बिहार विधानसभा चुनावः महागठबंधन को झटका देंगे पूर्व सीएम जीतन राम मांझी, जदयू तैयार, हम का विलय करेंगे
By एस पी सिन्हा | Published: June 22, 2020 04:45 PM2020-06-22T16:45:47+5:302020-06-22T16:45:47+5:30
सभी पार्टियां अपने अपने हिसाब से सीटों के लिए अपना समीकरण सेट कर रही हैं. ऐसे में सबसे से अलग थलग पडे़ हम के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का मोह फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए जागने लगा है.
पटनाः बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है. चुनावी चौसर पर शह मात के लिए सेटिंग का खेल चालू हो सकता है.
सभी पार्टियां अपने अपने हिसाब से सीटों के लिए अपना समीकरण सेट कर रही हैं. ऐसे में सबसे से अलग थलग पडे़ हम के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का मोह फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए जागने लगा है. ऐसे में महागठबंधन छोड़ने का मन बना चुके पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के लिए जदयू ने रेड कारपेट पर बिछा दिया है.
जदयू ने मांझी की तरफ से दिए गए संकेतों का स्वागत करते हुए कहा है कि अगर जीतन राम मांझी जदयू में आते हैं तो यह अच्छी बात होगी. नीतीश कैबिनेट के मंत्री और जदयू नेता अशोक चौधरी ने कहा है कि जीतन राम मांझी घर वापसी की संभावनाओं का स्वागत किया है.
जीतन राम मांझी बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वह दलितों के एक बडे़ नेता हैंः चौधरी
उन्होंने कहा है कि जीतन राम मांझी बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वह दलितों के एक बडे़ नेता हैं, अगर वह आते हैं तो उनका स्वागत होगा. अशोक चौधरी ने कहा है कि मांझी अगर वापस आते हैं तो यह उनके लिए घर वापसी जैसा होगा.
इतना ही नहीं अशोक चौधरी ने यह भी कहा है कि नीतीश कुमार के मजबूत नेतृत्व में बिहार के नेताओं को अपना भविष्य नजर आ रहा है, इसीलिए वह साथ आ रहे हैं. उधर, जदयू में विलय के मुद्दे पर चर्चा के लिए जीतन राम मांझी ने अपने नेताओं की बैठक बुलाई है.
जीतन राम मांझी ने खुद इस बात का संकेत दिया है. उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव किसी की बात नहीं सुन रहे हैं तो ऐसे में राजनीति संभावनाओं का खेल है. नीतीश कुमार कभी भाजपा के विरोधी रहे और लालू सहयोगी, तो मुझ पर सवाल क्यों? इसका साफ मतलब है कि जीतन राम मांझी ने एक बार फिर से एनडीए में वापसी करने की तैयारी में हैं.
यहां बता दें कि तेजस्वी यादव के द्वारा अनदेखी करने के बाद से ही जीतन राम मांझी लगातार अपनी राजनीतिक हैसियत बताने के लिए बयानबाजी कर रहे हैं. बयानों के जरिए जीतन राम मांझी कहीं ना कहीं तेजस्वी यादव पर दबाव बनना चाहते हैं. लेकिन तेजस्वी यादव का स्टाइल बता रहा है कि वो इसका नोटिस नहीं लेने वाले.
तेजस्वी यादव की ओर से भाव मिलता नहीं देख अब मांझी ने प्रेशर पॉलिटिक्स के लिए नया दांव खेला
तेजस्वी यादव की ओर से भाव मिलता नहीं देख अब मांझी ने प्रेशर पॉलिटिक्स के लिए नया दांव खेला है. मांझी ने आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से समझौते की बात पर कहा कि राजनीति संभावनाओं का खेल है. ऐसे में राजनीतिक जानकार मांझी के इस बयान के बारे में बताते हैं कि अगर पूरा समीकरण देखा जाए तो मांझी तेजस्वी के समीकरण में फीट नहीं बैठते हैं.
ये बात किसी से छिपी नहीं है कि मांझी के लगातार तेजस्वी यादव के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद तेजस्वी यादव ने भी इशारों इशारों मांझी को खूब सुनाया था. तब से जो तल्खी है वो जारी ही है. मांझी ने तेजस्वी यादव को चुनौती देने के लिए महागठबंधन की पार्टियों को लामबंद करने की कोशिश की. बंद कमरे में मांझी, सहनी और रालोसपा प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा की बैठक किसी से छिपी नहीं है.
राजनीतिक जानकारों की माने तो यहां भी बात नहीं बनने पर अब मांझी घर वापसी करना चाहते हैं. शायद यही वजह है कि मांझी को एनडीए अब अच्छा लगने लगा है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में राजनीतिक संभावनाएं भी दिखने लगी है.
यहां बता दें कि लोकसभा चुनाव के पहले एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन में जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी एक बार फिर से पाला बदलने के मूड में दिखने लगे हैं. संभावना है कि मांझी विधानसभा चुनाव के पहले महागठबंधन का साथ छोडकर एनडीए में वापसी करेंगे.
मांझी ने महागठबंधन में कोआर्डिनेशन कमेटी के गठन को लेकर जो डेडलाइन तय की है, उसके बाद वह अपना अगला कदम बढाएंगे. ऐसे में अब राजनीतिक गलियारे में सबकी निगाहें जीतन राम मांझी के अगले कदम की ओर टिक गई है.