Bihar Election: राजद के राह पर चली लोजपा, चिराग पासवान ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर चुनाव टालने का किया अनुरोध
By एस पी सिन्हा | Published: August 1, 2020 08:49 PM2020-08-01T20:49:12+5:302020-08-01T20:49:12+5:30
लोजपा ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर चुनाव टालने का अनुरोध किया है. अपने पत्र में लोजपा ने लिखा कि बिहार में चुनाव कराना लोगों को मौत के मुंह में धकेलने जैसा है.
पटना: कोरोना काल में बिहार के अंदर विधानसभा चुनाव को लेकर सबसे बडा संकट खड़ा हो गया है. राजद के बाद अब लोक जनशक्ति पार्टी ने संक्रमण के बीच विधानसभा चुनाव कराए जाने पर सीधी आपत्ति जता दी है.
लोजपा ने साफ कह दिया है कि कोरोना काल में वह बिहार के अंदर चुनाव नहीं चाहती है. लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर दो-टूक कहा है कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले के बीच बिहार में चुनाव कराना लोगों को मौत के मुंह में धकेलने जैसा है.
इस तरह बिहार में कोरोना संकट और बाढ के बहाने लोजपा ने एनडीए गठबंधन में अपना दबाव बनाने की कवायद तेज कर दी है. पिछले कई महीनो से राज्य सरकार पर निशाना साधने वाले चिराग पासवान ने आज चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर अपनी मंशा जाहिर कर दी है.
बता दें कि 17 जुलाई को चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर राय मांगी थी. चुनाव आयोग के सचिव एन टी भूटिया के नाम से लिखे पत्र में चिराग पासवान ने कहा है कि विगत 17 जुलाई को चुनाव आयोग ने सभी दलो से राय मांगी थी.
इसी के तहत लोजपा इस पत्र के माध्यम से अपनी राय दे रही है. चिराग ने लिखा है कि बिहार में कोविड 19 के अलावे एक बड़ा हिस्सा बाढ़ से प्रभावित है और 13 जिले पूरी तरह से बाढ की चपेट में है.
ऐसी परिस्थिति में अभी लोगो का जान बचाना पहली प्राथमिकता है. दूसरी ओर चिराग ने कहा कि चुनाव के कारण सोशल डिस्टेंशिग का पालन होना संभव नही है और खासकर ईवीएम मशीन में जो बटन दबाये जायेगें, उससे संक्रमण के फैलने का खतरा और बढ जायेगा.
ऐसी परिस्थिति में पहली प्राथमिकता लोगो के जान बचाने का है इस लिये चुनाव को स्थगित किया जाना चाहिये.चिराग ने चुनाव आयोग को भेजे गए पत्र में कहा है कि अक्टूबर-नवंबर में कोरोना का प्रकोप और बढने की आशंका है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए चुनाव कराना अत्यंत ही कठिन होगा. बिहार के 38 में से 13 जिले अभी बाढग्रस्त हैं.
लोकतंत्र के लिए निष्पक्ष चुनाव होना जरूरी है पर इसके लिए एक बडी आबादी को खतरे में डालना सरासर अनुचित होगा. देश भर में 35 हजार से अधिक लोगों की मौत इस बीमारी की वजह से हो चुकी है. चिराग ने अपने पत्र में कहा कि विधानसभा चुनाव महज एक दिन की प्रक्रिया नहीं है.
राजनीतिक दलों तथा प्रत्याशियों को महीनों पहले से जुटना होता है. चुनाव की घोषणा और मतदान की तारीख के बीच चार से पांच हफ्ते का समय होता है. रैलियां और सभाएं होती हैं. इस परंपरा को बदल पाना अत्यंत ही कठिन होगा. यदि ऐसी सभाएं होती हैं तो बडी आबादी को संकमित होने का खतरा होगा.
उन्होंने आगे लिखा है कि बिहार जैसे प्रदेश के लिए वर्चुअल कैंपेनिंग संभव नहीं है. बिहार में बडी आबादी ऐसी है जिनके पास न तो स्मार्टफोन है और न ही उसके इस्तेमाल करने के लिए जरूरी तकनीक उपलब्ध है.लोजपा ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि बिहार में कोरोना संक्रमण के हालात बेहद गंभीर है और मौजूदा परिस्थितियों में अगर चुनाव होते हैं तो मतदाताओं के लिए बीमारी से संक्रमण के आसार बढ जाएंगे.
ऐसे में वोटर मताधिकार का प्रयोग कैसे कर पाएगा और इस संक्रमण को नियंत्रित करने के प्रयास में कई जगहों पर कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं. जहां पूरी तरह से पाबंदी लागू है. इन परिस्थितियों के बीच चुनाव संभव नहीं दिखता.
लोजपा ने कहा है कि कोरोना वायरस से प्रभावित लोगों को बेहतर जीवन देना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए. आज आवश्यकता है कि बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों का पुनर्वास व स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हो उपलब्ध संसाधनों का खर्च बिहारियों की बेहतरी के लिए होना चाहिए.
परिस्थितियों के बेहतर होने पर पुनः समीक्षा कर उचित समय पर चुनाव कराया जाए ताकि हर बिहारी लोकतंत्र के इस महापर्व में हर्षोल्लास के साथ अपनी भागीदारी निभा सके.