बिहार विधानसभा चुनावः महागठबंधन में दरार, जीतन राम मांझी ने किया सीएम नीतीश की तारीफ, तेजस्वी यादव को अल्टीमेटम
By एस पी सिन्हा | Published: June 15, 2020 06:49 PM2020-06-15T18:49:00+5:302020-06-15T18:49:00+5:30
सभी घटक दलों को महागठबंधन में अहमियत दी जाएगी तो यह चलेगा. कोई अकेला अपनी बात थोपे तो ऐसा नहीं होगा. सभी पांच घटक दल मिलकर फैसला लेंगे. अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर महागठबंधन में रहने का कोई मतलब नहीं है.
पटनाः बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी उठपटक चालू हो गई है. सभी दल चुनावी मैदान में उतरने से पहले को प्रबल दावेदार बताने में जुट गए हैं.
इस कड़ी में महागठबंधन में में खींचतान शुरू हो चुकी है. तेजस्वी यादव के द्वारा नजरअंदाज किए जाने से तिलमिलाए जीतन राम मांझी ने एक बार फिर से महागठबंधन से अलग होने का सुर अलापा है. उन्होंने कहा कि सभी घटक दलों को महागठबंधन में अहमियत दी जाएगी तो यह चलेगा. कोई अकेला अपनी बात थोपे तो ऐसा नहीं होगा. सभी पांच घटक दल मिलकर फैसला लेंगे. अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर महागठबंधन में रहने का कोई मतलब नहीं है.
वहीं, हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने चुनावी साल में मुख्यमंत्री नीतीश की खुलकर तारीफ कर और राजद को अल्टीमेटम देकर राजनीतिक अटकलों को हवा दे दी है. पत्रकारों से बातचीत के दौरान जीतन राम मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए कहा कि अच्छा काम कर रहे हैं.
वह संवेदनशील भी हैं पर जमीन पर उनके निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है. पदाधिकारी सरकारी आदेशों का सही कार्यान्वयन नहीं कर रहे हैं. इसलिए वास्तविक नतीजा नहीं सामने आ रहा है. मनरेगा और क्वारंटाइन सेंटरों में घोटाला हो रहा है. मजदूरों को पैसा नहीं मिल रहा है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने यह ऐलान किया है कि वो 25 जून को फैसला ले लेंगे
हालांकि उन्होंने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री से सारे राहत कार्य में जनप्रतिनिधियों को शामिल करने और मामले की जांच के लिए फ्लाइंग स्क्वायड बनाने की मांग की थी।. लेकिन सरकार ने उसे नहीं माना. तेजस्वी की नजरों में तवज्जो नहीं मिलने के बाद जीतन राम मांझी ने एक बार फिर से अकला चलो वाला राग अलापा है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने यह ऐलान किया है कि वो 25 जून को फैसला ले लेंगे. उन्होंने कहा कि अगर महागठबंधन में बात नहीं बनी तो वो स्वतंत्र निर्णय लेंगे. मांझी की मांग है कि महागठबंधन में को-ऑर्डिनेशन कमिटी बनाई जाए. इसको लेकर वो कई बार महागठबंधन से अलग होने की धमकी दे चुके हैं.
मांझी ने कहा कि पहले उन्होंने राजद समेत महागठबंधन के अन्य बड़े दलों को 30 दिसंबर तक महा समन्वय समिति के गठन का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन इसके बाद लॉकडाउन आने से उन्होंने इस पर जोर नहीं दिया था. पर उनकी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.
महागठबंधन ने अभी मुख्यमंत्री का चेहरा तय नहीं किया है
अब 25 जून की डेड लाइन दी गई है. उन्होंने कहा कि महागठबंधन ने अभी मुख्यमंत्री का चेहरा तय नहीं किया है. यह चेहरा समन्वय समिति तय करेगी. जीतन राम मांझी ने आज कहा कि वो 23 और 24 जून को महागठबंधन के नेताओं से बात करेंगे, अगर उसके बाद भी महागठबंधन में को-ऑर्डिनेशन कमिटी की बात पर सहमति नहीं बनती तो वो अपना रास्ता अलग कर सकते हैं.
यहां उल्लेखनीय है कि महागठबंधन में तेजस्वी के नेतृत्व को लेकर किचकिच जारी है. लेकिन इन सब के बीच राजद ने यह साफ कर दिया है कि महागठबंधन का चेहरा तेजस्वी ही हैं. इसको लेकर जीतन राम मांझी, रोलासपा चीफ उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी गुपचुप कई मीटिंग भी कर चुके हैं. अब देखना है कि चुनाव से पहले दरक चुके महागठबंधन का क्या होता है?
यहां बता दें कि महागठबंधन में पांच घटक दल राजद कांग्रेस, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) एवं विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) है. हम प्रमुख जीतन राम मांझी लंबे समय से महागठबंधन में समन्वय समति मांग करते रहे हैं.
मांझी के अनुसार यह समन्वय समिति ही महागठबंधन के नेता, मुख्यमंत्री चेहरा तथा सीटों के बंटवारा सहित सभी बडे फैसले करे. दूसरी ओर राजद कहता रहा है कि विधानसभा चुनाव उसके नेतृत्व में होगा तथा तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री चेहरा होंगे. बीते लोकसभा चुनाव के समय भी यह मुद्दा गहराया था, लेकिन किसी तरह डैमेज कंट्रोल कर लिया गया. अब विधानसभाा चुनाव के पहले विवाद फिर गहराता दिख रहा है.