बिहार विधानसभा चुनाव: सीएम नीतीश कुमार पर चौतरफा हमला, कोरोना महामारी के बीच पार्टियां उठा रही हैं ये मांग
By एस पी सिन्हा | Published: July 11, 2020 02:35 PM2020-07-11T14:35:46+5:302020-07-11T14:35:46+5:30
सूबे में बेलगाम होते कोरोना पर नीतीश सरकार को घेरने के लिए अब पार्टियां धीरे-धीरे लामबंद हो रही हैं.
पटना:बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. लेकिन राज्य में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर अब सियासी हमला शुरू हो गया है. सूबे में बेलगाम होते कोरोना पर नीतीश सरकार को घेरने के लिए अब पार्टियां धीरे-धीरे लामबंद हो रही हैं. बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरने के लिए नई तिकड़ी बनाई जा रही है. लोजपा सांसद चिराग पासवान ने बिहार में होने वाले चुनालेकर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है.
चिराग पासवान ने ट्वीट कर लिखा है कि कोरोना के प्रकोप से बिहार ही नहीं पूरा देश प्रभावित है. कोरोना के कारण आम आदमी के साथ साथ केंद्र व बिहार सरकार का आर्थिक बजट भी प्रभावित हुआ है. ऐसे में चुनाव से प्रदेश पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा. संसदीय बोर्ड के सभी सदस्यों ने इस विषय पर चिंता जताई है.
चिराग पासवान ने आगे यह भी लिखा है कि कोरोना के कारण सरकारों का आर्थिक बजट प्रभावित हुआ है. ऐसे में चुनाव से अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा. कहीं ऐसा ना हो की मात्र चुनाव के कारण बिहारीयों को ख़तरे में झोंक दिया जाए. इस महामारी के बीच चुनाव होने पर पोलिंग पर्सेंटेज भी काफ़ी नीचे रह सकते है जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है.
तेजस्वी यादव का हमला
यहां बता दें कि तेजस्वी यादव ने भी यह खुलेआम कह दिया है कि लाश पर चुनाव करवाने की मंशा ठीक नहीं है. इसके साथ ही तेजस्वी यादव ने कहा है कि बिहार में चुनाव करवाने का यह ठीक वक्त नहीं है. जिसके बाद अब चिराग पासवान ने भी तेजस्वी को सपोर्ट कर दिया है.
वहीं, राजद, लोजपा के बाद अब प्रशांत किशोर ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मंशा पर सवाल ख्डा कर दिया है. प्रशांत किशोर ने एक बार फिर नीतीश कुमार पर हमला बोला है. पीके ने कहा कि बिहार में कोरोना को लेकर स्थिति गंभीर बनती जा रही है. लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चुनाव की पडी है.
प्रशांत किशोर कही ये बात
यहां उल्लेखनीय है कि कभी मुख्यमंत्री नीतीश के करीबी रहे प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर लिखा है कि 'करोना की वजह से चुनाव और उसके तैयारियों में कोई बाधा ना आए इसलिए नीतीश कुमार ने तय कर लिया है कि बिहार में करोना की जांच की रफ़्तार को नहीं बढ़ायेंगे. बिहार में देश में सबसे कम टेस्टिंग हो रही है. करोना से संक्रमित लोगों के पता ना चलने या उसमें देरी के भयावह परिणाम हो सकते हैं.
चिराग पासवान से पहले तेजस्वी यादव ने भी कहा था कि बिहार में कोरोना संकट के बीच चुनाव कराना ठीक नहीं है. ऐसे में नीतीश कुमार बिहार में लाशों के ढेर पर चुनाव कराना चाहते हैं. नीतीश को डर है कि बिहार में कही राष्ट्रपति शासन न लग जाए. लेकिन राजद को बिहार की जनता की चिंता है. इसलिए बिहार में कोरोना संकट के बीच चुनाव कराना ठीक नहीं है. तेजस्वी याादव, चिराग पासवान के बाद अब प्रशांत किशोर ने कोरोना संकट के बीच चुनाव कराने पर सवाल उठाया है.
इस बीच, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार चुनाव से पहले बिहार सरकार की खामियों को गिनाने में लगे हैं. उन्होंने आज सुबह-सुबह बिहार में स्वास्थ्य के हालात को लेकर सरकार की पोल खोलने की कोशिश की है. तेजस्वी यादव ने फेसबुक पोस्ट किया है. इस पोस्ट के जरिए तेजस्वी यादव ने आंकडों के जरिए बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था की जमीनी हकीकत को बताने की कोशिश की है. तेजस्वी यादव ने फेसबुक पर लिखा है कि '15 वर्षों की नीतीश सरकार बताए, बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था बीमार क्यों है?
बिहार में 86.3 फीसदी विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है. बिहार में 70.1 फीसदी लैब टेक्नीशियन के पद खाली पडे हैं और नर्सों के 44.7 फीसदी पद खाली है. लेकिन बिहार सरकार इतनी बेरोजगारी होने के बावजूद इन रिक्त पदों पर कोई बहाली नहीं करती?
ऐसा क्यों? नीति आयोग के स्वास्थ्य मानकों पर बिहार सबसे ख़राब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में से है. जहां केरल का 74.01 स्कोर है, वहीँ बिहार का मात्र 32.11 है. बिहार का रैंक भी आखिरी में है. 21 बडे राज्यों में से बिहार 20वें स्थान पर है. ओवर आल परफारमेंस स्कोर में बिहार ने सुधार की जगह गिरावट दर्ज किया और निचली पायदान पर है. नीति आयोग के अनुसार बिहार में स्वास्थ्य क्षेत्र में कोई सुधार नहीं हुआ है.