SC/ST ऐक्ट विवाद के बाद बोले अमित शाह- कभी आरक्षण खत्म नहीं करेगी BJP, विपक्ष है 10 लोगों की मौत का जिम्मेदार
By रामदीप मिश्रा | Published: April 4, 2018 04:01 PM2018-04-04T16:01:57+5:302018-04-04T20:50:21+5:30
नुसूचित जाति/जन जाति को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में 2 अप्रैल को भारत बंद किया गया था। तब से लेकर 4 अप्रैल तक इसका असर देखने को मिला।
बेंगलुरु, 4 अप्रैलः भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने दलित संगठन द्वारा किए गए 'भारत बंद' के दौरान हुई हिंसा को लेकर कांग्रेस व अन्य विपक्षी पार्टियों पर हमला बोला है। उन्होंने इस हिंसा में 10 लोगों की हुई मौतों का जिम्मेदार भी विपक्ष को ठहराया। साथ ही साथ आरक्षण को खत्म न करने की बात कही।
उन्होंने कहा 'जब हमने घोषणा की कि हम रिव्यू पिटीशन दायर करेंगे, फिर क्यों कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने 'भारत बंद' का ऐलान किया। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान 10 लोगों की गई जानों की जिम्मेदार विपक्षी पार्टियां ही है। बीजेपी सरकार न तो आरक्षण को हटाएगी और न ही किसी को भी इसे खत्म करने देगी।'
When we announced that we'll file a review petition, then why did Congress & other opposition parties call for #BharatBandh? Opposition is responsible for 10 lives lost during the protest. BJP govt will neither remove reservation nor will let anyone end it: Amit Shah pic.twitter.com/UVwNnZruwZ
— ANI (@ANI) April 4, 2018
इससे पहले मंगलवार को अमित शाह ने कहा था कि नरेन्द्र मोदी सरकार कांग्रेस के विरोध के बावजूद ओबीसी विधेयक संसद में पारित कराएगी। कांग्रेस चाहे जितना बाधा डालना चाहे लेकिन केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार संसद के दोनों सदनों में ओबीसी विधेयक पारित कराएगी। यह हमारा निर्णय है और हम समुदाय को न्याय दिलाएंगे।
आपको बता दें कि अनुसूचित जाति/जन जाति को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में 2 अप्रैल को भारत बंद किया गया था। तब से लेकर 4 अप्रैल तक इसका असर देखने को मिल रहा है। मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित 14 राज्यों में इसका असर देखने को मिला। लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रभाव मध्यप्रदेश में देखने को मिला है। ताजा खबरों के मुताबिक, मध्यप्रदेश में सात लोगों की मौत हुई है, जबकि राजस्थान में 3 लोगों की मौत हुई है।
वहीं, 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट SC/ST एक्ट पर फैसला सुनाया था। जिसपर पुनर्विचार याचिका दायर करते हुए केंद्र सरकार ने तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाने और अग्रिम जमानत को मंजूरी दिए जाने के फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का तमाम दलित संगठन समेत कई राजनीतिक दलों ने इसकी आलोचना की थी। खुद बीजेपी के कई नेताओं ने इस फैसले पर पूर्नविचार की सिफारिश की थी।