जीतन राम मांझी पर महागठबंधन में दुविधा, पूर्व सीएम की नैया खा रही हैं हिचकोले, राजद और कांग्रेस परेशान
By एस पी सिन्हा | Published: June 26, 2020 06:02 PM2020-06-26T18:02:38+5:302020-06-26T18:02:38+5:30
पार्टी सूत्रों के अनुसार मांझी एक नया अल्टीमेटम राजद को दे सकते हैं क्योंकि वे जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहते है और इस रणनीति पर अब वे काम कर रहे हैं कि अगर राजद का रवैया नहीं बदला तो उनके आगे की रणनीति क्या होगी?
पटनाः बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने एक बार फिर से पलटी मार दी है. वह अभी महागठबंधन से अलग नहीं होंगे, बल्कि अभी वे इंतजार करेंगे.
वह अभी कोई बड़ा फैसला नहीं लेने जा रहे हैं वह राजद को एक और मौका देंगे. मांझी के आवास पर हुई कोर कमेटी की बैठक में सभी सदस्यों ने उन्हें आगे का निर्णय लेने के लिए अधिकृत कर दिया है, लेकिन अभी कुछ पाने की आशा में वे इंतजार करेंगे.
पार्टी सूत्रों के अनुसार मांझी एक नया अल्टीमेटम राजद को दे सकते हैं क्योंकि वे जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहते है और इस रणनीति पर अब वे काम कर रहे हैं कि अगर राजद का रवैया नहीं बदला तो उनके आगे की रणनीति क्या होगी?
प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि कांग्रेस की तरफ से 7 दिनों का समय मिला है
बैठक खत्म होने के बाद प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि कांग्रेस की तरफ से 7 दिनों का समय मिला है कि कोआर्डिनेशन कमेटी बन जाएगी. उस का हम इंतजार कर रहे हैं. अभी 5 दिन बचा हुआ है. मांझी तय करेंगे कि वह महागठबंधन में रहना है या एनडीए में जाना है.
अहमद पटेल के साथ बैठक हुई थी. हमें अभी भी उम्मीद है कोआर्डिनेशन कमेटी बन जाएगी. उन्होंने बताया कि कोर कमेटी में राष्ट्रीय अध्यक्ष को कोई भी निर्णय लेने के लिए अधिकृत कर दिया है. जहां तक कोऑर्डिनेशन कमिटी बनाने की बात है तो समय पूरा होने के बाद पार्टी आगे का निर्णय लेगी.
आज जीतन राम मांझी जी अध्यक्षता में हुई कोर कमेटी की बैठक में इस प्रस्ताव पर पार्टी नेताओं ने सहमति जताई कि महागठबंधन में समन्वय समिति का गठन होना चाहिए. बैठक के बाद पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने बताया कि 'हम' की ओर से राजद को कई बार महागठबंधन की समन्वय समिति गठित करने को कहा गया, लेकिन उसने हर बार इसकी अनदेखी की.
वे अपना फैसला जल्द ही सार्वजनिक करेंगे
दानिश ने बताया कि बैठक में पार्टी ने मांझी को राजद के साथ संबंध रखने अथवा न रखने के लिए अधिकृत कर दिया गया है. वे अपना फैसला जल्द ही सार्वजनिक करेंगे. यहां बता दें कि महागठबंधन में मांझी को राजद भाव नहीं दे रहा है. जिसके बाद यह चर्चा जोरों पर हैं कि मांझी बैठक में जदयू पार्टी में हम पार्टी के विलय को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं.
जदयू भी इसको लेकर तैयार हैं. अब फैसला मांझी को करना है. दानिश ने कहा कि दो दिनों पहले तेजस्वी यादव ने कहा था कि सहयोगियों को यदि कोई भी बात करनी है उसके लिए वे राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह से कर सकते हैं. दानिश ने कहा यह घटक दलों का अपमान है. लिहाजा, 'हम' की ओर से भभुआ के प्रखंड अध्यक्ष को जगदानंद सिंह से बात करने के लिए अधिकृत किया गया है.
जीतनराम मांझी ने सीट शेयरिंग के पहले महागठबंधन में समन्वय समिति के गठन की मांग रखी
उल्लेखनीय है कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए जीतनराम मांझी ने सीट शेयरिंग के पहले महागठबंधन में समन्वय समिति के गठन की मांग रखी तथा इसपर फैसला के लिए 25 जून तक का अल्टीमेटम दिया था.
दरअसल, मांझी पिछले साल के आखिरी महीने से ही समन्वय समिति को लेकर अल्टीमेटम पर अल्टीमेटम देते आ रहे हैं, लेकिन राजद झुकने के लिए तैयार नहीं है. मांझी चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग व मुख्यमंत्री चेहरा सहित तमाम बड़े फैसले समन्वय समिति करे.
लेकिन राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह समन्वय समिति के गठन के पहले से ही स्पष्ट कह रहे हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ही मुख्यमंत्री चेहरा हैं. ऐसे में महागठबंधन में मचे इस घमासान के बीच यह चर्चा भी खूब रही कि मांझी जदयू के साथ जा सकते हैं.
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने मांझी को दिल्ली तो बुलाया
स्थिति को देखते हुए कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने मांझी को दिल्ली तो बुलाया, लेकिन उनसे बातचीत की कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने. इसके अगले दिन सोनिया गांधी की अध्यक्षता में महागठबंधन की वर्चुअल बैठक में भी सोनिया शामिल नहीं हुईं.
राजद की तरफ से भी तेजस्वी के बदले सांसद मनोज झा शामिल हुए. बैठक में समस्या का कोई समाधान नहीं हो सका. ऐसे में अब नजरें मांझी के फैसले पर टिकी हैं. माना जा रहा है कि वे समस्या के समाधान को ले सोनिया गांधी द्वारा दिए गए एक सप्ताह का समय बीतने के बाद अपना फैसला सार्वजनिक कर सकते हैं.
जीतन राम मांझी के लिए राजद के सारे दरवाजे बंद हो चुके हैं
यहां बता दें कि लालू यादव या उनकी फैमिली के किसी सदस्य से बात करने के लिए तरस रहे जीतन राम मांझी के लिए राजद के सारे दरवाजे बंद हो चुके हैं. लिहाजा मांझी की पार्टी की ओर से लालू, तेजस्वी और राजद पर पलटवार तेज कर दिया गया है.
मांझी की पार्टी हम ने आज कहा है कि राजद से बात करने के लिए हम ने अपने एक प्रखंड अध्यक्ष को अधिकृत किया है. राजद नेताओं को प्रखंड अध्यक्ष से बात करनी होगी. वैसे मांझी ही नहीं बल्कि उपेंद्र कुशवाहा के लिए भी राजद के सारे दरवाजे बंद होते दिख रहे हैं.
जीतन राम मांझी ये दावा कर के दिल्ली गये थे कि वहां कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनकी मुलाकात होगी और सोनिया गांधी हस्तक्षेप कर राजद पर दबाव बनायेंगी. लेकिन मांझी और कुशवाहा से सोनिया गांधी की बात या मुलाकात नहीं हुई.
दिल्ली में दोनों ने अहमद पटेल से बात कर अपना रोना रोया. ऐसे में मांझी के पास नीतीश की शरण में जाने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं बच रहा है. हालांकि मांझी जानते हैं कि नीतीश कुमार के पास जाने पर भी बहुत कुछ हासिल होने वाला नहीं है. लिहाजा वे आखिरी दम तक कोशिश कर रहे हैं कि राजद का दिल पिघल जाये. लेकिन ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा है.