
जानकारों के अनुसार साल 2014 से संसदीय राजनीति के हाशिए पर रहने के बावजूद शाहनवाज हुसैन भाजपा के बड़ा मुस्लिम चेहरा बने रहे हैं. उन्हें बिहार विधान परिषद का प्रत्याशी बनाने के निहितार्थ क्या हैं, इसे लेकर कयासों का बाजार गर्म हो गया है. चर्चा है कि बिहार विधानसभा चुनाव में एक भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं देने के कारण आलोचना का केंद्र बनी भाजपा एक मुस्लिम नेता को विधान परिषद भेज कर भरपाई करना चाहती है.
भाजपा ने एनडीए के अपने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी दबाव बढ़ा दिया है
शाहनवाज हुसैन को विधान परिषद भेज कर भाजपा ने एनडीए के अपने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी दबाव बढ़ा दिया है. अल्पसंख्यक राजनीति करने वाले नीतीश कुमार के जदयू से कोई मुस्लिम प्रत्याशी विधानसभा नहीं पहुंच सका है. शाहनवाज हुसैन भाजपा में लंबे सयम तक हाशिए पर रहे, लेकिन पार्टी के प्रति उनकी वफादारी कायम रही.
बीते दिनों जम्मू-कश्मीर निकाय चुनाव में बतौर प्रभारी, उनके नेतृत्व में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. ऐसे में यह माना जा रहा है कि शाहनवाज हुसैन को बिहार में एमएलसी बना कर इसका पुरस्कार देने की दूरगामी रणनीति बनाई गई है. एमएलसी बनने के बाद उनकी नीतीश कुमार के कैबिनेट में एंट्री भी तय मानी जा रही है. जानकारों का मानना है कि शहनवाज हुसैन बिहार भाजपा में वे एक बड़ा चेहरा भी बनेंगे, यह तय लग रहा है. भाजपा बिहार में मजबूती की दिशा में सधे कदमों से धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है.
शाहनवाज हुसैन जैसे वरिष्ठ और अनुभवी नेता के रहने से बिहार में पार्टी को मजबूती मिलेगी
भाजपा प्रवक्ता संजय टाइगर कहते हैं कि शाहनवाज हुसैन जैसे वरिष्ठ और अनुभवी नेता के रहने से बिहार में पार्टी को मजबूती मिलेगी. भाजपा के कई अन्य नेताओं ने इसे पार्टी की मुस्लिम विरोधी छवि से उबरने का भी कदम बताया. वहीं, शाहनवाज हुसैन को लेकर एनडीए में भाजपा की सहयोगी जदयू ने सधी प्रतिक्रिया दी है. जदयू एमएलसी खालिद अनवर मानते हैं कि शाहनवाज के आने से बिहार में एनडीए को मजबूती मिलेगी. इससे मुस्लिम समुदाय में अच्छा संदेश भी जाएगा.
हालांकि, वे यह कहना नहीं भूलते कि एनडीए को नीतीश कुमार की वजह से मुस्लिम वोट मिले थे. वहीं बिहार की राजनीति में शाहनवाज हुसैन की सक्रिय प्रवेश पर विपक्ष की भी नजर है. राजद व कांग्रेस भाजपा को मुस्लिम विरोधी बताते रहे हैं. राजद के प्रवक्ता शक्ति यादव कहते हैं कि भाजपा को मुस्लिम समुदाय के लोग समझते हैं. वैसे भी शाहनवाज हुसैन को केंद्र की राजनीति से बिहार में सीमित कर देना उनके कद को घटाना है. कांग्रेस प्रवक्ता प्रेमचंद्र मिश्रा भी इसे शाहनवाज हुसैन के कद को घटना मानते हैं.