दलित संगठनों के प्रस्तावित 'भारत बंद' से पहले बीजेपी फूंक-फूंक कर रख रही है कदम

By स्वाति सिंह | Published: July 30, 2018 04:48 AM2018-07-30T04:48:25+5:302018-07-30T04:49:49+5:30

बीजेपी सूत्रों ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए.के. गोयल को पद से हटाने की मांग पर पार्टी की चुप्पी को ‘‘रणनीतिक’’ करार दिया, क्योंकि इस मांग के समर्थन या विरोध में कुछ बोलने के बहुत जोखिम हैं।

Before the proposed 'Bharat Bandh' of Dalit organizations, BJP is blowing funk | दलित संगठनों के प्रस्तावित 'भारत बंद' से पहले बीजेपी फूंक-फूंक कर रख रही है कदम

दलित संगठनों के प्रस्तावित 'भारत बंद' से पहले बीजेपी फूंक-फूंक कर रख रही है कदम

नई दिल्ली, 30 जुलाई: दलित संगठनों की ओर से 9 अगस्त के प्रस्तावित 'भारत बंद' से पहले बीजेपी उनकी मांगों पर अपना जवाब तैयार करने में काफी सतर्कता बरत रही है। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान सहित इसके दलित सांसद और सहयोगी दल चाहते हैं कि बीजेपी उनकी मांगों पर सकारात्मक जवाब दे जबकि पार्टी के कई नेता सतर्कता बरतने की सलाह दे रहे हैं, क्योंकि हो सकता है कि सरकार द्वारा ज्यादा उत्साह में जवाब दिया जाना पार्टी का हमेशा से समर्थन करने वाले एक बड़े तबके को पसंद नहीं आए।

बीजेपी सूत्रों ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए.के. गोयल को पद से हटाने की मांग पर पार्टी की चुप्पी को ‘‘रणनीतिक’’ करार दिया, क्योंकि इस मांग के समर्थन या विरोध में कुछ बोलने के बहुत जोखिम हैं। कई बीजेपी सांसदों ने नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर बताया कि पार्टी के परंपरागत मतदाताओं - अगड़ी जातियों और अन्य पिछड़ी जातियों के एक तबके-ने तरक्की में दलितों को आरक्षण और दलितों एवं आदिवासियों पर अत्याचार संबंधी कानून के कथित दुरुपयोग से जुड़े मुद्दों पर अपने ऐतराज के बावजूद अब तक पार्टी का समर्थन किया है। 

उत्तर प्रदेश से बीजेपी के एक सांसद ने कहा, 'हम चाहते हैं कि पार्टी दलित हितों के मुद्दों पर उचित जवाब दे। लेकिन ऐसा नहीं दिखना चाहिए कि वह दलित संगठनों की हर मांग मानने के लिए अति उत्साहित है, क्योंकि बीजेपी को हिंदू समाज के ज्यादातर वर्गों से समर्थन मिलता है और उसे उनकी चिंताएं भी ध्यान में रखनी चाहिए।' उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति गोयल को 'एक फैसले के कारण हटाना राजनीति से प्रेरित' होगा।

गौरतलब है कि न्यायमूर्ति गोयल उच्चतम न्यायालय की उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (उत्पीड़न की रोकथाम) कानून के कथित दुरुपयोग को लेकर कई सुरक्षा उपाय किए थे। लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख राम विलास पासवान ने कहा है कि गोयल की नियुक्ति से गलत संदेश गया है। पासवान के बेटे और लोकसभा सदस्य चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर गोयल को एनजीटी अध्यक्ष के पद से हटाने की मांग की है। भाजपा के उदित राज जैसे दलित सांसदों ने भी इस मांग का समर्थन किया है। 

बीजेपी ने दलित उत्पीड़न कानून को कथित तौर पर कमजोर करने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले के विरोध का समर्थन किया है। केंद्र सरकार ने इस बाबत न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की है। सरकार ने न्यायालय का रुख कर दलित एवं आदिवासी सरकारी कर्मियों को तरक्की में आरक्षण की व्यवस्था बहाल करने की मांग की है। बहरहाल, सरकार ने शीर्ष न्यायालय के आदेश को पलटने के लिए संसद में अध्यादेश या नया विधेयक लाने की मांग पर कोई जवाब नहीं दिया है। अखिल भारतीय आंबेडकर महासभा के बैनर तले दलित संगठनों ने नौ अगस्त को ‘भारत बंद’ आयोजित करने का आह्वान किया है ताकि वे अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बना सकें।

(भाषा इनपुट के साथ)

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